100 दिनों के बाद भी ग़ज़्जा में अपना कोई लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए नेतनयाहू
(last modified Sun, 14 Jan 2024 13:01:54 GMT )
Jan १४, २०२४ १८:३१ Asia/Kolkata

हमास के अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन ने अवैध ज़ायोनी शासन को पूरी तरह से पंगु बना दिया।

ग़ज़्ज़ा युद्ध को अब 100 दिन पूरे हो चुके हैं।  फ़िलिस्तीनियों के अलअक़सा तूफान ने उनके कड़े प्रतिरोध को पूरी दुनिया के सामने पेश किया है।  यह एसा प्रतिरोध है जिसके सामने अवैध ज़ायोनी शासन को पीछे हटना पड़ा है। 

आज 14 जनवरी 2024 है।  फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं ने ज़ायोनियों के अत्याचारों की प्रतिक्रिया में 7 अक्तूबर 2023 को अलअक़सा तूफ़ान नामक आपरेश आरंभ किया था।  यह अपने आप में फ़िलिस्तीनियों का एक विचित्र आपरेशन सिद्ध हुआ है।  इस आपरेशन में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक तकनीक और हथियारों से लैस ज़ायोनी शासन को स्तब्ध कर दिया।  ज़ायोनी शासन ने अमरीकी सरकार और कुछ पश्चिमी सरकारों के खुले समर्थन से ग़ज़्ज़ा पर हमला करके हालात को अपने हित में मोड़ने के प्रयास किये जो विफल रहे। 

हमास ने ज़ायोनी शासन और उसकी सेना के लिए हालात को बहुत ही दुश्वार बना दिया।  फ़िलिस्तीनियों के कड़े प्रतिरोध ने ज़ायोनियों को संघर्ष विराम के लिए विवश किया।  ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतनयाहू ने ग़ज्जा पर हमला करने से पहले हमास के विनाश और बहुत ही जल्दी विजय हासिल करने का दावा किया था।  यह वे दावे हैं जिनमें से एक भी अबतक हासिल नहीं हो पाया है।  ग़ज़्ज़ा युद्ध ज़ायोनी मंत्रीमण्डल में गंभीर मतभेदों का कारण बना।  नेतनयाहू की युद्धोन्मादी नीति, अवैध ज़ायोनी शासन के भीतर गंभीर आर्थिक संकट का कारण बनी है।  अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन के दुष्प्रभाव, केवल अवैध ज़ायोनी शासन के भीतर तक ही सीमित नहीं रहे हैं बल्कि इसने क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्नतों को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। 

यमन के प्रतिरोधकर्ताओं ने फ़िलिस्तीनियों का समर्थन करते हुए लाल सागर में ज़ायोनी शासन की ओर जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।  हमास के अलअक़सा तूफ़ान आपरेशन ने अवैध ज़ायोनी शासन और उसके सबसे बड़े समर्थक अमरीका को दुनिया भर में ज़लील कर दिया।  पूरी दुनिया विशेषकर अमरीका और यूरोपीय देशों में लोग प्रदर्शन करके फ़िलिस्तीनियों के प्रति अपना समर्थन दर्शा रहे हैं।  इसी बीच ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनियों के अपराधों को लेकर तेलअवीव और वाशिग्टन के बीच मतभेद भी पैदा हो गए हैं जबकि विगत में सामान्यतः एसा नहीं होता था। 

इसी बीच यह कहा जा रहा है कि दक्षिण अफ्रीका की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में अवैध ज़ायोनी शासन के अपराधों की शिकायत ने यह सिद्ध कर दिया है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनियों के अपराधों ने पूरे विश्व जनमत को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

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