अर्जेंटीना का विरोधाभास: क्या इजराइली क़ब्ज़े का समर्थन करके माल्विनास को ब्रिटिश क़ब्ज़े से हटाना संभव है?
(last modified Thu, 26 Sep 2024 09:24:34 GMT )
Sep २६, २०२४ १४:५४ Asia/Kolkata
  • अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मेली और इजराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू की मुलाक़ात की एक तस्वीर
    अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मेली और इजराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू की मुलाक़ात की एक तस्वीर

पार्सटुडे - कोई अपनी ज़मीन पर कब्ज़ा ख़त्म कराने की कोशिश कैसे कर सकता है जबकि वह दूसरों की कब्ज़ावादी नीतियों का समर्थन कर रहा हो।

माल्विनास द्वीप समूह, या अंग्रेज़ों के अनुसार फ़ॉकलैंड,लंबे समय से अर्जेंटीना और ग्रेट ब्रिटेन के बीच सबसे जटिल और लंबे समय तक चलने वाले क्षेत्रीय विवादों में से एक के रूप में जाना जाता है।

पार्सटुडे के अनुसार, ये द्वीप, जो 19वीं शताब्दी से ब्रिटिश क़ब्ज़े में हैं, अर्जेंटीना का ही हिस्सा हैं और इस का मानना है कि इन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।

इस मुद्दे को लेकर हालिया तनाव से पता चलता है कि यह संघर्ष न केवल ख़त्म नहीं हुआ है, बल्कि परस्पर विरोधी रणनीतियों और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के कारण और भी बदतर होता जा रहा है।

 

नए परिवर्तन और तनाव जारी

 

सितम्बर 2024 में, अर्जेंटीना ने संयुक्त राष्ट्र संघ में माल्विनास द्वीप समूह पर अपने ऐतिहासिक दावे की 60वीं वर्षगांठ मनाई। इस समारोह में अर्जेंटीना के अधिकारियों ने एक बार फिर इन द्वीपों पर अपने अधिकारों पर ज़ोर दिया और विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए द्विपक्षीय बातचीत का आह्वान किया।

अर्जेंटीना ने लगातार संयुक्त राष्ट्र संघ से ब्रिटेन को क़ब्ज़ा छोड़ने के लिए मजबूर करने और द्वीपों को मूल संप्रभुता में वापस करने के लिए एक आधार प्रदान करने के लिए कहा है।

दूसरी ओर, यूनाइटेड किंगडम ने स्वायत्तता के सिद्धांत और द्वीपवासियों की ब्रिटिश शासन के अधीन रहने की इच्छा का हवाला देते हुए द्वीपों की संप्रभुता पर किसी भी बातचीत को खारिज कर दिया है।

ब्रिटिश अधिकारियों की इन द्वीपों की निरंतर यात्राएं और इन ज़मीनों पर ब्रिटेन की निर्विवाद संप्रभुता पर उनके जोर के दौरान यह स्थिति एक बार फिर दोहराई गई।

इस स्थिति में, अर्जेंटीना के राजनयिक प्रयासों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि ब्रिटेन को मज़बूत सैन्य और राजनयिक समर्थन प्राप्त है।

 

अतिग्रहण का विरोधाभासी समर्थन

 

अर्जेंटीना की विदेश नीति में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजराइल के क़ब्ज़े के लिए इस देश की सरकारों का समर्थन रहा है। वर्षों से, अर्जेंटीना ने संयुक्त राष्ट्र संघ सहित अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बारम्बार मतदान करके इज़राइल की साम्राज्यवादी स्थिति का समर्थन किया है, यह वे हालात हैं जो माल्विनास के प्रति अर्जेंटीना के अपने सिद्धांतों के विपरीत हैं। इस नज़रिए की वजह से माल्विनास पर ब्रिटिश क़ब्ज़े के बारे में अर्जेंटीना के दावों को एक प्रकार के नैतिक विरोधाभास का सामना करना पड़ा है।

मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन में नुदबा दीवार के सामने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिली की एक तस्वीर

 

वास्तव में, यह शैतानी एक बुनियादी संकट की ओर ले जाती है: कोई अपनी ज़मीन पर कब्ज़ा ख़त्म कराने की कोशिश कैसे कर सकता है जबकि वह दूसरों की कब्ज़ावादी नीतियों का समर्थन कर रहा हो।

यह नैतिक और व्यावहारिक संघर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्जेंटीना के दावों की वैधता को कमज़ोर करता है और इसके राजनयिक प्रयासों को अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।

यदि अर्जेंटीना एक मौलिक सिद्धांत के रूप में क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांत का लगातार बचाव करता है, तो वह उसी समय उन कार्यों का समर्थन करने पर जोर नहीं दे सकता है जो इस सिद्धांत पर सवाल उठाते हैं।

 

कीवर्ड्ज़: माल्विनास द्वीप, अर्जेंटीना और ब्रिटेन के बीच संबंध, फ़ॉकलैंड कहां हैं, फ़ॉकलैंड युद्ध, अर्जेंटीना और इज़राइल

 

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