Apr ०८, २०२४ १८:०० Asia/Kolkata
  • दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल
    दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री विन्सटन चर्चिल

पार्सटुडे- जापान और ईरान के संबन्ध विच्छेद होने की ऐतिहासिक घटना में तेहरान में ब्रिटेन के दूतावास की मुख्य भूमिका रही।

सन 1943 में ईरान पर क़ब्ज़े के प्रयास और मित्र सैन्य बलों की ओर से ईरान की तत्कालीन सरकार पर दबाव के दौरान जापान से ईरान के राजदूत को बुलवा लिया गया।  इस प्रकार से ईरान और जापान के कूटनैतिक संबन्ध विच्छेद हो गए। 

ब्रिटेन का यह मानना था कि तेहरान में जापान के दूतावास की गतिविधियां उसके हितों के लिए ख़तरा बन सकती हैं।

ईरान, दो देशों के बीच हुए मैत्री समझौते के हवाले से ईरान, द्विपक्षीय संबन्धों के जारी रहने पर बल दे रहा था जबकि ब्रिटेन, तेहरान में जापानियों की उपस्थति को क्षेत्र और सहयोगियों की सुरक्षा में बाधा समझता था।

दूसरे विश्व युद्ध में जापान की पराजय के बाद ईरान ने भी उन अन्य देशों की ही भांति, सेनफ्रांसिस्को शांति कांफ्रेंस में भाग लिया, जो जापान के साथ युद्धरत थे। 

उसने 8 सितंबर 1951 में जापान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये।  उसी साल नवंबर के महीने में तेहरान और टोकियो में ईरान तथा जापान के दूतावास खोले गए।

ईरान में तेल उद्योग के राष्ट्रीयकरण आन्दोलन के दौरान ब्रिटेन तथा अमरीका ने ईरान से तेल की ख़रीदारी को प्रतिबंधित कर दिया था।  उस समय केवल जापान ही एकमात्र देश था जो ईरान से तेल ख़रीद रहा था। 

यह एक अच्छी पृष्ठभूमि, ईरानियों के दिमाग़ों में आज भी है।  उस समय के बाद से ईरान और जापान के संबन्ध विस्तृत होते रहे हैं।

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