अगर इस्राईल ख़त्म नहीं होता है तो वह दुनिया के लिए एक बहुत ही ख़तरनाक आदर्श के रूप में बाक़ी रहेगा।
(last modified 2024-03-25T09:54:29+00:00 )
Mar २५, २०२४ १५:२४ Asia/Kolkata
  • इस्राईल के ख़त्म न होने की सूरत में दुनिया के लिए गंभीर ख़तरा
    इस्राईल के ख़त्म न होने की सूरत में दुनिया के लिए गंभीर ख़तरा

अगर इस्राईल ख़त्म नहीं होता है तो वह दुनिया के लिए एक बहुत ही ख़तरनाक आदर्श के रूप में बाक़ी रहेगा।

पार्सटुडे- सोशल मीडिया के एक यूज़र ने एक्स पर Eye on Palestine को रीपोस्ट करते हुए इस्राईल को एक एसे शासन के रूप में बताया है जिसने पाश्विक्ता की सारी सीमाएं पार की दी हैं।

इस यूज़र ने सोशल मीडिया नेटवर्क एक्स पर लिखा है कि इस्राईल ने वर्तमान तथाकथित सभ्य युग में जनसंहार की बुराई को ही समाप्त कर दिया है।  इस अवैध शासन ने पाश्विकता की सीमाओं को तोड़ते हुए दुनिया को शैतानी आत्मविश्वास दिया है।  विश्व की प्रतीक्षा में बहुत ही ख़तरनाक दिन हैं।  दुनिया के सारे ही बुरे लोग अब स्वयं से ही यह सवाल करेंगे कि क्यों केवल इस्राईल और अमरीका? क्यों हम नहीं?

इस यूज़र की एक्स पर पोस्ट

हालिया कुछ दिनों के दौरान पवित्र रमज़ान के दौरान ग़ज़्ज़ा के अश्शफ़ा अस्पताल में ज़ायोनी सैनिकों के पाश्विक अपराधों के प्रत्यक्ष दर्शियों के वक्तव्यों और वहां से संबन्धि समाचारों ने पूरी दुनिया से ज़ायोनियों के विरुद्ध नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।  स्वास्थ्य केन्द्रों पर हमले को युद्ध अपराध माना जाता है।  वैश्विक संगठनों की गंभीर चेतावनियों के बावजूद अवैध ज़ायोनी शासन उनकी ओर ध्यान दिये बिना ही फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जनसंहार जारी रखे हुए है। 

अवैध ज़ायोनी शासन ने पश्चिमी देशों के समर्थन से फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध अक्तूबर 2023 से हिंसक कार्यवाहियां आरंभ कर रखी हैं।  फ़िलिस्तीनियों पर ज़ायोनियों की हिंसक कार्यवाही मे अबतक कम से कम 32000 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।  शहीद फ़िलिस्तीनियों के बहुत बड़ी संख्या बच्चों और महिलाओं की है।  इन हमलों में शहीद होने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या 74000 से भी अधिक हो चुकी है। 

अवैध ज़ायोनी शासन का गठन वैसे तो विदित रूप में सन 1948 में हुआ था किंतु इसकी भूमिका 1917 से आरंभ हो चुकी थी।  उस समय ब्रिटेन की षडयंत्रकारी योजना के अन्तर्गत दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से यहूदियों को पलायन करवाकर पहले उनको फ़िलिस्तीन में लाया गया और बाद मे एक अवैध शासन के गठन ही घोषणा की गई जिसकी पाश्विकता आज पूरी दुनिया के सामने उजागर हो चुकी है।

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