May १०, २०२४ १७:०० Asia/Kolkata
  • इस्राईली सरकार से समस्या नहीं है! 90 प्रतिशत से अधिक इस्राईली फ़िलिस्तीनियों के नस्ली सफ़ाये के समर्थक व पक्षधर हैं/ इस्राईली प्रोफ़ेसर के साथ वार्ता
    इस्राईली सरकार से समस्या नहीं है! 90 प्रतिशत से अधिक इस्राईली फ़िलिस्तीनियों के नस्ली सफ़ाये के समर्थक व पक्षधर हैं/ इस्राईली प्रोफ़ेसर के साथ वार्ता

पार्सटुडे- अगर आप यह जानना चाहते हैं कि क्यों इस्राईल का कोई भविष्य नहीं है, तो केवल तेलअवीव विश्वविद्यालय के सर्वे पर ध्यान दें। केवल 3.2 प्रतिशत इस्राईली ही नस्ली सफ़ाये के विरोधी हैं।

पहला भागः इस्राईली यहूदी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner का संबंध ऐसे परिवार से है जिसके बारे में मशहूर है कि वह होलोकास्ट की घटना में बच जाने वाले परिवारों में से है। प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner एक लेखक, फिल्मों का अध्ययनकर्ता, फ़िल्म निर्माता और इसी प्रकार इस्राईल का एक पूर्व सैनिक है।

हालिया कुछ दशकों में Haim Bresheeth-zhabner फ़िलिस्तीनियों के साथ इस्राईल के व्यवहार का मुखर आलोचक हो गया है।

उसका मानना है कि सात अक्तूबर के बाद इस्राईल फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों के संबंध में फ़ासीवाद से नाज़ीवाद में परिवर्तित हो गया है। ऐसा नाज़ीवाद जो कभी स्पष्ट व खुला होता और कभी छिपा व गुप्त  

यहां हम द न्यू अरब की पत्रिका "Salwa Amor" में उसके जवाबों को पढ़ते और उसे पेश करते हैं जो इस्राईली व्यवहार के बारे में है और इस चीज़ को पार्सटुडे ने तैयार किया है।

प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner से सवाल किया जाता है कि क्या इस्राईलियों का एतराज़ सकारात्मक सूचक है कि इस्राईली समाज में नस्ली सफ़ाये का समर्थन कम होता जा रहा है?

मेरा मानना है कि इस्राईलियों का एतराज़ वास्तव में फ़िलिस्तीनियों के बारे में नहीं है। इस्राईल में प्रदर्शन करने वाले दोनों पक्ष नस्ली सफ़ाये पर एकमत और उसके समर्थक हैं। वे यहूदियों के अधिकारों की बात करते हैं न कि फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों की।

इस्राईल में इस समय जो एतराज़ किया जा रहा है उसका संबंध फ़िलिस्तीनियों को एक शिविर से नस्ली सफ़ाये के दूसरे शिविर में स्थानांतरित करने को लेकर है। दूसरा शिविर भी फिलिस्तीनियों के लिए जातिवादी है। इस बात को हमें जानना चाहिये। इस्राईल यहूदियों के लिए डेमोक्रेसी है मगर फ़िलिस्तीनियों के लिए नहीं।

केवल 3.2 प्रतिशत इस्राईली यहूदियों का मानना है कि उनकी सरकार ग़ज्ज़ा पट्टी में सीमा से अधिक बल का प्रयोग कर रही है जबकि 43 प्रतिशत इस्राईली यहूदी इस सेना को बहुत कम समझते हैं। 87.4 प्रतिशत इस्राईली यहूदी फिलिस्तीनियों को होने वाली जानी व माली क्षति को वैध समझते हैं।


इस्राईली सैनिकों द्वारा एक निहत्थी फ़िलिस्तीनी महिला की गिरफ्तारी

प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner कहता है कि इसी वजह से अगर यह समझना चाहते हो कि इस्राईल का कोई भविष्य नहीं है तो केवल तेलअवीव विश्वविद्यालय के सर्वे नतीजों को देखो। केवल 3.2 प्रतिशत इस्राईली नस्ली सफ़ाये के विरोधी हैं। इस्राईली समाज तार्किक ढंग से सोचने में सक्षम नहीं है। वे पूरी तरह नस्ली सफ़ाये के पक्षधर हैं।

प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner से सवाल किया जाता है कि क्या ऐसी सुलह व बात की उम्मीद की जा सकती है जो दक्षिण अफ्रीक़ा में हुई?

मैं हरगिज़ जायोनियों के साथ वार्ता में विश्वास नहीं करता। मेरा मानना है कि बीडीए में उनका बहिष्कार किया जाना चाहिये। इस्राईल खुद एक जायोनी संगठन है। ख़ुद इस संगठन के अस्तित्व में जातिवाद है और उसका मानना है कि जातिवादी व नस्ली सफाया होना चाहिये। आप जायोनियों के साथ वार्ता नहीं कर सकते। जिस तरह से हिटलर के साथ वार्ता नहीं की जा सकती थी।

 

इस्राईल इस समय एक फ़ासीवादी समाज से नाज़ीवादी समाज में बदल गया है। 90 प्रतिशत से अधिक इस्राईली नस्ली सफ़ाये के समर्थक व पक्षधर हैं कि इस बात को बिल्कुल नहीं भूलना चाहिये।


कालोनियों में रहने वाले ज़ायोनी सशस्त्र और फ़िलिस्तीनियों की ओर फ़ायरिंग करने के लिए तैयार

 

प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner से सवाल किया जाता है कि अगर आपके अनुसार सुलह एक विकल्प नहीं है तो आपके अनुसार आगे क्या किया जाना चाहिये?

प्रोफ़ेसर Haim Bresheeth-zhabner कहता है कि रास्ता यह है कि ज़ायोनिज़्म को ख़त्म होना चाहिये। जिस तरह से भी संभव हो ज़ायोनिज़्म का विरोध किया जाना चाहिये। मुझे इस बात में शक है कि इन घटनाओं के बाद इस्राईल के साथ सुलह हो सकती है। ज़ायोनिज़्म के साथ सुलह नहीं हो सकती। जिस तरह कोई सुलह साम्राज्यवाद या नाज़ीवाद से नहीं हो सकती। ज़ायोनिज़्म ज़ातन ग़ैर इंसानी और फ़ासीवादी है।

मेरा मानना है कि इस्राईलियों और ज़ायोनियों को नाज़ीफिकेशन की तरह एक प्रक्रिया की ज़रूरत है जिस तरह नाज़ियों के साथ अंजाम दिया गया। उससे पहले शांति व सुलह संभव नहीं है। MM

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