Aug ०४, २०२३ १४:०७ Asia/Kolkata
  • क़ुरआन का अपमान मना करने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सीमित नहीं होतीः डेनमार्क

डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने कहा है कि पवित्र किताबों का अपमान मना करने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित नहीं होती है।

समाचार एजेन्सी फार्स की रिपोर्ट के अनुसार डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने गुरूवार को कहा कि कुरआन जैसी पवित्र किताबों के अपमान को मना करने से बयान की आज़ादी सीमित नहीं होती है। मेटे फ्रेडरिक्सन ने अपने देश में पवित्र कुरआन का अनादर किये जाने के बाद एक साक्षात्कार में यह बात कही।

गुरूवार को प्रकाशित होने वाले साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि मैं नहीं समझती कि दूसरों की किताबों को न जलाने से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होगी। डेनमार्क में पवित्र कुरआन का अनादर जारी है और गुरूवार को भी एक अतिवादी व्यक्ति ने इस पवित्र किताब का अनादर किया। मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा कि सुरक्षा खतरे मौजूद हैं और साथ ही यह खतरा भी मौजूद है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम अलग -थलग न पड़ जायें विशेषकर इसलिए कि इस समय यह मामला समस्याजनक हो गया है।

ज्ञात रहे कि पिछले 28 जून को उस वक्त पवित्र कुरआन का अनादर आरंभ हुआ था जब स्वीडन में एक 37 वर्षीय इराकी शरणार्थी ने इस देश की राजधानी में पवित्र कुरआन को जलाया और इस घृणित कार्य में उसे स्वीडन की पुलिस का पूरा समर्थन प्राप्त था और उसके लगभग तीन सप्ताह बाद 20 जुलाई को इस घिनौने कृत्य की पुनरावृत्ति की गयी और उसके अगले दिन यानी 21 जुलाई को एक अतिवादी ने डेनमार्क की राजधानी में इराकी दूतावास के सामने पवित्र कुरआन का अनादर किया।

इसी प्रकार 24 और 25 जुलाई को भी इस शैतानी कार्य को दोहराया गया। 31 जुलाई को भी इराकी शरणार्थी ने स्वीडन की संसद के सामने पवित्र कुरआन का अनादर किया।

उल्लेखनीय है कि पवित्र कुरआन के अनादर की प्रतिक्रिया में स्वीडन के विदेशमंत्रालय ने 30 जुलाई को अपने एक बयान में दावा किया था कि वह इस्लाम विरोधी हर प्रकार की कार्यवाही को रद्द करता है और कुरआन या दूसरी पवित्र किताबों का अनादर, अपमानजनक था। MM

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