Jun १०, २०२४ १५:३८ Asia/Kolkata
  • क्या नेतन्याहू लेबनान से बड़ा युद्ध करने की तैयारी कर रहे हैं? प्रतिरोध का क्या होगा जवाब?
    क्या नेतन्याहू लेबनान से बड़ा युद्ध करने की तैयारी कर रहे हैं? प्रतिरोध का क्या होगा जवाब?

इस्राईल ने दावा किया था कि उसने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह को पीछे धकेल दिया है लेकिन हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों पर यह साबित कर दिया कि उनके अधिकारी झूठ बोल रहे हैं और हिज़्बुल्लाह, इस्राईली सैनिकों की खोपड़ियों से कुछ मीटर की दूरी पर ही तैनात है। इस्राईल के ख़िलाफ़  हालिया दो ऑप्रेशनों से जो उसने कुछ मीटर की दूरी से ही अंजाम दिए, उनके दावों की पोल खुल जाती है।  

पार्सटुडे के शोध के मुताबिक, ज़्यादातर विशेषज्ञों का मानना ​​है कि युद्ध की संभावना नेतन्याहू पर निर्भर है, वह संकट में हैं और सभी मोर्चों पर काफ़ी दबावों का सामना कर रहे हैं।

यमन ने अपने हमलों का चौथा चरण शुरू कर दिया है और भूमध्य सागर में इस्राईली हितों को निशाना बनाया है।

वे अमेरिकी और ब्रिटिश सैन्य जहाज़ों को निशाना बनाना और उन्हें तबाह करना जारी रखे हुए हैं और नौसैनिक गठबंधन यमनियों को रोकने में सक्षम नहीं है। यमनी मोर्चे ने इलात बंदरगाह को पूरी तरह से बंद करवा दिया है, अब भूमध्य सागर को निशाना बना रहा है।

ग़ज़ा के मोर्चे पर भी इस्राईल को भारी नुक़सान हुआ है और कई अन्य इस्राईली सैनिकों को फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने पकड़ लिया है।

लेबनानी मोर्चे पर और इस्राईली के आंतरिक मोर्चे पर कई तनाव हैं, इस शासन के नेताओं के इस्तीफ़े और मध्यावधि चुनाव कराने की मांग को लेकर तेल अवीव की सड़कों पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय अदालत और इस अदालत द्वारा जारी किए गए फ़ैसले, विशेष रूप से इस्राईली शासन के प्रमुखों की गिरफ़्तारी के संबंध में, नेतन्याहू पर दबाव, एक हथकंडा बन गए हैं।

ग़ज़ा में युद्ध के रुकने से नेतन्याहू को कारावास और उनकी राजनीतिक गतिविधियों का अंत हो जाएगा और यह संभव है कि नेतन्याहू वर्तमान कठिन समय में आगे बढ़ने के लिए लेबनान पर हमला करने की कार्रवाई, उनके एजेंडे में शामिल है।

इस्राईल ने दावा किया था कि उसने लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह को पीछे धकेल दिया है लेकिन हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों पर यह साबित कर दिया कि उनके अधिकारी झूठ बोल रहे हैं और हिज़्बुल्लाह, इस्राईली सैनिकों की खोपड़ियों से कुछ मीटर की दूरी पर ही तैनात है। इस्राईल के ख़िलाफ़  हालिया दो ऑप्रेशनों से जो उसने कुछ मीटर की दूरी से ही अंजाम दिए, उनके दावों की पोल खुल जाती है।  

जब हम प्रतिरोध के वीडियोज़ की सावधानीपूर्वक जांच पड़ताल करते हैं और प्रतिरोध के लड़ाकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले हथियारों की प्रवृत्ति देखते हैं, तो हम पाते हैं कि ये हथियार क्लासिक और पुराने हथियार हैं जैसे कि बी7 मोर्टार, पिकासियर मशीन गन, कलाश्निकोव और तोपखाने वग़ैरह।

यह मैसेज यह ज़ाहिर करता है कि इन हथियारों से भी प्रतिरोध, इस्राईल के केंद्रों पर हमले कर सकता है और ज़ायोनी सैनिकों को तबाह कर सकता है और उन्हें बंदी भी बना सकता है।

लेबनानी जनरलों के अनुसार, उन्होंने इस्राईल को यह पैग़ाम दिया कि यदि वह लेबनान पर हमला करने का इरादा रखता है तो प्रतिरोध उसे वर्ष 2000 से पहले के दिनों में पहुंचाने को तैयार है और उनके कमांड और सैन्य केंद्रों पर बड़े पैमाने पर हमले होंगे। लेबनानी प्रतिरोध ने हाल ही में इस्राईल के दूसरे हर्मीस 900 ड्रोन को मार गिराया है।

इस कार्रवाई से हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल को संदेश भेजा है कि वह 30 हज़ार फ़िट की ऊंचाई पर उड़ रहे हर्मीस विमानों को निशाना बना सकता है और इस तरह वह अपने एंटी-एयरक्राफ्ट से इस्राईली F-16, F-15 और F-35 लड़ाकू विमानों को भी निशाना बनाने में पूरी तरह सक्षम है।

लेबनानी प्रतिरोध द्वारा भेजा गया संदेश, इस्राईल के लिए रक्षात्मक संदेश है, इस बात को ध्यान में रखते हुए, यदि आप लेबनान में सैन्य कार्रवाई  शुरू करना चाहते हों तो हमारे पास कुछ आश्चर्य में डाल देने वाली चीज़ें हैं जो आपको पछताने पर मजबूर कर देंगी।

मेहर न्यूज़ से बात करते हुए ब्रिगेडियर जनरल और लेबनानी सैन्य अदालत के पूर्व प्रमुख मुनीर शहादा का कहना था कि इस्राईल ने अपनी 85 से अधिक सैन्य क्षमताओं का उपयोग मात्रात्मक नहीं बल्कि गुणात्मक आयामों से कर लिया है और अब वह परमाणु बम और रासायनिक हथियारों के प्रयोग के अलावा कुछ और नहीं कर सकता क्योंकि उसने अपने सभी बड़े हथियारों का इस्तेमाल ग़ज़ा और लेबनान में कर लिया है।

दूसरी ओर, लेबनान के हिज़बुल्लाह संगठन ने अपनी क्षमताओं का एक छोटा सा हिस्सा इस्तेमाल किया है जो उसकी क्षमता का 25 प्रतिशत  से भी कम है और उसके पास हैरान करने वाली और आश्चर्य में डालने वाली बहुत सी चीज़ें हैं।

ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री और अन्य इस्राईली अधिकारियों द्वारा लेबनान को 80 से अधिक बार धमकी दी गई है लेकिन ज़ायोनियों को लेबनान के ख़िलाफ़ किसी भी शत्रुतापूर्ण कार्रवाई के परिणाम अच्छी तरह से पता है।

हिज़्बुल्लाह के राजनैतिक दल के प्रमुख मोहम्मद राद सहित लेबनानी नेताओं ने एलान कर दिया है कि अगर इस्राईल ने मूर्खता की और दक्षिणी लेबनान में सैन्य अभियान शुरू किया तो प्रतिरोध ज़ायोनियों को सूरज की रोशनी देखने तक नहीं देगा।

स्वाभाविक सी बात है कि यह एक शायराना प्रतिक्रिया और जवाब है और इसका मतलब यह है कि इस्राईल पर दाग़ी जाने वाली मिसाइलों की संख्या बहुत ज़्यादा होगी और ये मिसाइलें, जो बैलिस्टिक और पिन प्वाइंट मिसाइलें हैं,फ़ायर होते ही कई रणनीतिक लक्ष्यों को तबाह कर देंगी।

 

कीवर्ड्स: इस्राईल-लेबनान युद्ध, हिज़्बुल्लाह की ताक़त, लेबनान का नज़रिया, हिज़्बुल्लाह की आडियालाजी, ईरान-इस्राईल युद्ध

 

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