Jul ३१, २०२३ १६:०० Asia/Kolkata

लंदन के केन्द्र में गूंजे लैब्बैक या क़ुरआन, लब्बैक या हुसैन, लब्बैक या महदी के नारे और पढ़ा गया ईरान का मशहूर तराना सलाम फ़रमानदेह...इस बड़ी सभा में वक्ताओं ने कहा कि क़ुरआन और पैग़म्बर के परिजन, आख़िरी रसूल की यादगारें और इंसानों की नजात का माध्यम हैं।

क़ुरआन के सपोर्ट में आज जन मानस विशेष युवाओं के प्रदर्शन पश्चिमी यूरोप में अधिक व्यापक रूप धारण कर चुके हैं।......युवा प्रदर्शनकारी का कहा था कि हम क़ुरआन का सपोर्ट करते हैं। यह अहले बैते रसूल के साथ दरअस्ल पैग़म्बर की सबसे अनमोल यादगारें और ख़ज़ाने हैं। इसलिए क़ुरआन के अपमान को रोकना सब की ज़िम्मेदारी है।.....क़ुरआन की बेअदबी बड़ी अमानवीय हरकत है जिससे इस घटिया हरकत को अंजाम देने वालों और इसका समर्थन करने वालों की मूर्खता झलकती है। एक प्रदर्शनकारी का कहना था कि नजात का ज़रिया कुरआन की शिक्षाओं पर अमल करना और अहलेबैत के रास्ते पर चलना है। इसलिए हम क़ुरआन के सम्मान और प्रतिष्ठा का बचाव करते हैं।......अलग अलग देशों के मुसलमान लंदन इमामबारगाह के कार्यक्रम में यह बात साफ़ शब्दों में कह रहे थे कि क़ुरआन का इस तरह अपमान दरअस्ल दो अरब मुसलमानों के ख़िलाफ़ जंग का एलान है और इस प्रकार की हरकतों पर अंकुश लगाने के लिए इस्लामी जगत की ठोस प्रतिक्रिया के लिए अपने अपने समर्थन का एलान कर रहे थे। लंदन से आईआरआईबी के लिए मुजतबा क़ासिम ज़ादे की रिपोर्ट

 

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