पैन्डेमिक के दौर में भी पॉज़ेटिव ग्रोथ रेट बनाए रखने वाले बंग्लादेश से भारत 3 सबक़ सीख सकता है
(last modified Fri, 26 Mar 2021 08:25:30 GMT )
Mar २६, २०२१ १३:५५ Asia/Kolkata
  • पैन्डेमिक के दौर में भी पॉज़ेटिव ग्रोथ रेट बनाए रखने वाले बंग्लादेश से भारत 3 सबक़ सीख सकता है

वर्कफ़ोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने, आंतरिक व विदेशी व्यापर को लिब्रल बनाने और छोटे छोटे कर्ज़ तक पहुंच को आसान करने से विकास में मदद मिल सकती है।

बंग्लादेश और भारतीय उपमहाद्वीप के लिए यह गर्व की बात है। जिस तरह वियतनाम ने दुनिया को अपने तेज़ गति से विकास से हैरत में डाल दिया वैसा ही बंग्लादेश ने कर दिखाया।

यह महीना बंग्लादेश में तीन ख़ुशियां मनाने का महीना है। इसी महीने बंग्लादेश के राष्ट्रपिता शैख़ मुजीबुर्रहमान का जन्म दिवस है, इसी महीने बंग्लादेश की आज़ादी की 50वीं सालगिरह है और वह भारत के साथ कूटनैतिक संबंधों की गोलडेन जुबली भी मना रहा है।

ऐसा देश जिसने विकास के लिए केस स्टडी के तौर पर काम शुरू किया आज ग्लोबल जीडीपी चार्ट में सबसे ऊपर है। 2019 में बंग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ 8.4 फ़ीसद थी जिसकी देश आरज़ू करते हैं। यह 2019 में भारत की ग्रोथ रेट से दुगुनी है। बंग्लादेश उन गिने चुने देशों में है जो कोविड-19 पैन्डेमिक के दौर में भी सकारात्मक ग्रोथ रेट बनाए रखने में कामयाब रहे। इस वक़्त बंग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय 2000 डॉलर से कुछ कम है, जो क़रीब क़रीब भारत जैसी है। 2026 तक बंग्लादेश से दुनिया के सबसे कम विकसित देश का टैग हट जाएगा और वह भारत के बराबर दुनिया के विकासशील देशों की लाइन में आ जाएगा।

क्या भारत ग़रीबी दूर करने के लिए चीन से कुछ सीखेगाॽ

वियतनाम ने 1986 में बाज़ार और आर्थिक सुधार को लागू किया जो डोय-मोय के नाम से जाना जाता है। इस सुधार से वियतनाम से तेज़ी से आर्थिक विकास और औद्योगिकरण हासिल किया। उसने बुनाई और रेडीमेड कपड़े बनाने के क्षेत्र में क़दम रखा जिसमें आज वह बड़ा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी है, उसके बाद उसने मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान बनाने की ओर क़दम बढ़ाया। चीन से सप्लाई चैन में विविधता का वियतनाम को फ़ायदा पहुंचा।

बंग्लादेश ने भी यही रणनीति अपनायी। उसकी भी तरक़्क़ी सीधे तौर पर बुनाई ओर रेडिमेड कपड़ा उद्योग से जुड़ी है। बंग्लादेश यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जापान से प्राथमिकता के आधार पर व्यापार करता है जिसमें वह बहुत कम या शून्य टैक्स लगाता है। भारत से भी रेडीमेड गार्मेन्ट्स जैसे मुख्य उत्पाद में ढाका ने शून्य निर्यात ड्यूटी की नीति अपना रखी है। हालिया बरसों में बंग्लादेश ने अपने कृषि उत्पादों, बिजली उत्पादन, प्राकृतिक गैस खोजने और उसके उत्पादन, दवा बनाने और विदेश में पैसे भेजने की प्रक्रिया को बेहतर किया है।

भारत, दक्षिण एशिया और दुनिया, बंग्लादेश के सफल व तेज़ आर्थिक विकास से क्या सीख सकती है।

इस बात में शक नहीं कि वर्कफ़ोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना, आंतरिक और विदेश व्यापार को लिब्रल बनाना और छोटे-छोटे कर्ज़ तक पहुंच को मुमकिन करना, कुछ सबक़ हैं जो सीखे जा सकते हैं।

26 मार्च को प्रधान मंत्री मोदी ढाका में बंग्लादेश की आज़ादी की पचासवीं सालगिरह के विशेष मेहमान हैं। वह आपसी संपर्क की काफ़ी समय से लंबित परियोजनाओं और नई परियोजनाएं शुरू करने का बटन दबाएंगे। बीआरएसी बैंक के चेयरमैन एहसान मंसूर ने पिछले हफ़्ते “गेटवे हाउस ऐन्ड कॉनरेड अडेनावा स्टिफ़टंग” की ओर से आयोजित सेमिनार में कहा थाः “दोनों देशों ने 1947 से संपर्क न होने की वजह से बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई है। अब वक़्त आ गया है कि अपने बिजली के तंत्र को जोड़ें, फ़्री ट्रेड के बारे में सोचें और वीज़ा प्रणाली को उदार बनाएं।”

भारत दक्षिण एशिया के विकास का बोझ हमेशा अकेला नहीं उठाएगा। अब उसके पास एक भागीदार है, जिसके साथ मिलकर वह इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रभावी सहयोग कर सकता है। (साभारः इंडियन एक्सप्रेस)

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