Jun ३०, २०२४ १९:२७ Asia/Kolkata
  • सेंट्रल एशिया में दाख़िल होने के लिए ईरान भारत का महत्वपूर्ण मार्ग

चाबहार समझौते पर भारत जो फ़िर से ध्यान दे रहा है, सेंट्रल एशिया तक पहुंचने की दिशा में उसका यह बड़ा क़दम है।

चाबहार बंदरगाह ओमान सागर के तट पर स्थित है और यह बंदरगाह ईरान और भारत के बीच घनिष्ठ होते संबंधों की सूचक है।

 

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार चाबहार अद्वितीय व बेजोड़ रास्ता है जो भारत को अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते सेंट्रल एशिया से जोड़ देता है। इस आधार पर चाबहार समझौता बहुत महत्वपूर्ण समझौता है। इस समझौते का उद्देश्य सेंट्रल एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को विस्तृत करना था। इस समझौते पर भारत, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान के परिवहन मंत्रियों ने वर्ष 2016 में हस्ताक्षर किये थे।

 

इस समझौते को किस तरह व्यवहारिक बनाया जाये इस सिलसिले में इस समझौते के कुछ भागों को कार्यसूची में शामिल कर लिया गया और उस पर ध्यान दिया जा रहा है।

 

ईरान की आर्थिक न्यूज़वेबसाइट लिखती है कि भारत पोर्ट ग्लोबल और ईरानी बंदरगाह संगठन के मध्य होने वाले समझौते के अनुसार भारत पोर्ट ग्लोबल इस बात के प्रति कटिबद्ध है कि अपने आरंभिक 85 मिलियन डॉलर के पूंजीनिवेश को चाबहार बंदरगाह के संसाधनों को अधिक करने के लिए 120 मिलियन डॉलर कर दे।

 

इसके अलावा चाबहार, परिवहन के उस अंतरराष्ट्रीय कॉरिडोर या गलियारे को मिलाने के लिए तैयार है जो भारत से रूस तक जाता है। (INSTC) उत्तर से दक्षिण कॉरिडोर और दक्षिण से उत्तर कॉरिडोर भारत, रूस और ईरान के अलावा आज़रबाइजान, आर्मीनिया, क़ज़्ज़ाक़िस्तान, क़िरक़िज़िस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्किये, यूक्रेन, सीरिया, बेलारूस और ओमान के मध्य सहकारिता व सहयोग का मार्ग प्रशस्त करता है। यह बहुआयामी कॉरिडोर चीन-पाकिस्तान के मध्य आर्थिक कॉरिडोर की अपेक्षा बचत वाला और सस्ता है।

 

स्ट्रैटेजिक विशेषज्ञों के अनुसार यह भागीदारी दोनों देशों के परस्पर हितों से जुड़ी है यानी यह भागीदारी दोनों देशों के हित में है।

इसी प्रकार बहुत से विश्लेषकों का मानना है कि ईरान और भारत के बीच रचनात्मक सहयोग न केवल दोनों देशों के हित में है बल्कि क्षेत्रीय सहयोग की मज़बूती और उसमें विस्तार का कारण भी बनेगा।

 

वास्तव में चाबहार बंदरगाह ईरान और भारत के मध्य मार्गदर्शक तारे की भांति है जो असुरक्षा व असमंजस के बीच रास्ते को स्पष्ट करता है। बहुत से टीकाकारों के अनुसार चाबहार बंदरगाह क्षेत्र के भविष्य को बदल सकती है। MM

 

कीवर्ड्सः ईरान और भारत के मध्य सहयोग, उत्तर- दक्षिण कॉरिडोर, चाबहार बंदरगाह, चाबहार समझौता, ईरान और भारत के संबंध

 

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