अमरीकी सैनिकों के खिलाफ ईरान में कानूनी कार्यवाही का बिल पारित!
पश्चिमी एशिया और पूर्वी अफ़्रीका में अमरीकी सेना की सेंट्रल कमान और उससे जुड़े सभी विभागों और लोगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद ने मंगलवार को संसद की खुली कार्यवाही में अमरीका द्वारा आईआरजीसी को आतंकवादी घोषित किये जाने का जवाब देते हुए, अमरीका की सेंट्रल कमान और उससे जुड़े सभी लोगों को आतंकवादी घोषित कर दिया। संसद में पारित होने वाले इस बिल के अनुसार, ईरान की न्यायपालिका के पास इस कानून के पारित होने के बाद तीन महीने का समय होगा जिसके दौरान उसे एसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे, इन सैनिकों के खिलाफ आतंकवादियों के रूप में कार्यवाही संभव हो सके। इस्लामी गणंतत्र ईरान के संसद में इस बिल के पारित होने के बाद, ईरान की सरकार और सशस्त्र सेना का यह कर्तव्य है कि सही समय पर एसा काम और कार्यवाही करे जिसकी वजह से अमरीकी सैनिक, ईरानी हितों के विरुद्ध कोई काम कर सकें।
ईरानी संसद में पारित होने वाला यह कानून, अमरीकी अधिकारियों और कमांडरों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। राजनीतिक टीकाकारों के अनुसार, वर्तमान समय में सेन्टकॅाम कमांडरों के लिए सब से बड़ी चुनौती मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में इस्लामी गणतंत्र ईरान से संपर्क स्थापित करना है। इस से पहले तक दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे के पास से गुज़र जाते थे किंतु अब एेसा नहीं होगा। वर्तमान समय में अमरीका हर प्रकार से ईरान पर दबाव डालने का इरादा रखता है और आईआरजीसी को आतंकवादी घोषित करने तथा ईरान से तेल खरीदने वाले देशों के लिए छूट खत्म करने जैसी कार्यवाहियां इसका उदाहरण हैं। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने इन कार्यवाहियों और ईरान की गलत छवि पेश करने के प्रयासों को, अमरीका में ताक़त के नशे का परिणाम बताया और कहा कि यह दावे और विचारों से इन्सान को चालीस साल पहले के अमरीकियों और उनके एजेन्टों की बातें याद आ जाती हैं जिनमें वह, एक दूसरे को छे महीने के भीतर इस्लामी व्यवस्था के गिरने की खुशखबरी दे रहे थे लेकिन आज इस इस्लामी व्यवस्था को चार दशक बीत चुके हैं। यह तो निश्चित है कि ईरान हर प्रकार के खतरे और क्षेत्र की शांति को भंग करने वाले क़दम का ठोस जवाब देगा। (Q.A.)