Nov ०३, २०२१ १९:२० Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर-72

मिशिगन विश्व विद्यालय के शोधकर्ताओं ने ईरान की महिला वैज्ञानिक के नेतृत्व में विशिष्ट प्रकार के कार्डियोपल्मोनरी का उत्पादन किया जिससे दिल का क्रियाकलाप बेहतर होता है, इस काम से इंपाल्टेशन की संभावना कम से कम स्तर पर पहुंच जाती है।

इंसान का दिल 70 साल के दौरान लगभग 25 लाख बार धड़कता है। कभी भी आराम के समय दिल इस दबाव को सहन नहीं कर पाता जिसकी वजह से उसको भारी नुक़सान हो जाता है।

एट्रियल फिब्रिलेशन को आमतौर पर अनियमित दिल की धड़कन के रूप में जाना जाता है जो रक्त के थक्के, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और अन्य समान हृदय जटिलताओं को जन्म दे सकता है। सामान्य रूप में यह जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है। लेकिन ध्यान ना देने या वक़्त पर उपचार ना लेने से उपर्युक्त जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए डॉक्टर से तत्काल सलाह लेना आवश्यक है। अधिकांशतः 65 वर्ष से ऊपर के लोगों में इसका खतरा अधिक पाया जाता है, हालाँकि किसी भी आयु वर्ग के लोगों को यह प्रभावित कर सकता है।

 

क्या आपके साथ ऐसा होता है जब दिल की धड़कन अचानक से तेज हो जाए, दिल में घबराहट सी महसूस होने लगे। अगर हां, तो कभी आपने सोचा है ऐसा क्यों होता है। दरअसल, आपकी बॉडी आपके दिल के काम करने की स्थिति पर निर्भर करती है। दिल जितना एक्टिव रहेगा, बॉडी उतना अच्छा वर्क करेगी। इसलिए डॉक्टर्स हमेशा ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल को संतुलित रखने की सलाह देते हैं।

कभी-कभी सामान्य रूप से भी दिल तेजी से धड़कने लगता है। घबराहट और कमजोरी महसूस होती है। वैसे तो ऐसा होना आम है, लेकिन अक्सर ही आपके साथ ऐसा हो, तो चिंता की बात है। जब भी हार्ट बीट के साथ ऐसा हो, तो इसे आरेथमिया कहते हैं। दुलर्भ मामलों में धड़कन की स्थिति में बदलाव सीरियस हार्ट कंडीशन का संकेत होता है। शरीर को दिल की बीमारियों से बचाने के लिए दिल की धड़कन को संतुलित रखने की जरूरत होती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे दिल की धड़कन से जुड़ी स्थितियों, लक्षणों और उनके समाधान के बारे में।

आपका दिल नॉर्मल रेंज 60 -100 बीट प्रति मिनट की गति से धड़कता है। लेकिन जब कभी यह तेजी से धड़कने लगे, तो इस कंडीशन को टाचिकार्डिया कहते हैं। हार्ट बीट के तेज होने का मतलब है कि यह अपनी क्षमता से ज्यादा तेज धड़क रहा है। ऐसी स्थिति में आपको सीने में दर्द महसूस हो सकता है। इसका कारण दिल की बीमारी,फेफड़ों से जुड़ी बीमारी, जन्म से एबनॉर्मल हार्ट स्ट्रक्चर की समस्या, बुखार रहना और डिहाइड्रेशन इत्यादि हो सकता है।

 

कभी धड़कन तेज तो कभी धीमी भी हो सकती है। वैसे तो ऐसा होना सामान्य है। ऐसा तब होता है, जब किसी व्यक्ति की हार्ट रेट 60 बीट प्रति मिनट से कम हो जाए। इस स्थिति को ब्राडीकार्डिया कहते हैं। एथलीटों में ऐसा होना आम है, लेकिन सामान्य व्यक्ति के हार्ट बीट स्लो होने का मतलब है दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई ठीक से ना होना। इस स्थिति में व्यक्ति को थकावट, कमजोरी और चक्कर भी आ सकते हैं। इसका कारण हाई ब्लड प्रेशर,सोने में तकलीफ़ होना,जन्म से ह्दय से जुड़ी समस्याएं और हार्ट टिशू में डैमेज होना इत्यादि शामिल है।

हार्ट बीट स्लो हो जाए, तो डॉक्टर इनके कारणों का उपचार करने का सुझाव देते हैं। कोशिश करें, कि बॉडी को अच्छी मात्रा में ब्लड मिलता रहे। हार्ट बीट जरूरत से ज्यादा कम होने की स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इसके लक्षणों को ज्यादा देर तक नजरअंदाज न करें। दोस्तो अब हम आपको सांस की बीमारी और उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं और उपचार के बारे में आपको बताएंगे।

जब हम स्वस्थ होते हैं तो हम अपने साँस लेने को गंभीरता से नहीं लेते हैं और पूरी तरह से इस बात की सराहना नहीं करते हैं कि फेफड़े हमारे जीवन के लिए आवश्यक अंग हैं। लेकिन जब हमारे फेफड़ों का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है तब हमें पता चलता है कि सांस लेने के अलावा कुछ भी मायने नहीं रखता है। फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए यह दर्दनाक वास्तविकता है-एक ऐसी स्थिति जो दुनिया के हर कोने में हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। फेफड़े के रोग लाखों को मारते हैं और लाखों को पीड़ित करते हैं। हमारे फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए खतरा हर जगह है, और वे कम उम्र में शुरू होते हैं जब हम सबसे ज्यादा चपेट में आने वाले होते हैं। सौभाग्य से इनमें से कई खतरे टालने योग्य हैं और उनका उपचार किया जा सकता है। अभी सक्रियता दिखा कर हम खुद को और कई लोगों को बचा सकते हैं।

 

श्वसन रोग एक भारी स्वास्थ्य बोझ का कारण बनता है। यह अनुमान है कि दुनिया भर में 235 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, 200 मिलियन से अधिक लोगों को पुराने बाधाकारी फेफड़ा-संबंधी रोग अर्थात सीओपीडी है, 65 मिलियन मध्यम से गंभीर सीओपीडी से पीड़ित होते हैं। 1 से 6 प्रतिशत वयस्क आबादी नींद में अव्यवस्थित साँस लेने का विकार, 9.6 मिलियन लोग प्रतिवर्ष तपेदिक से पीड़ित होते हैं, लाखों फेफड़ा-संबंधी उच्च रक्तचाप के साथ जीते हैं और 50 मिलियन से अधिक लोग कार्यस्थल में होने वाले फेफड़ों की बीमारियों से जूझते हैं, कुल 1 अरब से अधिक लोग पुरानी श्वसन बीमारियों से पीड़ित होते हैं।

बायोमास ईंधन की खपत के विषाक्त प्रभाव से कम से कम 2 बिलियन लोग प्रभावित होते हैं, 1 अरब लोग बाहरी वायु प्रदूषण के संपर्क में आते हैं और 1 बिलियन लोग तंबाकू के धुएं के संपर्क में आते हैं। प्रत्येक वर्ष 4 मिलियन लोग पुरानी सांस की बीमारी से समय से पहले मर जाते हैं।1

जब हम श्वसन रोगों के लक्षणों के बारे में बात करते हैं तो खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और हिमोपटाइसिस अर्थात बलग़म में ख़ून आना प्रमुख लक्षण हैं। खांसी लंबे समय तक बलगम और कभी-कभी बलगम में खून के साथ भी मौजूद हो सकती है। थूक में रक्त की उपस्थिति एक अशुभ संकेत है और रोगी की ठीक से जांच की जानी चाहिए। अस्थमा के रोगी में आमतौर पर कफ के साथ बलगम मौजूद होता है और साथ ही मौसम में बदलाव के साथ यह बदलता रहता है। सीओपीडी के रोगी में कफ के साथ बलगम मौजूद होता है जिसमें जल्दी थकावट हो जाती है, जो धीरे-धीरे बढते जाते हैं यदि इसका ठीक से इलाज न किया जाए। तपेदिक एक बहुत ही आम बीमारी है और रोगी आमतौर पर खांसी, बलग़म, बलग़म में ख़ून आने, वज़न घटने और अन्य कई लक्षणों से पीड़ित होते हैं।

 

फेफड़े का कैंसर वर्तमान में पुरुषों और महिलाओं दोनों में दूसरा सबसे आम कैंसर है। सिगरेट धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण है। धूम्रपान न करने वालों में या रेडॉन के संपर्क में आने, वायु प्रदूषण और एस्बेस्टोस के संपर्क में आने आदि के कारण विकसित हो सकता है। फेफड़े के कैंसर के रोगी आमतौर पर खांसी, बलगम में खून आने, वजन घटने, फुफ्फुस गुहा में द्रव के जमा होने संचय आदि से प्रभवित होते हैं। रोग का निदान आमतौर पर मुश्किल होता है अगर मरीज अपनी बीमारी के अंतिम चरण में होते हैं।

तो यह कहना समझदारी है कि अगर किसी भी मरीज में ये लक्षण हैं तो उन्हें फुफ्फुसीय रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। इनमें से कई रोगियों को छाती के एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्रोंकोस्कोपी, फुफ्फुस बायोप्सी, पॉलीसोम्नोग्राफी अर्थात नींद की बीमारी वाले रोगियों के लिए) और कई अन्य उन्नत जांचों की आवश्यकता होती है।

सामान्य चिकित्सकों को अपने प्रतिदिन के दिनचर्या में सांस की बीमारियों के बहुत सारे मामले मिलते हैं। जब एक मरीज अक्सर उत्तेजना के साथ सीओपोडी, गंभीर अस्थमा, आइएलडी, एक्सरे में टीबी होने की संभावना होने लेकिन बलगम जाँच में नकारात्मक होने, ठीक ना होने वाले निमोनिया से पीड़ित हो तो इन मामलों को एक फुफ्फुसीय रोग विशेषज्ञ को मिलना चाहिए। अंतिम बताए दो स्थितियों को आगे के मूल्यांकन और अन्य उन्नत परीक्षणों के लिए ब्रोंकोस्कोपी की आवश्यकता होगी।

अब सवाल यह पैदा होता कि अगर किसी को सांस की बीमारी है तो उसका उपचार कैसे किया जाए? दुनिया भर में सांस की बीमारियों का सबसे महत्वपूर्ण कारण सिगरेट पीना है। इसलिए धूम्रपान बंद करना बेहद जरूरी है। आज की दुनिया में वायु प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण समस्या है, इसलिए फेस मास्क के उपयोग की भी ज्यादा सिफारिश की जाती है। कुछ रोगियों में कुछ विशिष्ट खाद्य पदार्थ खाने या ठंड के संपर्क में आने से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। इस कारण उन रोगियों के लिए इन स्थितियों से बचने का सुझाव दिया जाता है।

निष्कर्ष के तौर पर  श्वसन रोगों से समाज में गंभीर समस्याएं पैदा होती हैं और इन रोगों से उत्पन्न चुनौतियों को कम करने के लिए सभी चिकित्सक समुदाय और समाज से प्रयास की आवश्यकता होती है। 

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