Aug ०७, २०२३ १५:४८ Asia/Kolkata
  • एक और युद्ध के लिए तैयार हो जाए दुनिया, रूस ने अमेरिका को दी कड़ी चेतावनी, अमेरिका के पैरों के नीचे से खिसकती ज़मीनें!

सैन्य तख़्तापलट के बाद से नाइजर वैश्विक शक्तियों के बीच जंग का मैदान बना हुआ है। इस देश पर क़ब्ज़े के लिए रूस और अमेरिका ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया है। मामला इतना गंभीर है कि नाइजर पर अमेरिका समर्थक पड़ोसी देशों का गठबंधन कभी भी हमला कर सकता है। हालांकि, रूस ने नाइजर के ख़िलाफ़ किसी भी सैन्य कार्यवाही के ख़िलाफ़ गंभीर अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दे दी है।

नाइजर में 26 मई को सैन्य तख़्तापलट हुआ था। इसमें राष्ट्रपति गार्ड के कमांडर जनरल अब्दुर्रहमान चियानी  ने नाइजर के राष्ट्रपति मोहम्मद बाज़ूम को अपदस्थ कर सत्ता पर क़ब्ज़ा जमा लिया था। इसके बाद से ही नाइजर के आम लोग रूस और चीन के झंडों के साथ जश्न मना रहे हैं। इस दौरान पूरे नाइजर में बड़ी संख्या में अमेरिका और फ्रांस विरोधी प्रदर्शन भी हुए हैं। नाइजर के लोग इसे दूसरी आज़ादी बता रहे हैं। उनका दावा है कि नाइजर पश्चिम की दासता से वास्तविक तौर पर अब आज़ाद हुआ है। अफ़्रीक़ा के ही बुर्किना फासो और माली जैसे देश खुलकर रूस के समर्थन में नाइजर की मदद कर रहे हैं। ऐसे में नाइजर के ख़िलाफ़ जारी युद्ध के पूरे अफ़्रीक़ा में फैलने की आशंका है। अब सवाल उठ रहा है कि वर्षों से उपेक्षा का शिकार नाइजर में ऐसा क्या है, जिसे पाने के लिए अमेरिका और रूस मरने-मारने को उतारू हैं। अफ़्रीक़ा में अमेरिका के दोस्त माने जाने वाले पश्चिमी अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय इकोवास (ECOWAS) ने नाइजर के ख़िलाफ़ सैन्य शक्ति के इस्तेमाल की धमकी दी है। इकोवास के सदस्य देशों में बेनिन, बुर्किना फासो, काबो वर्डे, कोटे डी आइवर, गाम्बिया, घाना, गिनी, गिनी बिसाऊ, लाइबेरिया, माली, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सेनेगल और टोगो शामिल हैं।

इकोवास की वर्तमान में अध्यक्षता नाइजीरिया के पास है। इस बीच नाइजीरिया के राष्ट्रपति मोहम्मद बाज़ूम ने अपने देश की संसद से नाइजर के ख़िलाफ़ सैन्य कार्यवाही पर सहमति मांगी है। दूसरी और अफ़्रीकी संघ भी अमेरिका के साथ क़दम में क़दम मिलाते हुए नाइजर के ख़िलाफ़ आग बबूला है। नाइजर चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ देश है। यह पश्चिम अफ़्रीक़ा में अल्जीरिया के दक्षिण पूर्व में स्थित है। इस देश का कुल क्षेत्रफल 1,267,000 वर्ग किलोमीटर है। नाइजर 1960 में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना था। यह देश जातीय अशांति, गंभीर सूखे की स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता से ग्रस्त है और इसे दुनिया के सबसे ग़रीब देशों में से एक माना जाता है। बढ़ती जनसंख्या भी इस देश की मुसीबतें बढ़ा रही है। नाइजर की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है क्योंकि यह सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत  हिस्सा है। नाइजर की लगभग 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद नाइजर प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ है। नाइजर पर क़ब्ज़े के लिए मची खींचतान के पीछे इसी को ज़िम्मेदार माना जा रहा है। नाइजर के प्राकृतिक संसाधनों में यूरेनियम, कोयला, सोना, लौह अयस्क, टिन, फॉस्फेट, पेट्रोलियम, मोलिब्डेनम, नमक और जिप्सम शामिल हैं। इस बीच टीकाकारों का मानना है कि अमेरिका की स्थिति अब धीरे-धीरे ब्रिटेन की तरह होती जा रही है। दुनिया भर के वे देश जो उसके प्रभाव में थे अब आज़ाद होकर सरकारें चलाना चाह रहे हैं। यही कारण है कि अमेरिका के पैरों के नीचे से अब ज़मीन खिसकती जा रही है।

नाइजर के पास दुनिया का सबसे बड़ा यूरेनियम भंडार है। नाइजर के पास तेल का भी अच्छा भण्डार है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नाइजर स्थित रहा तो आने वाले दशक में इसके पास अफ़्रीक़ा का सबसे ताक़तवर देश बनने के सभी गुण मौजूद हैं। 2010 में, नाइजर दुनिया में यूरेनियम का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक था और दुनिया के कुल उत्पादन में इसका योगदान लगभग 7.8 फ़ीसद था। हालांकि, यूरेनियम की क़ीमत में लगातार उतार-चढ़ाव नाइजर की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का कारण बनता है। खनन क्षेत्र कोयला, सोना, चांदी, चूना पत्थर, सीमेंट, जिप्सम, नमक और टिन जैसी अन्य खनिज वस्तुओं के उत्पादन में भी शामिल था। नाइजर के समीरा हिल खदान का स्वामित्व कनाडा के सेमाफो इंक के पास था। इस खदान की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी कनाडा की कंपनी के पास है, वहीं नाइजर सरकार के पास 20 फ़ीसद हिस्सेदारी है। समीरा हिल खदान देश में एकमात्र औद्योगिक सोने का खनन किया जाता है। इस खदान से 2009 में 1,770 किलोग्राम और 2010 में 1,596 किलोग्राम सोना निकाला गया था। सेमाफो ने समीरा हिल में दो नए सोने के क्षेत्र लिबडोरैडो नॉर्थवेस्ट और बौलोन जौंगा नॉर्थ का पता लगाने का दावा किया है। (RZ)

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