Dec ११, २०२३ १३:०५ Asia/Kolkata

दुनिया में 10 दिसम्बर की तारीख़ किसे याद नहीं है जिस दिन आतंकवादी गुट दाइश पर इराक़ ने जीत दर्ज की थी।

इराक़ के इतिहास में बहुत से उतार चढ़ाव आए और इस देश को बहुत से कड़वे दिन भी देखने पड़े जो इस देश के पूर्व बासी शासन की देन थे।  इराक़ में सबसे कड़वी घटनाओं में से एक 2014 में आईएसआईएस आतंकवादियों द्वारा देश पर किया गया व्यापक आक्रमण था।

इराक़ की धरती के एक तिहाई हिस्से पर क़ब्ज़ा करने वाले आईएसआईएस ने इस देश में सामूहिक हत्याओं से लेकर आगजनी, सिर काटने और इराकी नागरिकों को जिंदा दफ़नाने जैसे जघन्य अपराध अंजाम दिए।

जैसे ही इराक़ पर आईएसआईएस का कब्जा हुआ, इराक़ के शीया मुसलीमानों के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सीस्तानी ने एक फ़तवा जारी किया और आईएसआईएस आतंकवादियों के खिलाफ लड़ने के लिए स्वयंसेवियों के गठन का एलान किया और इस तरह से स्वयं सेवी बल हश्दुश्शाबी का गठन हो गया।

हशदअश्शाबी के गठन ने इराक़ में कई प्रतिरोध गुटों के गठन का आधार प्रशस्त किया। इन समूहों ने आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई और इराक के भूगोल को इन आतंकवादियों की बुराई से साफ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हालांकि इराकी सेना और सुरक्षा बलों ने भी भूमिका निभाई है लेकिन आईएसआईएस के आक्रमण की शुरुआत में, इराक़ी सेनाएं लगभग एकजुटता और एकता से ख़ाली हो गयी थीं और उनमें आईएसआईएस से लड़ने की ताक़त नहीं रह गयी थी।

साढ़े तीन साल की लड़ाई के बाद, पूर्व इराकी प्रधान मंत्री हैदर अल-एबादी ने 10 दिसम्बर 2017 को आईएसआईएस से देश की पूर्ण मुक्ति का एलान किया और अब इस महान जीत के 6 साल हो गए हैं।

इराक़ के राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ करम सईदी का कहना है कि शायद 2017 में इराक में सबसे महत्वपूर्ण घटना, कुर्दिस्तान स्वतंत्रता जनमत संग्रह की परवाह किए बिना, इस देश में आईएसआईएस मुद्दे का समापन है जिसका इराक़ी प्रधानमंत्री हैदर अल-एबादी ने एलान किया। इराक़ी प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 43 महीनों तक चली कठिन और भीषण लड़ाई के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से, इराकी सुरक्षा और सैन्य बलों ने उन सभी क्षेत्रों और स्थानों पर नियंत्रण कर लिया जिन पर वर्षों से आईएसआईएस का क़ब्ज़ा था।

इराक में आईएसआईएस की हार की अहम बात ये है कि इराक़ियों के मुताबिक इस जीत में ईरान ने भी बड़ी भूमिका निभाई। आईआरजीसी की कुद्स फ़ोर्स के कमांडर शहीद जनरल क़ासिम सुलेमानी उन लोगों में थे जो अपने अन्य साथियों के साथ इराक में आईएसआईएस के ख़िलाफ़ लड़ाई में ख़ुद मौजूद थे।

इराक़ के पूर्व प्रधानमंत्री मुस्तफ़ा अल-काज़ेमी उन लोगों थे जिन्होंने आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में ईरान की भूमिका की सराहना की थी। (AK)

 

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