मध्यपूर्व का क्षेत्र तबाही के हथियारों का भंडार बन गया हैः ईरान
संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के स्थाई दूत ग़ुलाम अली ख़ुशरू ने इस बात पर बल देते हुए कि संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र का आधार शांति की संस्कृति है, कहा कि इस विषय को इस संस्था की गतिविधियों का केन्द्र होना चाहिए।
उन्होंने गुरुवार को शांति की संस्कृति के विषय पर संयुक्त राष्ट्र संघ की आयोजित बैठक में इस बात पर बल दिया कि इस संस्था का गठन युद्ध और अशांति से मानवता को मुक्ति दिलाने के लिए किया गया है इसीलिए इस संस्था की ज़िम्मेदारी है कि वह कट्टरपंथी शक्तियों से निपटे।
उन्होंने कहा कि जो लोग कूटनीति और वार्ता के बजाए प्रतिबंध और धमकी की ज़बान बोलते हैं और कट्टरपंथी और वर्चस्ववादी संस्कृतिक को मज़बूत करते है वह अपनी करनी और कथनी से शांति की संस्कृति को बर्बाद करते हैं।
श्री ग़ुलाम अली ख़ुशरू ने अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में एकपक्षीयवाद और ज़ोरज़बरदस्ती को अस्थिरता, अशांति तथा आतंकवाद व चरमपंथ में वृद्धि का कारण बताया और कहा कि जेसीपीओए जैसी सफल कूटनीति के उदाहरण से लाभ उठाया जाना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में इसको आदर्श बनाया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के स्थाई राजदूत ने कहा कि मध्यपूर्व का क्षेत्र विध्वंसक हथियारों की प्रदर्शनी बन चुका है।
उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के विरुद्ध म्यांमार की कट्टरपंथी सेना और बौद्ध चरमपंथियों के अपराधों की निंदा करते हुए कहा कि रोहिंग्या मुसलमान अतिवाद की क़ुरबानी चढ़ रहे हैं। (AK)