Apr २२, २०२४ १७:३८ Asia/Kolkata
  • यूक्रेन में ज़ाहिर हुई अमरीकी हथियारों की कमज़ोरी, अमरीका के M1 Abrams टैंको पर भारी पड़े ड्रोन
    यूक्रेन में ज़ाहिर हुई अमरीकी हथियारों की कमज़ोरी, अमरीका के M1 Abrams टैंको पर भारी पड़े ड्रोन

अमरीका के मंहगे और भारी-भरकम टैंकों को ध्वस्त करते ड्रोन

पार्सटुडे-रूस के साथ युद्ध के आरंभ से यूक्रेन के 796 टैंक ध्वस्त हो चुके हैं जिनमें से कुछ अमरीका की ओर से उपहार स्वरूप दिये गए थे।

हालिया दिनों में यूक्रेन युद्ध में अमरीकी हथियारों के ध्वस्त होने का विषय, अमरीकियों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।  इस बारे में न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा है कि अमरीका के बने टैंक, रूसी ड्रोन का लक्ष्य बनकर ध्वस्त हो रहे हैं।

समाचारपत्र न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार पिछले दो महीनों के दौरान यूक्रेन की सेना के पांच, M1 Abrams टैंक, ड्रोन के हमलों में नष्ट हुए हैं।

इस बारे में न्यूयार्क टाइम्स लिखता है कि यूक्रेन की सेना पांच टैंक सामान्यतः ड्रोन के हमलों में ही ध्वस्त हुए हैं। 

इसी संबन्ध में न्यूयार्क टाइम्स लिख रहा है कि यूक्रेन में चालक रहित विमानों के युद्ध ने, जिन्होंने आधुनिक युद्ध में क्रांति पैदा कर दी है, अमरीका जैसे सैन्य शक्ति के प्रतीक देश के टैंकों को बहुत नुक़सान पहुंचाया है।

न्यूयार्क टाइम्य के लेख में आया है कि ड्रोन में प्रयोग की जाने वाली जटिल तकनीक के आधार पर केवल 500 डॉलर ख़र्च करके अमरीका के दस मिलयन डॉलर से बने M1 Abrams टैंक को सरलता से ध्वस्त किया जा सकता है।

सामचारपत्र लिखा है कि युद्ध के आरंभ से लेकर अबतक यूक्रेन के 796 टैंक नष्ट हो चुके हैं।

इसी बीच संयुक्त राष्ट्रसंघ के पूर्व हथियार निरीक्षक Scott Ritter कहते हैं कि अमरीकी कांग्रेस के बजट से यूक्रेन के लिए जो हथियार ख़रीदे गए हैं उनको फ़रवरी तक रूस के माध्यम से ध्वस्त कर दिया जाएगा। 

इसी संदर्भ में विस्कान्सिन राज्य से रिपबल्किन सीनेटर रॉन जॉनसन ने बताया है कि यूक्रेन और कुछ अन्य देशों के लिए अमरीका का राहत पैकेज, व्यर्थ एवं बेकार माना जा रहा है।

इस अमरीकी सीनेटर का कहना है कि हमने अपने बच्चों के भविष्य को गिरवी रखते हुए रक्षा के लिए 900 अरब डालर से अधिक की राशि को दांव पर लगा रखा है लेकिन हर बार जब कभी भी रक्षात्मक कार्यवाही शुरू की जाती है तो पता चलता है कि हमको और अधिक कार्यवाही करने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी रक़म ख़र्च करने से पहले सीमाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए।

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