अलअक़सा इंतेफ़ाज़ा से अब तक लगातार मज़बूत हुआ है फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध और कमज़ोर हुआ है इस्राईल
(last modified Sat, 30 Sep 2023 06:34:35 GMT )
Sep ३०, २०२३ १२:०४ Asia/Kolkata
  • अलअक़सा इंतेफ़ाज़ा से अब तक लगातार मज़बूत हुआ है फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध और कमज़ोर हुआ है इस्राईल

फ़िलिस्तीन में इतेफ़ाज़ा आंदोलन को 23 साल हो चुके हैं। अब सवाल यह है कि इस अवधि में फ़िलिस्तीन-ज़ायोनी शासन विवाद में बदलाव आए हैं।

28 सितम्बर 2000 को एरियल शेरोन जो उस समय ज़ायोनी शासन में अपोज़ीशन लीडर थे 2000 सुरक्षा बलों और पुलिस कर्मियों के साथ मस्जिदुल अक़सा में घुसे थे। शेरोन ने यह निंदनीय हरकत तत्कालीन प्रधानमंत्री एहूद बाराक की सहमति से की थी। शेरोन ने इसके बाद मस्जिदुल अक़सा के बारे में कहा था कि यह जगह हमेशा के लिए यहूदियों की हो जाएगी।

इस उत्तेजक बयान पर फ़िलिस्तीनियों के आक्रोश की ज्वाला भड़क उठी थी और झड़पों में 7 फ़िलिस्तीनी शहीद और 250 घायल हुए थे। दूसरी तरफ़ 13 ज़ायोनी सैनिक भी घायल हुए थे। इस घटना के बाद बैतुल मुक़द्दस शहर क़ाबिज़ इस्राईली सैनिकों और फ़िलिस्तीनियों की झड़पों का मैदान बन गया जिनमें दर्जनों लोग घायल हुए। यह झड़पें दूसरे इलाक़ों में फैलती गईं और वेस्ट बैंक और ग़ज़्ज़ा में हर जगह लड़ाई शुरू हो गई। फ़िलिस्तीनियों के इस आंदोलन को अलअक़सा आंदोलन कहा जाता है। यह आंदोलन 2005 तक यानी पांच साल जारी रहा। फ़िलिस्तीनी और ज़ायोनी सूत्रों के अनुसार इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के दौरान 4412 फ़िलिस्तीनी शहीद हुए और 48 हज़ार 322 घायल हुए। जबकि दूसरी तरफ़ 1100 ज़ायोनी मारे गए जिनमें 300 सैनिक थे वहीं 4500 ज़ायोनी घायल हुए थे।

अलअक़सा आंदोलन के समय से अब तक ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ कई जंगें छेड़ीं। बीते साल से पहले तक सारी जंगें ग़ज़्ज़ा पट्टी के इलाक़े के ख़िलाफ़ होती थीं। लेकिन पिछले साल से वेस्ट बैंक के इलाक़े पर ज़ायोनी शासन हमले कर रहा है। इसकी असली वजह यह है कि बीते बरसों में वेस्ट बैंक का इलाक़ा भी पूरी तरह हथियारों से लैस हो गया है। इस इलाक़े में भी फ़िलिस्तीनियों ने हथियारबंद ग्रुप बना लिए हैं। ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों यहां तक कि तेल अबीब में भी फ़िलिस्तीनियों के जवाबी हमले वेस्ट बैंक के जियालों के ज़रिए ही अंजाम पा रहे हैं। इस तरह देखा जाए तो पिछले 23 साल में वेस्ट बैंक का हथियारों से लैस होना और फ़िलिस्तीन ज़ायोनी शासन जंग में वेस्ट बैंक का प्रभावी रोल बहुत बड़ा बदलाव है। जेहादे इस्लामी संगठन के प्रवक्ता तारिक़ सिल्मी ने मंगलवार को ईरान प्रेस को साक्षात्कार देते हुए फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध की वर्तमान स्थिति के बारे में कहा कि वेस्ट बैंक और बैतुल मुक़द्दस में प्रतिरोध लगातार मज़बूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि जेहादे इस्लामी की सैनिक शाखा क़ुद्स ब्रिगेड ने वेस्ट बैंक और बैतुल मुक़द्दस में ज़ायोनी शासन की साज़िश को नाकाम बना दिया है और हम ज़ायोनी शासन के अपराधों का मुक़ाबला करने के  लिए तैयार हो चुके हैं।

दूसरा बड़ा बदलाव यह है कि इंतेफ़ाज़ा आंदोलन में फ़िलिस्तीनी युवाओं का सबसे महत्वपूर्ण हथियार चाक़ू और पत्थर हुआ करता था लेकिन आज फ़िलिस्तीनी संगठन अनेक प्रकार के मिसाइलों से लैस हैं जिनकी मदद से वे तेल अबीब में ज़ायोनी शासन के बेहत महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हैं। जब भी जंग छिड़ जाती है ज़ायोनी बस्तियों को तहख़ानों में शरण लेती पड़ती है। इस तरह फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध की ताक़त का इंतेफ़ाज़ा आंदोलन के ज़माने से कोई मुक़ाबला नहीं है और दूसरे यह कि इस प्रतिरोध का भौगोलिक दायरा बहुत व्यापक हो चुका है।

एक और बदलाव यह हुआ है कि समय बीतने के साथ ज़ायोनी शासन अंदर से कमज़ोर पड़ चुका है। अब तो यह दशा है कि ख़ुद इस्राईली अधिकारी कहते हैं कि इस्राईल कभी भी बिखर जाएगा। अस्थिरता के हालात हैं। पांच साल में पांच बार संसदीय चुनाव हुए और वर्तमान नेतनयाहू सरकार भी कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।

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