Jul ०१, २०२१ १९:०३ Asia/Kolkata
  • MKO का समर्थक पश्चिम मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरता है कितनी अजीब बात है! सर्वोच्च नेता

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कहा कि अमेरिका में चुनावों के बाद जो कुछ हुआ उसके दृष्टिगत अमेरिकी ईरान में होने वाले चुनावों में एक शब्द भी बोलने के लाएक़ नहीं हैं।

सात तीर 1360 हिजरी शमसी अर्थात 28 जून 1981 को मिथ्याचारी गुट एमकेओ ने ईरान की न्यायपालिका प्रमुख आयतुल्लाह शहीद बहिश्ती और देश की 72 हस्तियों व सांसदों को एक आतंकवादी हमले में शहीद कर दिया था। इस दिन को यानी 28 जून को ईरान में न्यायपालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने न्याय पालिका के अधिकारियों व सदस्यों से मुलाक़ात में शहीद बहिश्ती को एक महान विद्वान, विचारक, बुद्धिजीवी, सच्चा क्रांतिकारी, मोमिन, धर्मपरायण और बहुत महान व प्रभावी हस्ती बताया और कहा हमारे महान शहीद, शहीद बहिश्ती का देश और राष्ट्र की गर्दन पर हक़ है और वह इस्लामी न्यायपालिका की आधार शिला का रखना है, यह कोई आसान कार्य नहीं था। यह कठिन काम था। उन्होंने न्याय पालिका के लिए एक नया कार्य आरंभ किया था जो धीरे- धीरे आगे बढ़ रहा था। सच में उन्होंने बड़ा कार्य आरंभ किया था और उनमें से बहुत से कार्य धीरे- धीरे परिणाम पर पहुंचे और लाभदायक सिद्ध हुए।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने आयतुल्लाह बहिश्ती और उनके साथियों को शहीद करने में एमकेओ के जघन्य अपराधों की ओर संकेत करते हुए कहा इन हत्यारों ने अपने अपराधों को स्वीकार किया है और उसे लोग देख सकते हैं। आज मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाले फ्रांस और यूरोप के दूसरे देशों में ये हत्यारे आज़ादी से रहते हैं और यूरोपीय सरकारें, फ्रांस की सरकार और दूसरों को शर्म भी नहीं आती कि वे इनके रहते हुए और इनका समर्थन करके और इन्हें अपनी राष्ट्रीय बैठकों व सभाओं में बुलाते हैं और इनकी मौजूदगी में मानवाधिकारों की रक्षा का राग भी अलापते हैं, यानी वास्तव में पश्चिम का दुस्साहस व निर्लज्जता असाधारण और अजीब है।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने पूरे देश में न्याय पालिका से संबंधित व सक्रिय ज़िम्मेदारों का आभार प्रकट किया और न्याय पालिका प्रमुख की सराहना करते हुए कहा न्याय पालिका प्रमुख का कार्य उसी चीज़ का चरित्रार्थ था जिसे हम बारमबार कहते रहते हैं एक जेहादी कार्य, यानी गम्भीरता व पूरी तनमयता से रात-दिन काम करना, सतत प्रयास, इस प्रकार का कार्य व प्रयास था। खुदा का शुक्र है कि उसके अच्छे परिणाम भी रहे हैं और उसका सबसे महत्वपूर्ण प्रतिफल, लोगों में न्याय पालिका के प्रति आशा व उम्मीद का ज़िन्दा हो जाना है, लोगों को न्याय पालिका के प्रति आशान्वित कर दिया।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने इस आशा और भरोसे को सामाजिक पूंजी बताया और आयतुल्लाह इब्राहीम रईसी के न्याय पालिका का प्रमुख बन जाने के बाद इस पालिका में होने वाले परिवर्तनों की ओर संकेत किया और भविष्य में न्याय पालिका का मार्ग क्या होगा इस संबंध में कुछ बिन्दुओं को बयान किया।

सर्वोच्च नेता ने सबसे पहले कहा कि जनाब रईसी के काल में न्याय पालिका में जो बदलाव व परिवर्तन हुए हैं उन्हें जारी रहना चाहिये और उन्हें रुकना नहीं चाहिये बल्कि उसमें और गति आनी चाहिये। क्योंकि जब एक कार्य आरंभ हो चुका है और चाहते हैं कि वह परिणाम तक पहुंच जाये तो उसे रास्ते में और तेज़ होना चाहिये और लगातार उसकी शक्ति में वृद्धि होनी चाहिये और उसे मज़बूत किया जाना चाहिये ताकि गंतव्य तक पहुंच जाये।

इसी प्रकार इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने न्याय पालिका में परिवर्तन को अच्छा बताया और कहा कि वास्तव में इसे व्यवहारिक बनाया जा सकता है और केवल नारा नहीं है। उन्होंने देश के अधिकारियों व ज़िम्मेदारों का आह्वान किया कि वे इसी चीज़ को परिवर्तन का आधार करार दें। हालिया दो वर्षों में यह बात चर्चा का विषय रही है कि लगभग 2000  कारखाने जो बंद पड़े हैं उन्हें दोबारा सक्रिय किया जाये।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने इस बात से प्रसन्नता जताते हुए कहा कि आम लोगों के अधिकारों को जीवित करने के संबंध में कार्यवाही न्याय पालिका का महत्वपूर्ण दायित्व है और इसे ध्यान में रखा जाना चाहिये, इसे अंजाम दिया जाना चाहिये, यह महत्वपूर्ण कार्य है। अलबत्ता केवल आर्थिक मामले नहीं है, स्वास्थ्य, शिक्षा,पर्यावरण और इस जैसे बहुत से दूसरे मामले हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

 

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता अच्छाई का आदेश देने और बुराई से रोकने को आम विषय बताते और इस पर समाज में अमल न किये जाने पर खेद जताते हुए कहते हैं जो लोग किसी प्रकार के लक्ष्य के बिना इस अनिवार्य ईश्वरीय दायित्व पर अमल करते हैं उनका समर्थन किया जाना चाहिये। इसी प्रकार इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कहा कि न्याय पालिका के भीतर भ्रष्टाचार से संघर्ष इस ईश्वरीय दायित्व पर अमल में सर्वोपरि है और समूचे देश में जज और न्याय पालिका से जुड़े अधिकांश लोग शरीफ़, मोमिन और त्यागी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हर विभाग में कम ही सही किन्तु भ्रष्ट तत्व भी होते हैं और वे अपना असर दिखाते हैं।

सर्वोच्च नेता कहते हैं मिसाल के तौर पर अदालत में या किसी दूसरे स्थान पर मध्यम वर्ग का एक अधिकारी हो और वह कोई ग़लती करे और कोई दूसरा व्यक्ति उसकी ग़लती से अवगत हो जाये और वह किसी तीसरे से कहे तो सीधी सी बात है कि यह अफवाह फैल जायेगी कि न्याय पालिका में भ्रष्टाचार है। यह एक आदमी ग़लत है परंतु पूरी न्याय पालिका बदनाम होती है, ऐसे आदमी के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिये।

 

उन्होंने न्याय पालिका प्रमुख के एक सकारात्मक कार्य की सराहना करते हुए कहा कि लोगों के मध्य जाना इस बात का सूचक है कि वे लोगों में से हैं। इसे न छोड़िये। न्याय पालिका के अधिकारियों को चाहिये कि वे उनके बाद इसे न छोड़ें। यह बहुत अच्छा और महत्वपूर्ण कार्य है। जैसाकि मैंने कहा कि इस काम के बहुत फायदे हैं। लोगों के मध्य जाना, समाज में सक्रिय गुटों के साथ संपर्क रखना, विश्व विद्यालयों और धार्मिक शिक्षा केन्द्रों, आर्थिक क्षेत्रों और महिलाओं से संबंधित मामलों में सक्रिय लोगों से संपर्क रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने आशा जताई कि न्याय पालिका ताक़त के साथ उसी रास्ते को जारी रखेगी जिस पर वह पिछले दो साल से चल रही है और अधिक सक्रियता के साथ बेहतर परिणाम से देश और राष्ट्र को लाभांवित करेगी।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने भाषण के एक अन्य भाग में 18 जून को राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव की ओर संकेत किया और इस चुनाव में जनता की भारी उपस्थिति को महान कार्य की संज्ञा दी और कहा यह बहुत बड़ा कार्य था। जिन विश्लेषकों की नज़र इस चुनाव पर थी वे समझ गये कि क्या हुआ। यह दुनिया में कहां होता है कि सारे प्रचारिक व दुश्मनों के तंत्र इस बात पर लग जायें कि लोग चुनावों में भाग न लें उसका बहिष्कार करें कहां इस प्रकार का काम होता है? किस देश में आप जानते हैं कि अमेरिका, ब्रिटेन और कुछ अरब देशों के संचार माध्यम लोगों को चुनावों में भाग लेने से रोकने के लिए इतने बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार करते हैं। इन देशों के संचार माध्यम और इन देशों से पैसा लेकर काम करने वाले गद्दार ईरानी काफी समय पहले से रेडियो, टीवी, सेटेलाइट और एक नहीं हज़ारों साइटों पर लोगों को चुनाव में भाग न लेने के लिए उकसाते थे। इस काम के लिए उनके पास एक बहाना भी था और वह लोगों की आर्थिक स्थिति। इससे उन्होंने उम्मीदें लगा रखी थी। इसी प्रकार जब राष्ट्र पति की योग्यता या अयोग्यता का मामला आया तो उन्हें ईरान के खिलाफ दुष्प्रचार का एक और बहाना मिल गया।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने गार्जियन परिषद के सदस्यों को धर्मपरायण, सदाचारी और धर्म के प्रति कटिबद्ध व्यक्ति बताया और कहा कि ये लोग धार्मिक क़ानूनों पर अमल करते हैं।

सर्वोच्च नेता कहते हैं कि दुश्मनों की उम्मीद यह थी कि चुनावों में लोगों की भागीदारी 20 से 25 प्रतिशत रहेगी। यह बात भी दुश्मनों ने अपनी ज़बान से बयान की। पर इस प्रकार के वातावरण में लोग आये और चुनाव में भाग लिया। कोरोना होने के बावजूद। जो लोग विशेषज्ञ हैं उनका कहना है कि कम से कम 10 प्रतिशत लोगों ने कोरोना की वजह से मतदान में भाग नहीं लिया। इस हिसाब से अगर देखें तो 60 प्रतिशत के निकट लोगों ने चुनावों में भाग लिया जो अच्छी बात है। इन सबके बावजूद लोग आते हैं सुबह से लाइन में खड़े हो जाते हैं और वोट देते हैं और उनकी जो प्रेरणादायक व उत्साहजनक बातें टीवी से प्रसारित होती हैं, इंसान उन्हें देखता है वे क्या हैं? यह ज़ोरदार थप्पड़ है, प्रतिबंध लगाने वालों और चुनाव के विरोधियों पर। लोग खड़े हो गये यह वास्तव में महान कारनामा है यह वास्तव में एक महान जनकारनामा है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कुछ लोगों के अमान्य वोटों के बारे में विश्लेषणों को ग़लत बताया और कहा कि पहली बात तो यह है कि अमान्य वोटों का यह मतलब नहीं है कि मतदाता इस्लामी व्यवस्था का विरोधी है बल्कि इसका उल्टा है। क्योंकि जो मतदाता मतदान केन्द्र तक आया है उसे वह उम्मीदवार नहीं मिला जिसे वह वोट देना चाहता है यानी उसके दृष्टिगत उम्मीदवार का नाम उम्मीदवारों की सूची में नहीं मिला परंतु उसने उस उम्मीदवार का नाम मतपत्र पर लिख दिया जिसे वह वोट देना चाहता था या मतपत्र पर किसी का नाम ही नहीं लिखा। वास्तव में उसने मतदान केन्द्र पर जाकर इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपनी निष्ठा दिखा दी है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने  कहा कि इस प्रकार के लोगों ने मतदान केन्द्रों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर कई महीनों से विश्व साम्राज्यवादियों के कार्यक्रमों पर पानी फेर दिया और लोगों को चुनावों का असली विजेता बताया क्योंकि उन्होंने ईरान के दुश्मनों को पराजय का स्वाद चखाया।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने राष्ट्रपति पद के लिए होने वाली चुनावी डिबेट की ओर संकेत किया और कहा कि राष्ट्रपति पद के समस्त उम्मीदवार इस बात पर एकमत थे कि आर्थिक समस्याओं के समाधान का रास्ता है और ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं का समाधान नहीं है जबकि दुश्मन यह दिखाने व समझाने के प्रयास में था कि आर्थिक समस्याओं का कोई समाधान नहीं है। इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अमेरिका जैसे दुश्मन देश में होने वाले चुनावों को दुनिया वालों की नज़र में हास्यास्पद बताया और उन घटनाओं की याद दिलाई जो अमेरिका में चुनावों के बाद हुई थीं और कहा कि उन बातों के दृष्टिगत अमेरिकी ईरान के चुनावों के बारे में एक शब्द भी बोलने के लाएक़ नहीं हैं।

बहरहाल ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने अपने संबोधन के अंत में ख़ुदा का शुक्र अदा किया और निर्वाचित राष्ट्रपति के साथ अधिकारियों के अच्छे व्यवहार व बर्ताव के प्रति प्रसन्नता व संतोष जताया और आशा जताई कि यह ईश्वरीय नेअमत हमेशा बाक़ी रहेगी। 

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