ईरान के तेल पर प्रतिबंध के दुनिया पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव
(last modified Fri, 03 May 2019 11:23:36 GMT )
May ०३, २०१९ १६:५३ Asia/Kolkata

परमाणु समझौते से अमरीका के निकल जाने के बाद ईरान के तेल पर प्रतिबंध लगाने की अमरीकी सरकार की कार्यवाही पर ओपेक सहित ईरान से तेल आयात करने वाले देशों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। 

‌‌ओपेक के महासचिव मुहम्मद सनूसी बारकिन्डो ने कहा है कि तेल को राजनैतिक विषय नहीं बनाना चाहिए। तेल निर्यात करने वाले देशों की संस्था ओपेक के महासचिव ने तेहरान में तेल, गैस और पेट्रोकेमिकल की 24वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए बल दिया कि हमारा लक्ष्य तेल से संबंधित मामलों को ग़ैर राजनैतिक रखना है।

उन्होंने कहा कि हमने अपने समस्त दोस्तों पर यह स्पष्ट कर दिया है कि जब ओपेक में शामिल होते हैं तो उन्हें अपनी जाति को अलग रखना होगा।

उन्होंने ईरानी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि भविष्य में आपको कितनी चुनौतियों का सामना है बल्कि आप ऐसे राष्ट्र हैं जिसने हमेशा समस्याओं पर जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ओपेक के संस्थापक देशों में है और ओपेक के साथ ईरान के सहयोग को 60 साल होने को हैं।

ट्रम्प सरकार ने बारम्बार यह दावा किया है कि ईरान के तेल पर प्रतिबंध लगाकर जो नवम्बर 2018 से शुरु हुआ है या ईरान से तेल ख़रीदने वाले देशों को मिली छूट समाप्त करके ईरान के तेल निर्यात को शून्य तक पहुंचा देगी।

यह ऐसी स्थिति में है कि अमरीकी प्रशासन के इस निराधार दावे को दुनिया के हर व्यक्ति ने रद्द कर दिया है, यहां तक कि ओपेक के अधिकाारी भी इस पर विश्वास नहीं रखते। ओपेक के महासचिव बारकिन्डो ने इस प्रश्न के उत्तर में कि क्या तेल के बाज़ार से ईरान को बाहर किया जा सकता है? कहा कि यह बात दोहराने की नहीं है, तेल के बाज़ार से ईरान को निकालना असंभव है।

यहां पर यह बात सिद्ध हो गयी है कि अमरीका अपनी समझ से ईरान पर जितना भी दबाव डाले किन्तु ईरान अपने भाग का तेल जैसे पहले बेचता था, अब भी बेचता रहेगा। (AK) 

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