स्वतंत्रता प्रभात (9)
(last modified Wed, 09 Feb 2022 11:30:13 GMT )
Feb ०९, २०२२ १७:०० Asia/Kolkata

दोस्तो कार्यक्रम स्वतंत्रता प्रभात की एक अन्य कड़ी के साथ आपकी सेवा में हाज़िर हैं, ...और... का सलाम स्वीकार कीजिए।

इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद से अब तक तीन नस्ले बड़ी हो चुकी हैं। पहली नस्ल वह है, जो 1963 में जवान थी और उसने अपनी उम्र का एक भाग, शाही शासन के ख़िलाफ़ आंदोलन में बिता दिया। इस नस्ल ने इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में इस्लामी क्रांति को सफल बनाया और देश में इस्लामी शासन की स्थापना की। इस नस्ल को हम इस्लामी क्रांति की सबसे ज़्यादा वफ़ादार नस्ल कह सकते हैं, जिसने क्रांति के सबसे कठिन दिनों में अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा किया और तरह तरह की चुनौतियों के बावजूद, क्रांति को उसके रास्ते से भटकने नहीं दिया।

दूसरी नस्ल उन जवानों की है, जिसने अपने ईमान के प्रकाश से इस्लामी क्रांति को ऊर्जा प्रदान की और बहुत ही कम सुविधाओं में सद्दाम के हमलों का मुक़ाबला किया और युद्ध में उसके ख़िलाफ़ सफलता हासिल की। इस नस्ल को क्रांति और जंग की नस्ल कहा जाता है। उसे 1979 में क्रांति की सफलता का अनुभव है और उसने युद्ध के बाद देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाई। आज अधिकांश अधिकारी और प्रबधंक इसी नस्ल से संबंध रखते हैं।

तीसरी नस्ल दूसरी नस्ल के बच्चों पर आधारित है। इस नस्ल को क्रांति और युद्ध का कोई अनुभव नहीं है। हालांकि यह नस्ल क्रांति की सफलता के बाद के जोश भरे में माहौल में बड़ी हुई है। इस नस्ल का मानना है कि अपने राष्ट्र के भविष्य निर्धारण में उसका पूरा अधिकार है। क्रांति द्वारा प्रदान किए गए इस अधिकार के आधार पर यह नस्ल देश के भविष्य निर्धारण में अहम भूमिका निभा रही है, क्योंकि आबादी में इसकी संख्या सबसे ज़्यादा है। प्रगति, परिवर्तन, आधुनिकता और भरपूर जीवन जीना इस युवा पीढ़ी की विशेषता है, इसलिए नई नस्ल इस्लामी व्यवस्था की प्रगति और संप्रभुता के मार्ग में एक मील का पत्थर है।

Image Caption

 

आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान किसी के भी व्यक्तित्व और सफलता की नींव है। अपने जीवन के सबसे अच्छे दौर में युवा इस महत्वपूर्ण विशेषता के कारण महान कार्य अंजाम देते हैं। वे उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं और अपनी योग्यता पर भरोसा करते हैं। आत्मविश्वास युवा नस्ल के लिए सबसे बड़े मानवीय गुणों में से एक है। यह गुण किसी भी व्यक्ति को दूसरों के प्रति नैतिक कार्य और कर्तव्यनिष्ठा के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, यह नस्ल अपनी स्वतंत्रता और साहस के कारण, किसी के सामने नहीं झुकती है और अपमान सहन नहीं करती है। यह किसी भी क़ीमत पर अपने सम्मान और स्वतंत्रता का सौदा नहीं करती है।

जिन विशेषज्ञों ने ईरान की इस्लामी क्रांति की सफलता के कारणों का विश्लेषण किया है, उन्होंने पहलवी शासन द्वारा जनता के अपमान और उसके विदेशी समर्थकों द्वारा हद से ज़्यादा हस्तक्षेप का उल्लेख ज़रूर किया है। शाही शासन के दौरान, ईरानी जनता का बेहद अपमान किया गया था, यही वजह है कि इमाम ख़ुमैनी की आवाज़ पर जनता ने तुरंत लब्बैक कहा और एक नए आंदोलन को सफलता तक पहुंचाया। क्रांति के बुद्धिमान नेता ने एक कुशल मनोवैज्ञानिक की तरह युवाओं को पहचान दी और उनकी क्षमताओं पर भरोसा किया। अगर हम इमाम ख़ुमैनी के बयानों पर नज़र डालेंगे, तो हम देखेंगे कि वे बार-बार युवाओं में आत्मविश्वास जगाने और उसे मज़बूती प्रदान करते हुए दिखाई पड़ते हैं। इमाम ख़ुमैनी बल देकर कहते थेः सबसे अहम बात यह है कि आप दो दिशाओं पर ध्यान दें, जैसा कि मैंने कई बार उल्लेख किया हैः एक सर्वशक्तिमान ईश्वर पर भरोसा करना है, जो आपकी मदद करता है, जब आप उसके लिए काम करते हैं, और दूसरे आत्मविश्वास है। आप युवा लोग स्वयं हर काम कर सकते हो।

आत्मविश्वास की ज्योति जगाने की यह शैली इमाम ख़ुमैनी के बाद उनके उत्तराधिकारी इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने जारी रखी। उनका मानना है कि इस्लामी क्रांति के उपलब्धियों में से एक उपलब्धि यह है कि इसने युवाओं में आत्मविश्वास जगाया है और उनके प्रतिभाओं को नई धार दी है। इस्लामी क्रांति ने निर्भरता की ज़ंजीरों को तोड़ दिया और युवाओं में आत्म सम्मान और आत्मविश्वास को मज़बूत किया है। इसी के परिणाम स्वरूप, ईरान में शिक्षा और विज्ञान का विस्तार हुआ है। इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता कहते हैः क्रांति से पहले विज्ञान के क्षेत्र में युवाओं और दूसरे लोगों के लिए रचनात्मक कार्यों और अविष्कारों के लिए भूमि प्रशस्त नहीं थी, लेकिन क्रांति ने समाज में आत्म विश्वास को जगाया और प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौक़ा दिया। इस्लामी क्रांति की बरकत से हमने इस बहुत ही कठिन दौर में तेज़ी से प्रगति की है, जो बाक़ी दुनिया की प्रगति की गति से कहीं तेज़ है।

इस्लामी क्रांति की सफलता को आज चार दशक बीत चुके हैं, इस दौरान आत्मविश्वास और ख़ुद को पाने की अवधारणा, ईरानी युवाओं की एक विशेषता बन गई है। आज ईरानी जनता और युवाओं की नज़र में आज़ादी सिर्फ़ एक आदर्श और अप्राप्य आदर्श या लक्ष्य नहीं है, बल्कि इसके मधुर अमृत ने राष्ट्र को लाभान्वित किया है और इसके प्रभाव और परिणाम ईरानी लोगों के जीवन के सभी क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। इस स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की उपलब्धियों की झलक जहां सबसे ज़्यादा देखी जा सकती है, उनमें से एक वैज्ञानिक क्षेत्र है।

इस्लामी क्रांति के बाद घटने वाली एक महत्वपूर्ण घटना, अकादमिक विषयों का विकास और विस्तार था, विशेष रूप से पूरे देश में उच्च स्तर पर बुद्धिमान युवा अध्ययन कर सकते हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, जिसके बारे में पहले सोचना भी संभव नहीं था। नई उपलब्धियों और आविष्कारों के क्षेत्र में ईरानी युवाओं ने कई सम्मान प्राप्त किए हैं। लेज़र प्रौद्योगिकी और विभिन्न प्रकार से उसके इस्तेमाल, नैनो प्रौद्योगिकी में प्रगति, कैंसर विरोधी दवाओं का उत्पादन, निर्माण कार्य, अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में वैज्ञानिक उपस्थिति, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक शोध प्रस्तुत करना और महत्वपूर्ण तकनीकी कार्यों में शानदार प्रगति दर्शाती है कि ईरान की युवा पीढ़ी ने यह नारा साकार करके दिखा दिया है कि हम कर सकते हैं और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

Image Caption

 

ईरान के युवाओं की सबसे नई वैज्ञानिक उपलब्धि वैश्विक महामारी कोरोना से संबंधित है। ईरान के कई स्वास्थ्य संस्थानों ने कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद, कोरोना की वैक्सीन पर शोध शुरू किया और दुनिया के बाक़ी देशों के साथ ही वैक्सीन तैयार करने में सफलता हासिल कर ली। इस लक्ष्य तक पहुंचने में देश में मौजूद स्वास्थ्य से संबंधित बुनियादी ढांचे ने काफ़ी मदद की, जिसे पिछले कुछ वर्षों के दौरान तैयार किया गया था।

नॉलेज बेस्ड कंपनियें में आमतौर पर युवा स्नातक होते हैं, जो अपने पैरों पर खड़े होते हैं और आगे बढ़ने के लिए भरपूर उत्साह रखते हैं। संभव है कि उनके साथ एक या दो अनुभवी प्रोफ़ेसर भी हों, लेकिन अधिकांश संख्या उसमें युवाओं की ही होती है। हालिया महीनों में वैक्सीन उत्पादन केंद्रों में से एक के रूप में इमाम ख़ुमैनी संस्था के प्रमुख ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता को एक पत्र लिखा, जिसमें उल्लेख किया कि आपके मार्गदर्शन और समर्थन से वैक्सीन उत्पादक 6 केन्द्रों में से एक केन्द्र के रूप में हम ईरान बरकत वैक्सीन के उपयोग के लिए लाइसेंस प्राप्त करने में सफल हो गए। यह वैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी ज्ञान और तकनीक पर आधारित है, इसके बाद हम दुनिया में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन करने वाले छह देशों में से एक बन गए हैं।

ध्यान योग्य बिंदू यह है कि वर्तमान में धार्मिक विश्वासों के आधार पर जीवन व्यापन करने और साथ ही विकास के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए अपनी पहचान और अपनी प्रतिभाओं को पहचानने की ज़रूरत है। विश्व ऐसा कोई महत्वकांक्षी विलेज नहीं है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा की जाती है। बल्कि यह बड़ी शक्तियों के लिए लड़ाई, खींचतान और धमकाने का मैदान बन चुका है। दुनिया का पिछले एक सदी का इतिहास भी इस बात की गवाही देता है। ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के मुताबिक़, अगर कोई राष्ट्र ख़ुद को नहीं पहचानेगा, ख़ुद को शक्तिशाली नहीं बनाएगा तो दूसरे उसे धमकायेंगे। कुछ देशों को शक्तिशाली बनने में काफ़ी समय लगता है। क्योंकि उनके लोगों में आशा नहीं होती है और वे बड़ी शक्तियों से मुक़ाबले के लिए ज़रूरी ऊर्जा नहीं जुटा पाते हैं। लेकिन हमारा राष्ट्र ऐसा नहीं है। इस दुनिया में शक्तिशाली बनने की ज़रूरत है, ताकि प्रगति के शिखर पर पहुंचा जा सके और न्याय हासिल किया जा सके। ईरान के लोगों विशेष रूप से युवाओंम में यह शक्ति पाई जाती है। इस्लामी क्रांति इस दावे को साबित करने के लिए एक सुबूत है। इमाम ख़ुमैनी पहले ऐसे शख़्स थे, जिन्होंने इस शक्ति को पहचाना था।

 

टैग्स