Sep ३०, २०२३ १५:४४ Asia/Kolkata

ईदे मीलादुन्नबी के जुलूस में होने वाले विस्फोट के कुछ ही समय के बाद शुक्रवार को बलूचिस्तान प्रांत में दो आत्मघाती हमले किये गए।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मस्तुंग ज़िले में शुक्रवार को किये गए आत्मघाती हमले में दसियों लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।  यह आत्मघाती हमला ईदे मीलादुन्नबी के अवसर पर उठने वाले प्रोग्राम में अल फ़लाह रोड पर स्थित मदीना मस्जिद के पास किया गया जिसमें कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई है। 

पाकिस्तान के संचार माध्यमों के अनुसार यह आत्मघाती हमला बहुत ही सुनियोजित ढंग से किया गया जिसका उद्देश्य, पाकिस्तान में धार्मिक मतभेद फैलाना है।  इस हमले बड़े पैमाने पर निंदा की जा रही है।  इस संदर्भ में राजनीतिक मामलों के एक टीकाकार अब्बास ख़टक कहते हैं कि ईदे मीलादुन्नबी के अवसर पर मुसलमानों के जूलूस पर आत्मघाती हमला, पाकिस्तान की शांति एवं सुरक्षा को चोट पहुंचाने के लिए किया गया लगता है।  इसी के साथ इसका उद्देश्य धार्मिक मतभेद को भी हवा देना हो सकता है।  यह एक अमानवीय हमला था। 

खेद की बात यह है कि यह हमला उस समय किया गया जब हज़ारों की संख्या में मुलसमान अपने पैग़म्बर के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर भव्य जुलूस निकाल रहे थे।  इस अवसर पर पाकिस्तान के विभिन्न नगरों में बहुत बड़े पैमाने पर जुलूस निकाले जाते हैं।  एसे में लगता है कि आतंकवादी, इस प्रकार के जुलूसों में लोगों के न पहुंचने के लिए एसा काम कर रहे हैं। 

पाकिस्तान में ईदे मीलादुन्नबी के शुभ अवसर पर जुलूस में किये जाने वाले आत्मघाती हमले में जो लोग मारे गए उसकी व्यापकता को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि विस्फोट में भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ का प्रयोग किया जा रहा था।  एसे में लगता है कि यह कोई आम हमला नहीं बल्कि बहुत जटिल हमला था जो किसी एक गुट का काम नहीं हो सकता।  इस आतंकी हमले ने शांति एवं सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की सेना पर सवाल उठा दिये हैं। 

पिछले आठ दशकों से इस सेना का नियंत्रण मज़बूत रहा है किंतु यह बात समझ में नहीं आती है कि वह पाकिस्तान की जनता की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने में इतनी अक्षम क्यों दिखाई दे रही है।  पाकिस्तान की जनता को इस बात की अपेक्षा है कि देश की सेना और सुरक्षा एजेन्सियां, इस देश के धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाएं क्योंकि वहां पर विगत में भी धार्मिक स्थलों में आतंकी हमले होते रहे हैं।शुक्रवार के हमले की विभीषिका को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस प्रकार के हमलों को रोकने के लिए पाकिस्तान की सेना के लिए क्षेत्रीय सहयोग अपरिहार्य हो चुका है।

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