कोरोना से मौतें, नये आंकड़ों से दुनिया का माथा घूमा, 1950 से लेकर अब तक हुए युद्धों में...
(last modified Tue, 02 Nov 2021 09:15:17 GMT )
Nov ०२, २०२१ १४:४५ Asia/Kolkata
  • कोरोना से मौतें, नये आंकड़ों से दुनिया का माथा घूमा, 1950 से लेकर अब तक हुए युद्धों में...

 कोरोना वायरस के कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या सोमवार पहली नवम्बर को 50 लाख के पार चली गई।

कोविड-19 महामारी ने दो वर्ष से भी कम समय में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान ली है और संक्रामक रोग ने न सिर्फ़ ग़रीब देशों को प्रभावित नहीं किया है, बल्कि समृद्ध राष्ट्रों में भी तबाही मचाई है, जहां स्वास्थ्य देखभाल की उत्तम व्यवस्था है।

अमरीका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और ब्राजील उच्च मध्यवर्गीय उच्च आय वाले देश हैं और इनमें विश्व की जनसंख्या का आठवां हिस्सा रहता है, लेकिन कोविड से हुई मौतों में से आधी इन्हीं देशों में हुई हैं, अमरीका में सबसे ज्यादा 7 लाख 40 हज़ार से अधिक जाने गई हैं।

मृतक संख्या का संकलन जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय ने किया है। अमरीका के इस विश्वविद्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 24 करोड़ 71 लाख 29 हज़ार 785 हो गए हैं और अब तक 50 लाख 5 हज़ार 638 लोगों की जान जा चुकी है।

‘पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओसलो’ के अनुसार 1950 से लेकर अब तक हुए युद्ध में करीब इतने ही लोगों की मौत हुई है, जितने इस महामारी से मरे हैं। कोविड-19 विश्व भर में हृदयाघात और मस्तिष्काघात के बाद मौत की तीसरी प्रमुख वजह है।

मृतकों का यह आंकड़ा निश्चित रूप से कम गिना गया है क्योंकि सीमित संख्या में लोगों की जांच हुई है और लोगों की बिना उपचार के घर पर ही मौत हुई है, ख़ासकर, भारत जैसे दुनिया के अल्प विकसित हिस्सों में।

वायरस अब रूस, यूक्रेन और पूर्वी यूरोप के अन्य हिस्सों में फैल रहा है, जहां अफ़वाह और सरकार में विश्वास की कमी की वजह से टीकाकरण प्रभावित हुआ है, यूक्रेन में सिर्फ़ 17 प्रतिशत वयस्क जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हुआ है जबकि अर्मेनिया में यह संख्या सात प्रतिशत है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य केंद्र आईसीएपी की निदेशक डॉ. वफा अल सद्र ने कहा कि इस महामारी ने उच्च आय वाले देशों को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

उन्होंने कहा कि समृद्ध देशों में लंबी जीवन प्रत्याशा होती है, जिस वजह से आबादी में वृद्धों, कैंसर पीड़ितों की संख्या अधिक होती है और इन्हें कोविड-19 होने का अधिक खतरा है।

अल सद्र ने कहा कि ग़रीब देशों की आबादी में बच्चों, किशोरों और युवाओं का हिस्सा अधिक होता है और उनके कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना कम रहती है।

बहरहाल, मई की शुरुआत में भारत में कोरोना वायरस के मामले चरम पर थे, लेकिन देश में अब मृतक संख्या कम रिपोर्ट हो रही है। यह दर रूस, अमरीका और ब्रिटेन से कम भी है लेकिन उसके आंकड़ों पर अनिश्चितता है।

समृद्ध देशों में संक्रमण और मौत के मामलों को देखा गया तो यह ग़रीब इलाकों से अधिक थे, समृद्धि ने वैश्विक टीकाकरण अभियान में भी अहम भूमिका निभाई है और अमीर देशों पर आरोप लगा है कि उन्होंने टीके की आपूर्ति बाधित की है।

अमरीका और अन्य देश टीके की वर्धक ख़ुराकें अपनी आबादी को दे रहे हैं जबकि अफ्रीका में लाखों लोगों को टीके की पहली खुराक तक नसीब नहीं हुई है, हालांकि समृद्ध देशों ने दुनियाभर में टीके भेजे हैं।

अफ़्रीक़ा की 1.3 अरब की आबादी में से सिर्फ पांच प्रतिशत का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। (AK)

 

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