साइप्रेस ग़ज़ा के ख़िलाफ़ कार्यवाही ठिकाना बन गया हैः तुर्किये
पार्सटुडे- तुर्किये के विदेशमंत्री ने साइप्रेस को चेतावनी देते हुए इस देश से कहा है कि वह ज़ायोनी सरकार के साथ सैनिक और इंटेलिजेन्स सहयोग करने से परहेज़ करे।
तुर्किये के विदेशमंत्री हाकान फ़ीदान ने मंगलवार को कहा कि साइप्रेस ग़ज़ा के ख़िलाफ़ ठिकाना बन गया है। उन्होंने साइप्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि अगर तुम पश्चिमी एशिया के संकटों में युद्ध का एकपक्ष बन जाओगे तो युद्ध की आग तुम्हें भी अपनी लपेट में ले लगी।
पार्सटुडे की रिपोर्ट अनुसार फ़ीदान ने कहा कि तुर्किये ने आरंभ में ही यूरोप और साइप्रेस के अधिकारियों को ज़रूरी चेतावनी दी थी।
तुर्किये के विदेशमंत्री ने कहा कि साइप्रेस में हथियारों से लैस किये जाने के संबंध में गम्भीरता से काम हो रहा है और इसे रोका जाना चाहिये कि ताकि पश्चिम एशिया तक कोई चीज़ न पहुंच सके।
तुर्किये, साइप्रेस को यूरोपीय संघ के सदस्य के रूप में मान्यता नहीं देता
तुर्किये के विदेशमंत्री द्वारा साइप्रेस को चेतावनी देने से पहले लेबनान के हिज़्बुल्लाह आंदोलन के महासचिव सैयद हसन नस्रुल्लाह ने अभी हाल ही में साइप्रेस को ज़ायोनी सरकार के साथ सहयोग के बारे में चेतावनी दी थी।
सैयद हसन नस्रुल्लाह ने पिछले बुधवार को इस्राईल के साथ सहयोग करने के कारण साइप्रेस को चेतावनी देते हुए कहा था कि हम साइप्रेस की सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर उसने अपने हवाई अड्डों और छावनियों को लेबनान को लक्ष्य बनाने के लिए इस्राईल के अधिकार में दिया तो ये केन्द्र हमारे निशाने के एक भाग होंगे।
इसी प्रकार उन्होंने कहा था कि हम ग़ज़ा का समर्थन और उसकी मदद जारी रखेंगे और हम समस्त संभावनाओं के लिए तैयार हैं और कोई भी चीज़ हमें अपने दायित्वों के निर्वाह से नहीं रोक सकती।
ज़ायोनी सरकार ने 7 अक्तूबर 2023 से पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के निहत्थे और मज़लूम लोगों का बड़े पैमाने पर नरसंहार और हत्या आरंभ कर रखी है।
ताज़ा रिपोर्टों के अनुसार ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 37718 हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद जबकि 86377 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल भी हुए हैं।
ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी योजना के तहत ज़ायोनी सरकार का बुनियादी ढांचा वर्ष 1917 में तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों से यहूदियों व ज़ायोनियों को फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में लाकर बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार के अवैध व ग़ैर क़ानूनी अस्तित्व की घोषणा कर दी गयी और तब से लेकर आज तक फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा जारी है। MM
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