सोशल मीडिया पर "दो सैयद अली हमारी इज़्ज़त" हैशटैग ट्रेंड कर रहा है, दुश्मन परेशान
सोशल मीडिया पर आजकल ऐसा हैशटैग ट्रेंड कर रहा है जिससे दुश्मन बुरी तरह जल रहे हैं।
सोशल मीडिया यूज़र्स ने "दो सैयद अली हमारी इज़्ज़त के सेम्बल" हैशटैग जारी किया है जिसकी चर्चा ख़ूब हो रही है जबकि दुश्मन बुरी तरह जल रहे हैं।
सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस हैशटैग में लिखा कि दुश्मनी के बीज बोने वाले ईरान और इराक़ दो राष्ट्रों के बीच जो एक दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर वहाबी आतंकी गुट दाइश से लड़ रहे हैं, मतभेद के बीज कभी भी नहीं बो सकते।
मुहम्मद अलहम्द लिखते हैं कि अमरीका इराक़ में अराजकता फैलाकर इराक़ को आतंरिक युद्ध में झोंकना चाहता है।
एलिया लिखते हैं कि सैयद सीस्तानी ने दाइश से इराक़ को बचाने के लिए जेहाद का फ़त्वा दिया और इमाम ख़ामेनेई ने इस फ़त्वे पर लब्बैक कहते हुए इराक़ का समर्थन किया और इस तरह आतंकवाद पर विजय हासिल हुई और देश की धरती की इज़्ज़त बची।
मुस्तफ़ा ट्वीट में लिखते हैं कि स्वभाविक सी बात है कि अमरीका और इस्राईल, वरिष्ठ धर्मगुरुओं को निशाना बना रहे हैं क्योंकि इन दोनों वरिष्ठ धर्मगुरुओं ने उनके षड्यंत्रों पर पानी फेर दिया।
ज़हरा जमाल ने उन लोगों को जो धार्मिक नेतृत्व और विलायत में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं, ज़ायोनी एजेन्ट क़रार दिया है।
सीस्तानी नामक यूज़र लिखता है कि जनरल क़ासिम सुलैमानी को भावभीनी श्रद्धांजलि जो इराक़ की धरती पर अमरीका के हाथों शहीद हुए।
अलमूसवी नामक यूज़र ट्वीट करता है कि सैयद अली सीस्तानी और सैयद अली ख़ामेनेई पर इस्राईल और अमरीका के हमलों का लक्ष्य, एक शीया धर्मगुरु को निशाना बनाना नहीं बल्कि उनका लक्ष्य, धार्मिक नेतृत्व को ही समाप्त करना है, क्योंकि उनकी शैली तकफ़ीरी है। (AK)
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