क्या ईरान पर हमला कर ही देगा इस्राईल?
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इस्राईल के चीफ आफ आर्मी स्टाफ ने यह कहा है कि सेना, ईरान के विरुद्ध हमले की तैयारी कर रही है जिसके जवाब में ईरान की सशस्त्र सेना के प्रवक्ता ने घोषणा की है कि इस्राईल ने अगर कोई भी ग़लती की तो हम हैफ़ा और तेलअवीव को मिट्टी के ढेर में बदल देंगे।
(last modified 2023-04-09T06:25:50+00:00 )
Jan २८, २०२१ २१:४७ Asia/Kolkata
  • क्या ईरान पर हमला कर ही देगा इस्राईल?

इस्राईल के चीफ आफ आर्मी स्टाफ ने यह कहा है कि सेना, ईरान के विरुद्ध हमले की तैयारी कर रही है जिसके जवाब में ईरान की सशस्त्र सेना के प्रवक्ता ने घोषणा की है कि इस्राईल ने अगर कोई भी ग़लती की तो हम हैफ़ा और तेलअवीव को मिट्टी के ढेर में बदल देंगे।

हालांकि इस्राईल की यह धमकी मीडिया में तो बहुत चली लेकिन शायद ही किसी ने इसे गंभीरता से लिया हो।  यहां पर हम इसी विषय की समीक्षा करने जा रहे हैं कि इस्राईल के चीफ आफ आर्मी स्टाफ की ओर से ईरान के विरुद्ध हमले की धमकी को क्यों महत्व नहीं दिया जा रहा है।

जैसाकि सब जानते हैं कि इस्राईल में निकट भविष्य में चुनाव होने जा रहे हैं और नेतनयाहू की स्थिति बहुत ही डांवाडोल है।  इस्राईल के भीतर उनका विरोध बहुत बढ़ गया है।  नेतनयाहू अपने आंतरिक मामलों और भ्रष्टाचार को लेकर बहुत बुरी तरह उलझ चुके हैं।एसे में इस्राईल के चीफ आफ आर्मी स्टाफ, इस चुनावी वातावरण में इस्राईल के भीतर जनमत में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं।  उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि जिस पद पर वे आसीन हैं उस पद पर रहने वाले विगत में इस्राईल के रक्षा, विदेश और प्रधानमंत्री के पदों पर आसीन रह चुके हैं, एसे में उनका मानना है कि ईरान के विरुद्ध  धमकी, शायद उनकी राजनैतिक मनोकामना की पूर्ति करा दे।

इस इस्राईल धमकी का एक अन्य आयाम यह भी है कि अमरीका के समर्थन से भी एसा किया जा सकता है।  इसका कारण यह है कि जनरल कूख़ाफ़ी ने अमरीका से शिक्षा हासिल की है।  अमरीकी राजनीति में इस्राईल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल कूख़ाफ़ी के बहुत से मित्र आज भी मौजूद हैं जिनके सहयोग से वे इस्राईल की राजनीति में अपने लिए कोई विशेष स्थान या बड़ा पद निर्धारित करवा सकते हैं।

इस्राईल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ जनरल कूख़ाफ़ी के ईरान विरोधी हालिया बयान को इस प्रष्ठभूमि में भी देखा जा सकता है कि हाल में कुछ अरब देशों ने ट्रम्प के आदेश पर इस्राईल के साथ अपने संबन्ध सामान्य किये हैं।  नेतनयाहू इसका सेहरा अपने सिर बांध रहे हैं जबकि इस काम को व्यवहारिक बनाने में कूख़ानी की भी अच्छी ख़ासी भूमिका रही है किंतु नेतनयाहू यह दर्शाने का प्रयास कर रहे हैं कि केवल उनके प्रयासों से यह काम संभव हो पाया है।  यह बात जनरल कूख़ाफ़ी को हज़्म नहीं हो पा रही है।  इस्राईल में चुनावी वातावरण में वे अपने इस प्रयास को कैश करना चाहते हैं जिसके मार्ग की बाधा नेतनयाहू बन रहे हैं।  कुछ जानकारों का कहना है कि इस्राईल के चीफ आफ आर्मी स्टाफ की ओर से ईरान को दी जाने वाली धमकी, हालिया दिनों में ईरान ने जो सफल सैन्य अभ्यास किये हैं उनपर प्रतिक्रिया हो।

बहरहाल ऊपर कही गई बातों में से हम किससे सहमत हैं इससे अलग यह बात तो शत प्रतिशत सही है कि वर्तमान समय में इस्राईल चारों ओर से प्रतिरोध के मिसाइलों से घिर चुका है।  उसे अच्छी तरह से पता है कि अगर उसने ईरान के विरुद्ध कोई भी ग़लती की तो एसे में उसका विनाश सुनिश्चित है।  अन्तिम बात यह है कि अगर इस प्रकार की धमकी को थोड़ा बहुत गंभीरता से लिया जाता तो वह नेतनयाहू के गुरू अर्थात ट्रम्प का काल था जिसका अब अंत हो चुका है।

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