Jan ०२, २०२४ १८:१९ Asia/Kolkata
  • महान ईश्वर ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा स. के जन्म से पहले पैग़म्बरे इस्लाम को क्या आदेश दिया था?

पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ईश्वरीय संदेश “वहि” की प्रतीक्षा में थे।

समय नहीं गुज़रा था कि ईश्वरीय दूत हज़रत जिब्राल महान व सर्वसमर्थ ईश्वर का संदेश लेकर उतरे और कहा हे मोहम्मद! महान ईश्वर ने आपको सलाम कहा है और आदेश दिया है कि चालिस दिन- रात खदीजा से दूर रहिये। इस आदेश के बाद पैग़म्बरे इस्लाम दिनों को रोज़ा रखने और रातों को उपासना करने लगे।

पैग़म्बरे इस्लाम ने अम्मार को हज़रत ख़दीजा के घर भेजा ताकि वह यह कह सकें कि पैग़म्बरे इस्लाम ने जो आपसे दूरी की है वह ईश्वर का आदेश है न कि नाराज़गी और द्वेष के कारण।

पैग़म्बरे इस्लाम को इस प्रकार उपासना करते और रोज़ा रखते हुए चालिस दिन हो गये। हज़रत जिब्रईल दोबारा नाज़िल हुए। इस बार उनके हाथ में एक सेब था जिसे उन्होंने पैग़म्बरे इस्लाम को दिया और कहा हे मोहम्मद! ईश्वर ने आपको सलाम कहा है और यह उपहार आपके लिए स्वर्ग से भेजा है। पैगम्बरे इस्लाम ने उस सेब को खाया और हज़रत खदीजा के पास गये। हज़रत खदीजा जब बिस्तर से उठीं तो उन्होंने अपने पेट में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के प्रकाश का आभास किया।

पैग़म्बरे इस्लाम को अपनी पैग़म्बरी की घोषणा किये हुए पांच साल का समय हो रहा था। 20 जमादीस्सानी का दिन था। हज़रत खदीजा को प्रसव पीड़ा होने लगी। उन्होंने किसी को कुरैश और बनी हाशिम की महिलाओं के पास भेजा ताकि वे उनकी सहायता करें परंतु उन सबने सहायता करने से इंकार कर दिया और कहा कि हमारी मर्जी के खिलाफ आपने अबू तालिब के अनाथ से विवाह किया है जिसके पास कुछ नहीं था।

हज़रत खदीजा प्रसव पीड़ा के साथ अकेली थीं अचानक उन्होंने देखा कि चार महिलाएं उनके पास आ गयी हैं। यह देखकर वह डर गयीं। आने वाली महिलाओं ने उनसे कहा हे खदीजा परेशान व दुःखी न हो डरो नहीं ईश्वर ने हमें भेजा हैं। उन चार महिलाओं में हज़रत इब्राहीम की पत्नी की सारा, फिरऔन की पत्नी आसिया, हज़रत इमरान की बेटी और हज़रत ईसा की मां हज़रत मरियम और हज़रत मूसा की बहन कुलसूम थीं। ये चारों महिलाएं हज़रत खदीजा के चारों ओर बैठ गयीं।

हज़रत खदीजा ने पवित्र बच्ची को जन्म दिया। उस बच्ची के प्रकाश से समूचा घर प्रकाशित हो उठा। स्वर्ग की अप्सरायें कौसर का निर्मल जल लेकर हज़रत खदीजा के घर आयीं और उस जल से बच्ची को नहलाया और उसे दूध से अधिक सफेद एक कपड़े में लपेट दिया। उस सफेद कपड़े से कस्तूरी की सुगंध आ रही थी।

पैग़म्बरे इस्लाम उस बच्ची का नाम रखना चाहते थे कि महान ईश्वर की ओर से हज़रत जिब्रईल नाज़िल हो गये और उस बच्ची का नाम फातेमा रखा। यह इस्लाम में पहला बच्चा था जिसका नाम फातेमा रखा जा रहा था और यह पहली बच्ची थी जिसने अज्ञानता के काल में महिलाओं के संबंध में अरबों के दृष्टिकोण को बदल दिया। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर समूचे ईरान में खुशी मनाई जाती है और इस दिन का नाम ईरान में महिला दिवस का नाम रखा गया है।

अंततः वह ईश्वरीय रहमत आ ही गयी जिसकी प्रतीक्षा में पैग़म्बरे इस्लाम थे। यह वह समय था जब ईश्वरीय रहमत के आगमन पर ज़मीन आसमान वालों पर गर्व कर रही थी। जी हां हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा दुनिया में आ चुकी थीं। हज़रत मोहम्मद स. का घर प्रकाशित हो चुका था। पैग़म्बरे इस्लाम ने खुशी से शिशु को अपनी गोद में लिया उसके माथे को चुमा और बहुत ही खुशी से हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के पावन चेहरे को देखा। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के तेजस्वी व प्रकाशमयी चेहरे को देखकर पैग़म्बरे इस्लाम का समूचा अस्तित्व खुशी के सागर में डूब गया।

महान ईश्वर ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म से मानो पैग़म्बरे इस्लाम को ब्रह्मांड का ख़ज़ाना प्रदान कर दिया है। पवित्र कुरआन के सूरे कौसर में महान ईश्वर कहता है” हे पैग़म्बर हमने आपको बहुत अधिक भलाई प्रदान की है तो अपने पालनहार के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।

पवित्र कुरआन का यह छोटा सूरा पैग़म्बरे इस्लाम को शुभ सूचना देने वाला था क्योंकि उन्हें महान ईश्वर के वचन पर पूर्ण विश्वास था। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा दुनिया में आयीं थीं ताकि वह समूची दुनिया की महिलाओं की सरदार बनें और उनके पावन वंश से मानवता के सच्चे मार्गदर्शक, पथप्रदर्शक और मुक्ति प्रदान करने वाले दुनिया में आयें और मानवता को कल्याण, नैतिकता व शिष्टाचार के चरम शिखर पर पहुंचा दें। पूरी दुनिया की महिलाओं की सरदार हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा पर सलाम हो।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का सदाचरण पूरी मानवता के लिए आदर्श है। वह एक परिपूर्ण महिला हैं। महान ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरे आलेइमरान की 42वीं आयत में हज़रत मरियम को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ महिला बताता है और पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि हज़रत मरियम अपने समय की समस्त महिलाओं में श्रेष्ठ थीं लेकिन हज़रत फ़ातेमा ज़हरा समस्त महिलाओं में श्रेष्ठ और उनकी सरदार हैं।

एक अन्य स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि मरियम अपने समय की समस्त महिलाओं में श्रेष्ठ थीं किन्तु फातेमा दुनिया के आरंभ से लेकर अंत तक की समस्त महिलाओं से श्रेष्ठ हैं और जब वह उपासना के लिए खड़ी होती हैं तो ईश्वर के करीबी फरिश्ते उन्हें सलाम करते हैं और उनसे कहते हैं कि हे फातेमा ईश्वर ने तुम्हें चुना है और पवित्र किया है और तुम्हें पूरी दुनिया की महिलाओं पर श्रेष्ठता प्रदान की है।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की बहुत सी उपाधियां हैं जिनमें से एक उपाधि मुहद्देसा है जिसका अर्थ बात करने वाली होता है। इस उपाधि का कारण यह है कि जिस तरह से हज़रत मरियम पर फरिश्ते नाज़िल होते थे और वह फरिश्तों से बातें करती थीं उसी तरह हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा पर भी फरिश्ते नाज़िल होते थे और वह फरिश्तों से बातें करतीं थीं।

इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा बहुत दुःखीं थीं उनको ढ़ारस दिलाने और उन्हें सांत्वना देने के लिए जीब्रईल उनकी सेवा में आते थे और महान ईश्वर के निकट उनके पिता के स्थान के बारे में बताते थे और उन्हें यह भी बताते थे कि भविष्य में उनके पवित्र वंश के साथ क्या होने वाला है।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने पूरा जीवन महान ईश्वर की उपासना में बिता दिया और उनकी नमाज़, दुआ और प्रार्थना का चर्चा आम था। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा इस वजह से इस स्थान पर नहीं पहुंची हैं कि वह पैग़म्बरे इस्लाम की बेटी हैं बल्कि महान ईश्वर की उपासना, प्रार्थना और अपने सदाचरण से उन्होंने यह स्थान प्राप्त किया है।

वह महान ईश्वर की उपासना को बहुत पसंद करती थीं। एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम ने उनसे कहा मेरी बेटी ईश्वर से एसी चीज़ मांगों जिसके कबूल होने का वादा जीब्रईल ने ईश्वर की ओर से किया है इस पर हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने कहा “ईश्वर की उपासना करने में सामर्थ्य के अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिये।“

जो चीज़ इंसान के अस्तित्व को मूल्यवान बनाती है और उसके कार्यों व  दृष्टिकोणों को व्यवस्थित बनाती है वह इंसान की सोच है और जो चीज़ इंसान की सोच को दिशा प्रदान करती है वह ज्ञान है। इसी प्रकार जो चीज़ इंसान की सोच और ज्ञान को प्रभावी व लाभदायक बनाती है वह महान ईश्वर पर ईमान है। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा समस्त मानवीय और नैतिक सदगुणों से सम्पन्न थीं। वह महान ईश्वर की उपासना और प्रार्थना को बहुत अधिक पसंद करती थीं।

हज़रत फातेमा की एक प्रसिद्ध उपाधि ज़हरा है जिसका अर्थ प्रकाश और चमक है। इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम से पूछा गया कि हज़रत फातेमा को ज़हरा क्यों कहा गया? तो इमाम ने फरमाया। क्योंकि जब हज़रत फातेमा उपासना के लिए खड़ी होती थीं और उपासना में लीन हो जाती थीं तो आसमान पर रहने वालों पर उनका प्रकाश चमकता था जिस तरह तारे ज़मीन पर रहने वालों के लिए चमकते हैं।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के ज्ञान का संबंध पैग़म्बरे इस्लाम के ज्ञान से बहुत मज़बूत था। वह हदीसों अर्थात पैग़म्बरे इस्लाम के कथनों को बयान करती थीं। पैग़म्बरे इस्लाम की एक पत्नी उम्मे सलमा और कुरैश की दूसरी महिलाओं से भेंट में विद्वानों की भाषा में बात करती थीं और ज़रुरत पड़ने पर यहां तक कि खलीफा और कुछ लोगों की उपस्थिति में मस्जिद में एतिहासिक भाषण दिया और पैगम्बरे इस्लाम के बाद समाज के गुमराह हो जाने के प्रति चेतावनी दी।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जहां बात करने में एक अच्छी शिक्षिका थीं वहीं व्यवहार व आचरण में भी पवित्रता की प्रतिमूर्ति थीं। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का मानना था कि महिला के लिए बेहतरीन चीज़ यह है कि न उसे कोई मर्द देखे और न वह किसी नामहरम व परायेमर्द को देखे। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को बहुत चाहते थे।

एक स्थान पर वह फरमाते हैं” फातेमा मेरा टुकड़ा है।“ बाप और बेटी के बीच जो संबंध था उसका आधार प्रेम, आदर- सम्मान और शिष्टाचार था। पैग़म्बरे इस्लाम जब भी हज़रत फातेमा के पास जाते थे वह उनके सम्मान में खड़ी हो जाती थीं और अपनी जगह पर उन्हें बिठाती थीं और पैग़म्बरे इस्लाम भी एसा ही करते थे। ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गीय इमाम खुमैनी के शब्दों में” इस्लामी इतिहास पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा इस पैदा होने वाले बच्चे अर्थात हज़रत फातेमा के प्रति बेहिसाब सम्मान का साक्षी है ताकि यह दिखा दें कि समाज में महिला की विशेष महानता है कि अगर मर्दों से अधिक नहीं है तो कम भी नहीं है।“

पवित्र कुरआन ने हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा बहुत प्रशंसा की है। हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की प्रशंसा में पवित्र कुरआन का सूरे कौसर नाज़िल हुआ है जो उनकी महानता का मुंह बोलता सुबूत है। इस सूरे में महान व सर्वसमर्थ ईश्वर हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म की शुभ सूचना पैग़म्बरे इस्लाम को देता और कहता है कि पैग़म्बरे इस्लाम को बहुत अधिक भलाई दी गयी है और उनकी नस्ल ख़त्म नहीं होगी।

इस्लामी विद्वान और धर्मगुरु हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शान और उनकी महानता के बारे में पवित्र कुरआन की दूसरी आयतों को बयान करते हैं जैसे आयते मुबाहेला, आयते मवद्दत और आयते तत्हरीर। प्रसिद्ध सुन्नी विद्वान जलालुद्दीन सियुती पवित्र कुरआन की अपनी व्याख्या में किताब में विभिन्न हवालों से लगभग 20 रिवायतों को बयान करते और पवित्र कुरआन के सूरे अहज़ाब की 33वीं आयत के बारे में कहते हैं” आयत में जो अहले बैत का उल्लेख हुआ है उससे तात्पर्य केवल पैग़म्बरे इस्लाम, अली, फातेमा, हसन और हुसैन हैं।“

दोस्तो हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर आप सबकी सेवा में एक बार बधाई पेश करते हैं और पैग़म्बरे इस्लाम का वह कथन पेश करते हैं जिसमें आप हज़रत फातेमा ज़हरा स. से फरमाते हैं” मेरी बेटी जो तुम पर दुरूद भेजेगा ईश्वर उसे क्षमा कर देगा और स्वर्ग में जहां भी हम होंगे महान ईश्वर उसे हमसे मिला देगा। MM

हमारा व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए क्लिक कीजिए

हमारा टेलीग्राम चैनल ज्वाइन कीजिए

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब कीजिए!

ट्वीटर पर हमें फ़ालो कीजिए 

फेसबुक पर हमारे पेज को लाइक करें।  

टैग्स