Jan १६, २०२४ १५:०४ Asia/Kolkata

इराक़ पर क़ब्ज़े के बाद 2003 से इस देश में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति रही है और सीरिया के मुद्दे पर भी 2014 से सीरिया में दाइश के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की परिधि में इसकी सैन्य उपस्थिति रही है।

इराक़ और सीरिया की सरकारों के बार-बार अनुरोध के बावजूद साक्ष्य इस बात के सूचक हैं कि वाशिंगटन इन दोनों देशों में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, ख़ासकर ग़ज़्ज़ा युद्ध और लाल सागर में सुरक्षा का मुद्दा पैदा होने के बाद।

इराक़ और सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमलों के बीच, वाशिंगटन ने सोमवार को एलान किया कि वह आतंकवादी संगठन दाइश से लड़ने के लिए न्यू जर्सी नेशनल गार्ड से 1,500 नए सैनिकों को इराक और सीरिया भेजने की योजना बना रहा है।

पश्चिम एशिया भेजे जाने से पहले इन सैनिकों को प्रशिक्षण के लिए टेक्सास के फोर्ट ब्लेस बेस जाना होगा।

दाइश से निपटने के लिए इराक और सीरिया में नई सेना भेजने का अमेरिका का तथकथित दावा ऐसे समय में आया है कि जब वाशिंगटन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान में इस आतंकवादी गुट को मज़बूत और विस्तृत करने में प्रत्यक्ष भूमिका निभाई थी।

इन दोनों देशों में भेजे जाने वाले सैनिकों की संख्या 2008 के बाद से अभूतपूर्व है। यह तैनाती तब हुई है जब 7 अक्टूबर को ग़ज़्ज़ा युद्ध शुरू होने के बाद से इराक़ और सीरिया में अमेरिकी ठिकानों पर कम से कम 130 बार हमला किया गया।

इराक़ और सीरिया में नए सैन्य बल भेजने की वाशिंगटन की कार्रवाई का एलान एसी हालत में किया गया है कि जब इन दोनों देशों की सरकारें बारम्बार इन देशों से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की मांग कर रही हैं।

इराक़ के संबंध में नवीनतम स्थिति यह है कि इराक़ के प्रधानमंत्री मोहम्मद अल-सुदानी ने पिछले सप्ताह देश से अमेरिकी सेना की तत्काल वापसी की मांग की थी।

3  जनवरी 2020 को बगदाद हवाई अड्डे पर आईआरजीसी की क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल शहीद सुलेमानी और पॉपुलर मोबिलाइजेशन फ़ोर्सेज़ के डिप्टी अबू महदी अल-मुहंदिस और उनके साथियों की नृशंस हत्या के बाद, इराकी संसद ने एक प्रस्ताव पास करके अमरीकी सैनिकों के निष्काससन पर बल दिया है।

हालांकि, अमेरिका अवैध तरीक़े से इराक में अपनी सैन्य उपस्थिति पर ज़ोर देता रहा है आख़िरकार इराक़ के अंदर राजनीतिक दबाव के कारण, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इराकी प्रधान मंत्री मुस्तफ़ा अल-काज़ीमी ने 2021 की गर्मियों के मध्य एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसमें बल दिया गया कि 2021 की समाप्ति से पहले अमरीका के नेतृत्व में इराक़ में विदेशी सैनिकों का मिशन ख़त्म हो जाएगा।

डोनल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के आखिरी साल 2020 में अमेरिका ने इराक़ में तैनात सैनिकों की संख्या घटाकर 2,500 कर दी।

इराक में अमेरिकी सेना का मिशन जाहिर तौर पर 31 दिसंबर 2021 को खत्म हो गया है लेकिन इसके बावजूद अमरीका इराक़ में अपनी सैन्य उपस्थिति जारी रखे हुए है। (AK)

 

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