Nov २४, २०२१ १९:०४ Asia/Kolkata
  • विज्ञान की डगर-82

ईरान में मुदर्रिस टेक्नीकल विश्वविद्यालय और नीदरलैंड के वैगनिंगन विश्वविद्यालय और अनुसंधान के शोधकर्ताओं ने नैनोकंपोज़िट्स को संयोजित करने में सफलता प्राप्त की है जो भूमिगत जल स्रोतों और जलभंडारों में हैवी मेटल्स फैलने से रोकते हैं।

ज़्यादातर खनन प्रक्रिया में जहां पर खुदाई होती है वहां के आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी की बड़ी मात्रा, परिवहन, सामग्री संचय और बड़ी मात्रा में धूल मिट्टी तथा धातुओं की मोटाई की वजह से दूषित हो जाती हैं। यह प्रदूषण इन क्षेत्रों के इकोसिस्टम के लिए बहुत ही ख़तरनाक है और क्षेत्र की मिट्टी के उसर या बांझपन होने तथा भूजल भंडारों के प्रदूषण का कारण बनता है।

इकोसिस्टम, परिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र का अर्थ उस अवधारणा या क्षेत्र से है, जहाँ सभी जीव-जन्तु. पौधे, पादप आदि शामिल है| ये सभी जीव पर्यावरण में आपस में अंत:क्रिया करके एवं सामूहिक रूप से एक दुसरे पर आश्रित रहते हुए निवास स्थान एवं भोजन का आदान-प्रदान करते है।

इकोसिस्टम की अवधारणा के अंतर्गत वन, खेत, रेगिस्तान, दलदलीय इलाके एवं स्थान के अनूरूप मौसम एवं जलवायु आदि में परिवर्तन होना सम्मिलित है| आपस में इन सभी जीवो में जैव विविधता पाई जाती है, किन्तु स्थलीय एवं जलीय जीव समय आने पर एक दुसरे के साथ परस्पर क्रिया करने को भी तत्पर रहते है। कुछ इकोसिस्टम मानवीय क्रियाकलापों से प्रभावित नहीं होते, किन्तु कुछ इकोसिस्टम काफी नाजुक होते है, जैसे वन एवं पर्वतीय क्षेत्र, जो मानवीय हस्तक्षेप के कारण नष्ट हो जाते है।

 

दूषित जगहों को जोखिम और ख़तरों से दूर करने या उनसे जल्दी से ख़तरों को कम करने के लिए, विशेषकर वहां पर भूजल प्रदूषण और पौधों की विषाक्तता मौजूद है, स्थिरीकरण की शैली का उपयोग करना, कम ख़तरे और कम ख़र्चे वाला विकल्प और रास्ता समझा जाता है। यही वजह है कि शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक और पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करके नैनोकम्पोज़िट्स को संयोजित किया है जो मिट्टी में भारी धातुओं को स्थिर कर सकते हैं और उन्हें भूजल में फैलने से रोक सकते हैं। पौधों द्वारा आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों के कारण इस नैनोकम्पोज़िट को उर्वरक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और यह दूषित मिट्टी को उर्वरित करने में मदद करता है।

नैनोकम्पोजिट एक मल्टीफ़ेज़ ठोस सामग्री है जहां एक चरण में 100 नैनोमीटर (एनएम) से कम के एक, दो या तीन आयाम होते हैं या सामग्री बनाने वाले विभिन्न चरणों के बीच नैनो-स्केल दोहराने की दूरी वाली संरचनाएं होती हैं। नैनोकम्पोजिट के पीछे का विचार नैनोमीटर रेंज में आयामों के साथ बिल्डिंग ब्लॉक्स का उपयोग करना है ताकि अभूतपूर्व लचीलेपन और उनके भौतिक गुणों में सुधार के साथ नई सामग्री को डिज़ाइनदार बनाया जा सके।

शोधकर्ताओं के अनुसार, मिट्टी में भारी धातुओं को स्थिर करने के लिए बायो कोल या जैव कोयले को कम लागत वाले पदार्थ के रूप में प्रस्तावित किया गया है। इसीलिए इस योजना में बायोकोल से युक्त एक मुख्य आधार के साथ एक नैनोकम्पोज़िट डिज़ाइन किया गया है।

 

अब सवाल यह पैदा होता है कि जैव कोयला क्या है। बायोमास पैलेट विभिन्न कार्बनिक पदार्थों से बने होते हैं और थर्मल एप्लिकेशन में उपयोग किए जाते हैं। आजकल इस्तेमाल किए जाने वाले अलग-अलग जीवाश्म ईंधन के साथ डालने पर ये खराब होने वाले पैलेट तुलनात्मक रूप से साफ़ जलते हैं। पर्यावरण में घुल जाने वाले अधिकांश पदार्थ जिनके अच्छे क्रियाकलाप होते हैं, पर्यावण में विघटित होने के बाद ख़तरनामक कण छोड़ते हैं लेकिन यह नैनोकम्पोज़िट, चिटोसन, नैनोक्ले और बायोचार या बायो कोल हैं, जो तीनों ही प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल हैं।

इसके अलावा बायोकोल या बायोचर प्रकृति और अपनी बनावट की वजह से मिट्टी और उसकी उर्वरता को मज़बूत करने में मदद करते हैं। मुदर्रिस टेक्नीकल विश्वविद्यालय के शोधकर्ता के अनुसार इस शोध में लकड़ी और कागज़ उद्योग के कचरे को कच्चे माल के बायोमास के रूप में इस्तेमाल किया गया है।

अब सवाल यह पैदा होता है कि बायोमास क्या है? जीवित जीवों अथवा हाल ही में मरे हुए जीवों से प्राप्त पदार्थ बायोमास (Biomass) कहलाते है। यहां पर 'जीव' से आशय 'पौधों' से है। बायोमास ऊर्जा के स्रोत हैं। इन्हें सीधे जलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है या इनको विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन में परिवर्तित करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर गन्ने की खोई, धान की भूसी और अनुपयोगी लकड़ी इत्यादि।

यह कचरा लकड़ी और पेपर मिलों में दैनिक आधार पर कई टन रोज़ाना मुफ्त में उपलब्ध है। इस कार्य के परिणाम का उपयोग, खदानों, धातु उद्योग के कारखानों और पेंट उद्योगों इत्यादि से संबंधित पर्यावरण के प्रबंधन में किया जा सकता है। इस काम का नतीजा Environmental Science and Pollution Research नामक पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुआ है।

 

दोस्तो अमीर कबीर प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने समुद्री जल को मीठा बनाने के लिए एक उपकरण तैयार किया है जो झिल्ली का उपयोग करके पानी को शुद्ध कर सकता है। यह उपकरण बनाने वालों के अनुसार ईरान की भौगोलिक स्थिति और ओमान सागर जैसे खुले समुद्रों तक पहुंच, समुद्री जल को मीठा बनाने और इस तरीक़े से आवश्यक ताज़े पानी को निकालना, पानी की समस्या को हल करने के लिए सबसे बुनियादी समाधानों में से एक है। शोधकर्ताओं के अनुसार, उपकरण का उपयोग जल संसाधनों में दूषित पदार्थों को हटाने के लिए पानी की सफ़ाई से संबंधित अनुसंधान केंद्रों में किया जा सकता है।

शोधकर्ता ने बताया है कि इस उपकरण का उपयोग कपड़ा उद्योग में कपड़ों को रंगने, दवा उद्योग और झिल्लियों का उपयोग करने वाले भारी धातुओं के कारखानों में पानी की सफ़ाई और उसको फ़िल्टर करने के लिए बने अनुसंधान केंद्रों में किया जा सकता है। इस उपकरण का उपयोग कार्बनिक सॉल्वैंट्स को अलग करने या पानी को फ़िल्टर करने के शोधकार्य में किया जा सकता है।

दोस्तो अब हम आपको आंखों की कुछ समस्या के बारे में बताते हैं। पिछले कार्यक्रम में हमने आपको मोतिया बिन्द के लक्षण के बारे में बताया था।

 

विश्वभर में पचास वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में एज-रिलेटेड मैक्युलर डि जनरेशन या (एएमडी) दृष्टिहीनता का सबसे प्रमुख कारण है। बढ़ती उम्र इसका सबसे बड़ा रिस्क फ़ैक्टर माना जाता है, इसके अलावा अनुवांशिक और पर्यावर्णीय कारक तथा धूम्रपान इसका खतरा बढ़ा देते हैं। एएमडी सीधे मैक्युला को प्रभावित करता है, मैक्युला, रेटिना में एक छोटा सा क्षेत्र होता है, जो मानव नेत्र के सेंट्रल विज़न (केंद्रीय दृष्टि) के लिए ज़िम्मेदार होता है। इसके कारण आंखों का पैनापन और केंद्रीय दृष्टि प्रभावित होती है जो चीज़ों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए जरूरी होती है।

कंप्यूटर और लैपटॉप के बढ़ते इस्तेमाल के कारण ड्राय आईस ही नहीं कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। एक तो कंप्यूटर से हमारी आंखों की दूरी कम रहती है, दूसरा इस दौरान हमारी आंखों की मूवमेंट कम होती है। आंखों और सिर में भारीपन, धुंधला दिखना, जलन होना, पानी आना, खुजली होना, आंख का सूखा रहना (ड्राई आई), पास की चीजें देखनें में दिक्‍कत होना, एक वस्‍तु का दो दिखाई देना, अत्‍यधिक थकान होना, गर्दन, कंधों एंव कमर में दर्द होना कम्‍प्‍यूटर विजन सिंड्रोम के कुछ सामान्‍य लक्षण हैं।

दोस्तो आंखों की एक अन्य समस्या काला मोतिया है। काला मोतिया, ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचने से होता है। जब आंखों से तरल पदार्थ निकलने की प्रक्रिया में रूकावट आती है तो आंखों में दबाव (इंट्रा ऑक्युलर प्रेशर) बढ़ता है। अगर ऑप्टिक नर्व पर लगातार दबाव बढ़ता रहेगा तो वो नष्ट भी हो सकती हैं।

हमारी आंखों की ऑप्टिक नर्व ही सूचनाएं और किसी चीज का चित्र मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। यदि ऑप्टिक नर्व और आंखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले दबाव को कम न किया जाए तो आंखों की रोशनी पूरी तरह जा सकती है। पूरे विश्व में काला मोतिया, दृष्टिहीनता का दूसरा सबसे प्रमुख कारण है। अगर काला मोतिया की पहचान प्रारंभिक चरणों में ही हो जाए तो दृष्टि को कमजोर पड़ने से रोका जा सकता है। काला मोतिया को ग्लुकोमा या काला मोतियाबिंद भी कहते हैं। यह किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन उम्रदराज़ लोगों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं।

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