न्यूज़ीलैंड की मस्जिद पर हुए आतंकी हमले को क्या रोका जा सकता था? 800 पन्नों की जांच रिपोर्ट में कई बातें आईं सामने
न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च की मस्जिदों में 2019 में हुए आतंकी हमले की जांच कर रही समिति ने मंगलवार को 800 पन्नों की एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है। इस आतंकी हमले में 51 लोगों को एक नस्लवादी आतंकवादी ने बड़ी बेरहमी से मार दिया था। जांच में कहा गया है कि आतंकवादी ने एजेंसियों को चकमा देने में कामयाब रहा।
न्यूज़ीलैंड रॉयल कमीशन ऑफ़ इंक्वायरी ने 2019 में दो मस्जिदों पर हुए आतंकी हमलों पर अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि हमलावर ब्रेंटन टैरेंट ने अपनी योजना के बारे में किसी को कुछ नहीं बताया था, ना ही इसकी भनक तक किसी को लगने दी और वह बहुत लो प्रोफाइल रहता था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नरसंहार को रोकने के लिए अधिकारी कुछ भी नहीं कर सकते थे। क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर हुए आतंकी हमलों की जांच कर रहे जांच आयोग ने रिपोर्ट में ख़ुलासा किया है कि सुरक्षा एजेंसी ने दक्षिणपंथी आतंकवादी पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया था। 30 साल के ऑस्ट्रेलियाई आतंकी टैरेंट ने 15 मार्च 2019 को क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में हमला कर 51 निर्दोष नमाज़ियों की बड़ी बेरहमी से जान ले ली थी। उसने 20 मिनट तक क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों में आतंक फैलाया था। न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए 44 महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव दिया है।
न्यूज़िलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने इस रिपोर्ट का स्वागत किया और कहा कि वह सिफारिशों को स्वीकार करेंगी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि, "रॉयल कमीशन को किसी भी सरकारी एजेंसियों के अंदर कोई विफलता नहीं मिली जिससे उस व्यक्ति की योजना और तैयारी का पता लगाने की पहले से जानकारी मिल पाए, लेकिन हमने कई सबक सीखे और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव की ज़रूरत है।" इस बीच जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है कि इस बात के स्पष्ट संकेत नहीं थे कि हमलावर कोई ऐसी योजना बना रहा है क्योंकि उसके स्थानीय लोगों के साथ बहुत कम संवाद थे। टैरेंट ऑनलाइन कट्टरपंथ बना और ख़ासकर यूट्यूब से उसने बहुत सीखा, यह सब उसने ऑस्ट्रेलिया में रहते हुए किया। टैरेंट को विरासत में अपने पिता से पैसे मिले थे, वह उसी पैसे से दुनिया की यात्रा कर आख़िरकार 2017 में न्यूज़ीलैंड में बस गया। जांच रिपोर्ट कहती है टैरेंट ने हमले के पहले लोगों से सतही संपर्क बनाए और उसने किसी को शक तक नहीं होने दिया कि वह इस तरह की कोई योजना बना रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ टैरेंट की मुख़बिरी किसी ने नहीं की जिससे हमले को रोका जा सकता था।
उल्लेखनीय है कि, 15 मार्च 2019 को क्राइसचर्च में दो मस्जिदों पर हुए आतंकी हमले में 51 नमाज़ी शहीद हुए थे। इस हमले को आतंकी ने फ़ेसबुक पर लाइव दिखाया था। आतंकी ब्रेंटन टैरेंट ने 40 हत्याओं और आतंकवादी अपराध को क़ुबूल किया था। क्राइसचर्च के हाई कोर्ट के जज कैमरून मेंडर ने आतंकी ब्रेंटन टैरेंट को न्यूज़ीलैंड के इतिहास की सबसे बुरी सज़ा सुनाई थी। जज कैमरून मेंडर ने ब्रेंटन टैरेंट को सज़ा सुनाते हुए कहा था कि, तुम्हारा अपराध इतना घिनौना है कि इसके लिए समय-सीमा का तय करना काफ़ी नहीं होगा। जज ने सज़ा सुनाते हुए ब्रेंटन टैरेंट से कहाः तुम्हारा जुर्म इतना घिनौना है कि अगर मरते दम तक तुम्हे जेल में रखा जाए तब भी जो सज़ा तुमको मिलनी चाहिए वह नहीं मिल सकती है। इस फ़ैसले पर न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न ने संतोष जताया था और कहा था कि उसे कभी सूरज की रौशनी नसीब नहीं होगी। (RZ)
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