दुनिया बदल रही है, मज़लूमों के बजाए हमलावरों के साथ खड़े होने का चलन, बाइडन के बाद सुनक पहुंचे इस्राईल
दुनिया काफ़ी बदल चुकी है, इसका सबूत यह है कि आमतौर से यह देखा जाने लगा है कि दुनिया के ज़्यादातर देश आजकल उनके साथ खड़े हुए दिखाई देते हैं जो ताक़तवर और हमलावर होते हैं। आतंकी इस्राईल द्वारा पिछले 13 दिनों से ग़ाज़ा पर पाश्विक हमले किए जा रहे हैं इन हमलों में हज़ारों बेगुनाह लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन उसके बावजूद अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और फ्रांस समेत ज़्यादातर पश्चिमी देश अवैध ज़ायोनी शासन के साथ खड़े हुए दिखाई दे रहे हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, आतंकी शासन इस्राईल द्वारा ग़ाज़ा के बेगुनाह लोगों का किए जा रहे जनसंहार के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक गुरुवार को तेल अवीव पहुंचे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बाद युद्धग्रस्त देश का दौरा करने वाले वे दूसरे बड़े नेता बन गए हैं। सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट करके सुनक ने कहा: “मैं इस्राईल में हूं, जो शोक में है। मैं यहां की जनता के साथ शोक मनाता हूं और आतंकवाद जैसी बुराई के ख़िलाफ़ हमेशा आपके साथ खड़ा हूं।” प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुनक सबसे पहले अपने ज़ायोनी समकक्ष बिनयामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात करेंगे, जिसके बाद ब्रिटिश नेता अवैध अधिकृत इलाक़ों का दौरा भी करेंगे। अपनी यात्रा से पहले, सुनक ने कहा था: “प्रत्येक नागरिक की मौत एक त्रासदी है। बता दें कि हमास द्वारा इस्राईल के ज़रिए फ़िलिस्तीनी राष्ट्र पर दशकों से किए जा रहे पाश्विक हमलों के ख़िलाफ़ की गई जवाबी कार्यवाही के बाद अब पश्चिमी देशों का क्रूर और साम्राज्यवादी चेहरा खुलकर सामने आ रहा है।
इस बीच ब्रिटिश मीडिया ने बताया है कि इस देश के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली इस्राईल और ग़ाज़ा के बीच शांतिपूर्ण समाधान के लिए समर्थन मांगने के लिए आने वाले दिनों में मिस्र, तुर्किए और क़तर के नेताओं से भेंटवार्ता करेंगे। बता दें कि सुनक और क्लेवरली की यात्राएं बुधवार को बाइडन की इस्राईल की यात्रा के बाद हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन की इस्राईल यात्रा के बाद से आतंकी ज़ायोनी शासन ने ग़ाज़ा पर अपने हमलों को और तेज़ कर दिया है। ज्ञात रहे कि इस्राईल द्वारा ग़ाज़ा पर किए जा रहे पाश्विक हमलों में अब तक साढ़े तीन हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद और 12 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं। शहीद होने वालों में एक हज़ार से अधिक संख्या केवल मासूम बच्चों की है। जबकि नौ सौ से अधिक महिलाएं इस्राईल के हमलों में शहीद हो चुकी हैं। (RZ)
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