पश्चिमी राजनेता किस तरह से इज़राइल की हत्या मशीन के लिए समय खरीदते हैं?
(last modified Tue, 17 Sep 2024 10:56:05 GMT )
Sep १७, २०२४ १६:२६ Asia/Kolkata
  • टोनी ब्लेयर और नेतन्याहू
    टोनी ब्लेयर और नेतन्याहू

पार्सटुडे - कई विश्लेषकों का मानना ​​है कि पश्चिमी नेताओं को जवाबदेह ठहराने में नाकामी, जिसमें टोनी ब्लेयर जैसे लोग भी शामिल हैं और जिन पर इराक़ युद्ध के दौरान समान जिम्मेदारियां थीं, केवल हिंसा को बढ़ावा देंगी।

ग़ज़ा युद्ध में ब्रिटिश भूमिका से जुड़ी जांच के दौरान ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के एक पूर्व सलाहकार ने नया दावा किया है। पार्सटुडे के अनुसार, इस सलाहकार ने घोषणा की कि पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को चेतावनी मिली थी कि इज़राइल ने विदेशमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून (आईएचएल) का उल्लंघन किया था, हालाकि, कैमरन ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की।

इस सूत्र ने बताया कि ब्रिटिश विदेश मंत्रालय को चेतावनी दी गई थी कि अगर इजराइल को हथियारों का निर्यात नहीं रोका गया तो ब्रिटेन को युद्ध अपराधों में भागीदार माना जा सकता है। जनवरी में, जब क़ानूनी सलाह के बारे में पूछा गया, तो कैमरन ने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि उन्हें कौन से दस्तावेज़ पेश किए थे। उन्होंने इस बात पर भी संदेह व्यक्त किया कि क्या इज़राइल को क़ब्ज़ा करने वाली शक्ति के रूप में पहचाना जाएगा।

इन अनसुलझे जवाबों और ज़िम्मेदारियों स्वीकार करने से इनकार की वजह से  इस बात की जांच के लिए हौसला मिला कि कैमरन क्या जानते थे और उन्होंने क्या किया या क्या नहीं किया?

अहम सवाल यह है:

 

अगर ब्रिटेन ने समय रहते हथियारों के निर्यात वाले लाइसेंस बंद कर दिए होते तो कितनी जानें बच जातीं?

 

ब्रिटिश विदेश मंत्रालय के एक सलाहकार ने बताया है कि महीनों की चेतावनियों और सबूतों के बाद, सितम्बर में हथियारों के निर्यात पर रोक, देर से लगाई गई।

इस सलाहकार ने कहा कि इस तरह के कामों से इज़राइल के साथ हथियारों के व्यापार पर अन्य देशों द्वारा कड़ी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा सकती हैं।

साथ ही, ब्रिटिश विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि "क़ैदियों के साथ दुर्व्यवहार" और इज़राइल द्वारा मानवीय सहायता के आज़ाद रास्ते की अनुमति न देने के विश्वसनीय सबूतों के बावजूद, वे अभी तक इजरायली युद्ध के तरीके से संबंधित आरोप लगाने के बारे में कोई निश्चित निर्णय नहीं ले पाए हैं।

इस बीच, कई लोग और विशेषज्ञ ग़ज़ा में मानवीय त्रासदियों की तस्वीरें और वीडियो रोजाना देखते हैं और ऐसे बयानों को अस्वीकार्य बताते हैं। इस संबंध में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैट मिलर और वेदांत पटेल ने ग़ज़ा में अपराधों के बारे में पत्रकारों को बार-बार अस्पष्ट जवाब दिए हैं।

हिंद रजब की हत्या से लेकर, बेकरियों में बड़े पैमाने पर हत्याएं, अस्पतालों के पास सामूहिक क़ब्रों का पता लगना और सफेद झंडों के साथ मार्च कर रहे लोगों की शूटिंग, इन सभी घटनाओं के बारे में दोहरायी गयी थी कि "इजरायल जांच कर रहा है"। इस तरह की प्रतिक्रिया आवश्यक अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई में देरी करने और जनता की राय को गुमराह करने का एक स्पष्ट प्रयास है।

दूसरी ओर, इज़राइल के अंदर सज़ा से आज़ादी की संस्कृति ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ कठोर और धमकी भरे माहौल को मजबूत कर दिया है। हालिया महीनों में, फिलिस्तीनियों की पीड़ा में आनंद लेने के बारे में इजराइली नेताओं के बयानों ने मीडिया और मानवाधिकार ग्रुप्स का ध्यान आकर्षित कर लिया है।

मिसाल के तौर पर, "टू गुड ज्यूइश बॉयज़" नामक एक इज़राइली पॉडकास्ट पर नेवर मेनिंगर और एथन वेनस्टीन ने ऐसे बयान दिए जिससे व्यापक स्तर पर आक्रोश फैल गया।

उन्होंने कहा: जब आप कंसर्ट में डांस कर रहे होते हैं तो आप यह जानकर अच्छा महसूस करने से खुद को नहीं रोक पाते कि ग़ज़ा के हजारों लोग बेघर हो गए हैं, यह कंसर्ट प्रोग्राम को और भी मनोरंजक बना देता है।

ये बयान, ग़ज़ा के पूर्ण विनाश की सोच के बारे में अन्य बयानों के साथ, युद्ध अपराधों और नरसंहार के खतरों के बारे में बढ़ती चिंताओं को दर्शाते हैं।

हालांकि बाद में उन्होंने दावा किया कि उनके शब्द नरसंहार का समर्थन करने के लिए नहीं थे, अन्य इजराइली अधिकारियों के सर्वेक्षण और बयानों से पता चलता है कि ये विचार इजराइली समाज में व्यापक स्तर पर फैले हुए हैं।

इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICJ) में भी लाया गया है। दक्षिण अफ़्रीका द्वारा इज़राइल के ख़िलाफ़ लाए गए मुकदमों में, इज़राइली अधिकारियों के धमकी भरे बयानों को प्राथमिक सबूत के रूप में पेश किया गया है।

 

मिसाल के तौर पर, एक इजराइली सार्वजनिक सर्वे के दौरान, 7 अक्टूबर के हमलों के कई पीड़ितों ने फ़िलिस्तीनियों के पूर्ण विनाश का आह्वान किया।

 

साथ ही, 7 अक्टूबर को दो यहूदी लड़कों के ट्वीट में लिखा था: ग़ज़ा में इमारतें अभी भी क्यों खड़ी हैं? और "ग़ज़ा को धरती से मिटा देना चाहिए, न हमास, न ग़ज़ा।

इन घटनाओं के दृष्टिगत, कई विश्लेषकों का मानना ​​है कि पश्चिमी नेताओं को जवाबदेह ठहराने में नाकामी, जिसमें टोनी ब्लेयर जैसे लोग भी शामिल हैं और जिन पर इराक़ युद्ध के दौरान समान जिम्मेदारियां थीं, केवल हिंसा को बढ़ावा देंगी। ग्रेनफ़ेल पर एक रिपोर्ट जारी करने के बाद जिसमें पाया गया कि आपदा को रोका जा सकता था, ब्लेयर ने कहा कि कोई भी सिस्टम इंसानी ग़लती को नहीं रोक सकती लेकिन कई लोगों के लिए, ऐसे बयान युद्ध अपराधों और मानवीय आपदाओं के लिए ग़ैर-ज़िम्मेदारी और जवाबदेही की कमी को उचित ठहराने की सिर्फ़ एक छोटी सी कोशिश है।

 

कीवर्ड्ज़: पश्चिम और इज़राइल, ग़ज़ा युद्ध, टोनी ब्लेयर कौन हैं, इज़राइली शासन (AK)

 

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