आज़रबाइजान सरकार अपने ही देश में धार्मिक लोगों को क्यों निशाना बना रही है?
(last modified Mon, 06 Feb 2023 11:13:28 GMT )
Feb ०६, २०२३ १६:४३ Asia/Kolkata
  • आज़रबाइजान सरकार अपने ही देश में धार्मिक लोगों को क्यों निशाना बना रही है?

आज़रबाइजान के प्रशासनिक ढांचे और सरकार में विदेशियों की व्यापक उपस्थिति के बाद, इस देश की मीडिया में शिया मुस्लिम विरोधी प्रचार, अभूतपूर्व तरीक़े से तेज़ हो गया है।

आज़रबाइजान में इलहाम अलीओफ़ की सरकार ने ईरान को प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाने के मक़सद से धार्मिक हस्तियों को जासूसी के आरोपों में गिरफ़्तार करना शुरू कर दिया है। हालांकि ईरान की न केवल अपने पड़ोसी देश के लोगों से कोई दुश्मनी नहीं है, बल्कि तेहरान ने हमेशा आज़रबाइजान गणराज्य की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय हितों का सम्मान किया है और वह दक्षिण काकेशस क्षेत्र में उसके हितों का समर्थन करता रहा है।

बाकू के अधिकारियों के व्यवहार से संबंधित एक निर्विवाद तथ्य यह है कि इलहाम अलीओफ़ के परिवार ने ईरान पर दबाव बनाने के लिए हमेशा अपने ही धार्मिक लोगों को निशाना बनाने की कोशिश की है। बाकू सरकार हमेशा ही अपने देश में धार्मिक लोगों पर यह आरोप लगाती रही है कि वे ईरान का बढ़चढ़कर समर्थन करते हैं।

आज़रबाइजान के अधिकारी, इस वास्तविकता को भी बेहतर तरीक़े से समझते हैं कि आज़रबाइजान की मुस्लिम जनता, इलहाम अलीओफ़ की सरकार से बेहतर ढंग से ग़लत और सही में अंतर करना जानती है। इस देश की वफ़ादार और धार्मिक जनता ने, सोवियत संघ के अधिक दबाव के बावजूद अपने शिया धर्म की सुरक्षा की। इसके बावजूद, अलीओफ़ सरकार जनता के धर्म को अन्य धार्मिक संप्रदायों और यहां तक ​​कि नस्लवादी ज़ायोनी शासन के सामने कमज़ोर बनाना चाहती है। स्पष्ट है यह साज़िश कभी भी साकार नहीं होगी और यह हावन दस्ते में पानी को कूटने जैसा है। इस संबंध में आज़रबाइजान के अभियोजक कार्यालय के पूर्व इंस्पेक्टर वदादी इस्कंदरओफ़ का कहना हैः आज़रबाइजान के लोग तंग आ चुके हैं। वर्तमान में देश में सबसे दुखी लोगों में सबसे पहले सैनिक हैं। दूसरी श्रेणी में असंतुष्ट धार्मिक लोग हैं और तीसरे नम्बर पर असंतुष्ट सामान्य लोग हैं।

सच्चाई यह है कि आज़ारबाइजन की जनता और विशेष रूप से सैन्य अधिकारी, इस्राईल से सरकार के सहयोग और संबंधों को लेकर नाराज़ हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि आज़रबाइजान में धार्मिक लोगों की धर पकड़ और उन्हें सलाख़ों के पीछे धकेलने से न सिर्फ़ बाकू की समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकलेगा, बल्कि लोगों में अपनी सरकार को लेकर नाराज़गी और बढ़ेगी।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि आज़रबाइजान में शिया मुसलमानों को गिरफ़्तार करने की नई लहर बहुत व्यापक है, यहां तक कि इसे बहरीन में शिया मुसलमानों को जेलों में ठूसने से भी अधिक व्यापक बताया जा रहा है। इसके बावजूद, मानवाधिकार संगठन चुप्पी साधे हुए हैं और बाकू बहुत ही ख़ामोशी से लेकिन बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का हनन करने में व्यस्त है।

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