Apr २३, २०२२ १७:४२ Asia/Kolkata
  • भारत के बाद अब सऊदी अरब में भी चला बिल्डोज़र!  आले सऊद की पवित्र नगर मक्के के ख़िलाफ़ नापाक साज़िश!

जेद्दाह में नए निर्माण के लिए जगह बनाई जा रही है। आरोप है कि इसके लिए बिना समय और मुआवज़ा दिए बड़े स्तर पर लोगों के घर ढहाए गए हैं। प्रभावित इलाक़ों को अपराध और ड्रग्स का अड्डा बताकर तोड़-फोड़ का बचाव भी किया जा रहा है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, सऊदी अरब में जेद्दाह सेंट्रल' नाम की परियोजना आले सऊद शासन के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की महत्वाकांक्षी विकास योजना का हिस्सा बताई जा रही है। इसके तहत झुग्गियों और कम-आय वर्ग वाले कई रिहायशी इलाक़े ढहाकर स्टेडियम और ओपेरा हाउस जैसा आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की योजना है। सऊदी अरब में शासन विरोधी भावनाएं बहुत कम ही दिखती हैं। मगर पिछले कुछ समय से यहां चल रहे एक "बुल्डोज़र अभियान" को लेकर सऊदी अरब के दूसरे सबसे बड़े शहर जेद्दाह में लोगों के बीच नाराज़गी है। पवित्र नगर मक्के को इस्लाम में सबसे पवित्र शहर माना जाता है। इसी मक्के का प्रवेश द्वार कहलाता है जेद्दाह। रेड सी के किनारे बसा यह शहर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता रहा है। कट्टर माने जाने वाले सऊदी अरब में जेद्दाह की छवि थोड़ी हटकर है।यहां रहने वालों को अपेक्षाकृत थोड़ी ज़्यादा आज़ादी है। इसीलिए इस शहर का एक प्रचलित विशेषण है- जेद्दाह ग़ैर। यानी, जेद्दाह अलग है। अब इस शहर के पास जो नया शहर बसाया जा रहा है वह शहर सऊदी अरब का सबसे आज़ाद शहर होगा, जहां इस्लामी क़ानून की पाबंदी नहीं होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से आले सऊद शासन एक बड़ा तोड़-फोड़ अभियान चला रही है। यह अभियान एक महत्वाकांक्षी शहरी विकास परियोजना का हिस्सा बताया जा रहा है। आरोप है कि इस अभियान के तहत शहर के ग़रीब और कम आयवर्ग वाले इलाक़ों को निशाना बनाया जा रहा है। बुल्डोज़र चलाकर लोगों के घरों को ढहाया जा रहा है। फिलहाल रमज़ान के मद्देनज़र यह अभियान रुका हुआ है, लेकिन मई में इसके दोबारा शुरू होने का अनुमान है। सऊदी सरकार ने पीड़ित परिवारों को मुआवज़े देने की बात कही थी। फरवरी 2022 में घोषणा की गई कि पीड़ितों के वैकल्पिक आवास के लिए इस साल के अंत तक 5,000 हाउसिंग यूनिट बनाए जाएंगे। लेकिन पीड़ितों के बयान सरकारी आश्वासन से मेल नहीं खाते। एएफ़पी ने जितने भी पीड़ितों से बात की, उन्होंने अभी तक कोई मुआवज़ा ना मिलने की बात कही। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनके घर अभियान के शुरुआती दौर में ही ढहा दिए गए थे। भुक्तभोगियों का यह भी कहना है कि ढहाए हुए घरों की असली क़ीमत तय करने का कोई स्पष्ट तरीक़ा भी नहीं है। समस्या बस घर गिराए जाने और मुआवज़े की अनिश्चितता पर ख़त्म नहीं होती है। आरोप है कि प्रभावित इलाक़ों की छवि भी ख़राब की जा रही है। जानकारों का मानना है कि पवित्र नगर मक्के का प्रवेश द्वारा कहे जाने वाले जेद्दाह के पास बन रहे आले सऊद शासन के युवराज के सपनों के शहर का असर मक्के की पवित्रता पर ज़रूर पड़ेगा। (RZ)

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