काबुल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन, भ्रष्टाचार से मुक़ाबले पर ज़ोर
(last modified Thu, 05 Oct 2017 10:48:17 GMT )
Oct ०५, २०१७ १६:१८ Asia/Kolkata
  • काबुल में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन, भ्रष्टाचार से मुक़ाबले पर ज़ोर

अफ़ग़ानिस्तान की सहायता करने के बारे में एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें विश्व के बहुत से देशों ने भाग लिया है।

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में इस देश की सहायता के उद्देश्य से होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस इस बात की परिचायक है कि विश्व समुदाय अब भी अफ़ग़ानिस्तान की सहायता के लिए पूरी तरह से तैयार है।

40 देशों के प्रतिनिधियों और संगठनों की उपस्थिति में होने वाली इस बैठक का उद्देश्य, टोक्यो कांफ़्रेंस के आधार पर अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निमाण की प्रक्रिया में सहयोग करना है। काबुल में होने वाली इस कांफ्रेंस में यह फैसला लिया जाना है कि अफ़ग़ानिस्तान को प्रतिवर्ष, चार अरब डाॅलर की आर्थिक सहायता की जाए।  उधर अफ़ग़ानिस्तान में सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार एेसा विषय है जिसने इस बैठक को भी प्रभावित किया है।  यही कारण है कि अफ़ग़ानिस्तान की सहायता करने वाले देशों की एक शर्त यह है कि यह देश, प्रशासनिक भ्रष्टाचार से कड़ाई से निबटे।  इन देशों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता, इस देश के सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है और जतना को इसका कोई लाभ नहीं होता।  संभवतः इसीलिए काबुल बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता से संबन्धित प्रस्ताव के पारित होने से पहले, आर्थिक भ्रष्टाचार से मुक़ाबला करने में काबुल सरकार के क्रियाकलापों की समीक्षा की जाए।  इससे पहले अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी भी कई बार विश्व समुदाय को यह वचन दे चुके हैं कि वे देश में प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त आर्थिक भ्रष्टाचार से कड़ाई से निबट रहे हैं।

राजनैतिक टीकाकारों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान की सहायता करने वाले देश में इस मामले में ज़िम्मेदार हैं।  यह देश सामान्यतः उन संगठनों के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं जो वहां के पुनरनिर्माण में सक्रिय हैं जबकि काबुल सरकार का कहना है कि यह सहायता उसे दी जाए ताकि भ्रष्टाचार से बचा जा सके। अफ़ग़ानिस्तान के एक प्रोफेसर अज़ीज़ अहमद का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान में फैले भ्रष्टाचार में 80 प्रतिशत हाथ, विदेशी संगठनों और स्वयं सहायता करने वाले देशों का है। वे कहते हैं कि काबुल में मौजूद बहुत से दूतावास स्वयं ही उन संगठनों से संपर्क करके उनके साथ समझौते कर लेते हैं जो अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निमाण में लगे हैं और इसकी ख़बर काबुल सरकार तक को नहीं होती। 

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