Jan १७, २०२३ १३:४३ Asia/Kolkata

संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस के राजदूत ने कहा कि यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन से बातचीत और इस देश में इस जनान्दोलन की स्थिति को मद्देनज़र रखे बग़ैर यमन में स्थिति में स्थिरता नहीं आ सकेगी।

कुछ देश अवसरवादी रवैया अपनाते हुए यमन की समस्या की स्थायी हल निकालने के बजाए इस देश के तेल निर्यात को रोकने की फ़िक्र में लगे हुए हैं। यमन संकट का समाधान यमन के अंसारुल्लाह से प्रत्यक्ष बातचीत से ही संभव है।....इस बैठक में यमन के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत ने सऊदी अरब को हमलावर देश क़रार दिए बिना और कई साल से यमन की मज़लूम जनता पर जारी सऊदी अरब की बमबारी की आलोचना किए बग़ैर कहा कि खेद की बात है कि सैनिक कार्यवाहियों से बड़ी संख्या में आम नागरिकों को नुक़सान पहुंचा है।....मैंने यमन की नेश्नल सेल्वेशन सरकार के अधिकारियों जैसे महदी अलमश्शात से बातचीत और दूसरे पक्षों से भी मुलाक़ात की आशा करता हूं कि इससे इस संकट के ख़त्म होने में मदद मिलेगी। मानवीय मामलों में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के असिस्टैंट मार्टिन ग्रीफ़िथ्स ने विश्व समुदाय से मांग की कि नए साल में अधिक उदारता के साथ यमन की पीड़ित जनता की मदद करे।... उन्होंने कहा कि मैं विश्व समुदाय से मांग करता हूं कि यमन की इकानामी को मज़बूत करने के लिए अधिक सहयोग करे। यमन का मनवीय संकट दुनिया का बदतरीन संकट है।...इस बैठक में भी सऊदी अरब से जवाब तलब नहीं किया गया जो पिछले आठ साल से यमन पर बमबारी करता आ रहा है। उल्टे सऊदी अरब के राजदूत ने सुरक्षा परिषद से मांग की कि अंसारुल्लाह के बारे में कठोर कार्यवाही करे।.... इस बैठक में मौजूद अमरीकी डिप्लोमैट ने यमन संकट के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराने की बेतुकी कोशिश करते हुए इस तरह बयान दिया कि मानो यमन पर हमला करने वाले सऊदी अरब और उसके मददगारों की यमन के संकट में कहीं कोई भूमिका ही नहीं है। यमन की बेगुनाह जनता पर लगभग 94 महीनों से जारी सऊदी के हमलों और पश्चिमी देशों की ख़ामोशी का नतीजा यह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने घोषणा की है कि 2 करोड़ 16 लाख यमनी नागरिक अपना जीवन जारी रखने के लिए मानवीय सहायता के मोहताज हैं। न्यूयार्क से आईआरआईबी के लिए अली रजबी की रिपोर्ट

 

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