क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-933
सूरए दुख़ान, आयतें 51-59 (
आइए सबसे पहले सूरए दुख़ान की आयत संख्या 51 से 55 तक की तिलावत सुनते हैं,
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي مَقَامٍ أَمِينٍ (51) فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ (52) يَلْبَسُونَ مِنْ سُنْدُسٍ وَإِسْتَبْرَقٍ مُتَقَابِلِينَ (53) كَذَلِكَ وَزَوَّجْنَاهُمْ بِحُورٍ عِينٍ (54) يَدْعُونَ فِيهَا بِكُلِّ فَاكِهَةٍ آَمِنِينَ (55)
इन आयतों का अनुवाद हैः
बेशक परहेज़गार लोग शांति की जगह पर हैं। [44:51] (यानि) बाग़ों और जलसोतों के बीच में होंगे। [44:52] रेशम की कभी बारीक और कभी दबीज़ पोशाकें पहने हुए एक दूसरे के आमने सामने बैठे होंगे। [44:53] ऐसा ही होगा और हम बड़ी बड़ी आंखों वाली हूरों के साथ उनके जोड़े बना देंगे। [44:54] वहाँ इत्मेनान से हर क़िस्म के मेवे तलब कर सकेंगे। [44:55]
पिछले कार्यक्रम में हमने जहन्नम में ज़ालिमों और गुनहगारों की हालत के बारे में बताया। अब यह आयतें जन्नत में नेक व परहेज़गारों के अच्छे जीवन की तसवीर पेश कर रही हैं। आयतें कहती हैं कि वो बड़े शांति और सुकून के माहौल में होंगे। उन्हें कोई दुख दर्द और चिंता नहीं होगी। यही सुकून और शांति अल्लाह की सबसे बड़ी नेमत है। इस दुनिया में भी यह नेमत अल्लाह जिसे दे दे वो हर तरह की बेचैनी और व्याकुलता से मुक्ति पा जाता है।
जन्नती लोगों के रहने की जगह बाग़ों, गुलिस्तानों, तरह तरह के जलसोतों और झरनों के बीच में होगी। यह अपने आप में बड़ा मदहोश कर देने वाला माहौल होगा। चूंकि वहां बड़ी विविधता और बदलाव होगा इसलिए जन्नत के लोगों का कभी उससे दिल ऊबेगा नहीं। दुनिया में रेशमी लेबास को उसकी नर्मी और आकर्षण के लिए जाना जाता है। अल्लाह ने जन्नत वालों को आख़ेरत में यही लिबास देने का वादा किया है। इन लेबासों के दभी रंग और डिज़ाइन बड़े विविधतापूर्ण होंगे इसलिए उनका नयापन और उनका आकर्षण हमेशा बना रहेगा।
जन्नत के लोगों के बीच बड़ी मोहब्बत और प्रेम होगा। उनकी बैठकों में प्रेम और स्नेह का वातावरण होगा वे एक दूसरे के सामने तख़्तों पर बैठेंगे और आपस में एक दूसरे को अपने बराबर और समान समझेंगे कोई ख़ुद को दूसरों से बेहतर नहीं क़रार देना चाहेगा।
चूंकि शारीरिका इच्छाए और रुझान आख़ेरत में भी इंसान के साथ होंगे इसलिए अल्लाह जन्नती लोगों को एसी जीवन साथी प्रदान करेगा जिसके बारे में इस दुनिया में तो कल्पना करना भी संभव नहीं है। अगर इंसान ने दुनिया में अपनी आंखों की ना महरम औरतों से हिफ़ाज़त की है कभी किसी हराम में नहीं पड़ा है तो आख़ेरत में उन्हें इस प्रकार की बेमिसाल बीवियां दी जाएंगी।
इंसान की शारीरिक ज़रूरतों में खाना पीना भी है। जन्नत में जाने वाले जो भी तलब करेंगे उनके लिए मुहैया होगा। पेड़ों पर ख़ास मौसम में नहीं बल्कि हमेशा हर प्रकार के फल लदे होंगे जिन्हें वे हाथ बढ़ाकर तोड़ सकेंगे। यह फल रंग बिरंगे होंगे और उनके स्वाद भी अलग अलग होंगे। यह फल तोड़ने में जन्नती लोगों को कोई कष्ट नहीं होगा।
इन आयतों से हमने सीखाः
सुकून और शांति जन्नत में अल्लाह की सबसे बड़ी नेमत होगी जिसका ज़िक्र दूसरी नेमतों से पहले किया गया है। जन्नत में किसी नुक़सान और ख़तरे का कोई डर नहीं होगा, मौत की भी चिंता न होगी और नेमतों के छिन जाने की आशंका भी नहीं होगी।
जो चीज़ इंसान को जन्नत में ऊंचे दर्जे पर पहुंचाएगी वह तक़वा के साथ जीवन गुज़ारना और ख़ुद को हराम कामों से दूर रखना है।
दुनिया में इंसान को कुछ चीज़ों से नुक़सान की वजह से रोका गया है तो जन्नत में उसे इस परहेज़गारी के बदले बेहतरीन इनाम मिलेंगे।
जन्नत में जाने वालों की आपस में बैठकें होंगी और वे बड़ी मुहब्बत से एक दूसरे से बात करेंगे।
अब आइए सूरए दुख़ान की आयत संख्या 56 और 57 की तिलावत सुनते हैं
لَا يَذُوقُونَ فِيهَا الْمَوْتَ إِلَّا الْمَوْتَةَ الْأُولَى وَوَقَاهُمْ عَذَابَ الْجَحِيمِ (56) فَضْلًا مِنْ رَبِّكَ ذَلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ (57)
इन आयतों का अनुवाद हैः
वहाँ पहली दफ़ा की मौत के सिवा उनको मौत की तलख़ी चख़नी ही न पड़ेगी और ख़ुदा उनको दोज़ख़ के अज़ाब से महफ़ूज़ रखेगा। [44:56] (ये) तुम्हारे परवरदिगार का करम है, यही तो बड़ी कामयाबी है। [44:57]
दुनिया में इंसान की गहरी चिंता का एक विषय मौत का विषय रहा है। मौत आती है तो इंसान को उसके अपनों, दोस्तों और दिलचस्पी की सारी चीज़ों से अलग कर देती है। लेकिन अल्लाह ने वादा किया है कि बहिश्त में जाने वालों को फिर कभी मौत नहीं आएगी और वे हमेशा अमर रहेंगे। क़ुरआन की अनेक आयतों में इस अमर जीवन का ज़िक्र है। कई जगहों पर कहा गया है कि वे वहां हमेशा हमेशा रहेंगे। उन्हें मौत कभी भी जन्नत से अलग नहीं कर सकती और वे कभी जन्नत से जहन्नम में भी नहीं जाएंगे। यह मुमकिन है कि कुछ लोगों को पहले गुनाहों की वजह से दोज़ख़ में डाला जाए और कुछ समय की सज़ा के बाद उन्हें जहन्नम से जन्नत में डाला जाए। लेकिन जब इंसान का दिल और आत्मा पाक साफ़ हो गई, गुनाहों के दाग़ धुल गए और वे जन्नत में पहुंच गए तो अब यह कभी नहीं होगा कि जन्नत में जाने के बाद दोज़ख़ में फिर से डाले जाएं।
बहरहाल जो जन्नत में पहुंच गए हैं वे अल्लाह के करम और दया के नतीजे में वहां गए है और प्राकोप से सुरक्षित बच गए हैं। इसलिए अब उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है।
क़ुरआन इसके बाद दो महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख करते हुए कहता है कि यह सारी नेमतें अल्लाह के करम और दया की वजह से हैं। क्योंकि स्वाभाविक तौर पर और आम परम्परा के अनुसार बंदे अपने अमल और कर्म की वजह से तो इतनी अपार नेमतों के हक़दार नहीं बन सकते। अल्लाह अपने करम और दया से नेक और सुकर्मी इंसानों को यह नेमतें देता है और उन्हें इतनी बड़ी कामयाबियां देता है कि इस दुनिया के लोगों के लिए उनके बारे में कल्पना करना भी कठिन होता है। इतनी बड़ी सफलताओं तक पहुंचना जन्नत वालों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी भी है और यह अल्लाह की कृपा की छत्राछाया में ही हो सकता है।
इन आयतों से हमने सीखाः
जो भी जन्नत में जाता है वहां से बाहर नहीं निकलता, बल्कि वहां हमेशा रहता है।
जो भी दुनिया में अपनी इच्छाओं के बहाव में नहीं बह जाता बल्कि संयम दिखाता है और गुनाहों से दूर रहता है। अल्लाह आख़ेरत में उसे जहन्नम की आग से दूर रखेगा।
हमारे नेक काम दुनिया में सीमित होते हैं उनका जन्नत में अल्लाह की तरफ़ से दी जाने वाले नेमतों से कोई मुक़ाबला ही नहीं है। इसका मतलब यह है कि वहां मिलने वाली नेमतें सब अल्लाह के करम का नतीजा है। इंसान अपने कर्म की वजह से उनका हक़दार नहीं बन जाता।
अब आइए सूरए दुख़ान की आयत संख्या 58 और 59 की तिलावत सुनते हैं,
فَإِنَّمَا يَسَّرْنَاهُ بِلِسَانِكَ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ (58) فَارْتَقِبْ إِنَّهُمْ مُرْتَقِبُونَ (59)
इन आयतों का अनुवाद हैः
तो हमने इस क़ुरान को तुम्हारी ज़बान में (इसलिए) आसान कर दिया है ताकि ये लोग नसीहत पकड़ें। [44:58] तो (नतीजे के) तुम भी मुन्तज़िर रहो ये लोग भी मुन्तज़िर हैं। [44:59]
यह सूरए दुख़ान की आख़िरी आयतें हैं। इस सूरे के आख़िर में पैग़म्बर से कहा गया है कि वहि नाज़िल करने का लक्ष्य ध्यान दिलाना और जगाना है ताकि लोग जो ग़फ़लत में हैं वे ग़फ़लत से निकलें और अपना ख़याल रखें।
गहरे ज्ञान की किताबों के विपरीत जिन्हें आम लोग समझ नहीं पाते क़ुरआन बहुत गहरे ज्ञानों वाली पुस्तक होने के बावजूद हर वर्ग के इंसानों की समझ में आने वाली किताब है। उसके बिंदु सीख देने वाले सरल और बात को पूरी तरह स्पष्ट कर देने वाले हैं साथ ही उसकी बातें बड़ी मज़बूत और ठोस हैं। इसलिए क़ुरआन की आयतें योग्य दिलों में उतरती चली जाती हैं।
लेकिन जो इंसान इंकार करने पर तुले होते हैं और ठान कर बैठ जाते हैं कि उन्हें इंकार ही करना है उनके सामने कितनी ही आयतें क्यों न पेश कर दी जाएं वे कभी ग़फ़लत से बाहर नहीं निकलेंगे। उनकी हालत उस व्यक्ति जैसी होती है जो सोने का स्वांग रचता है। इस तरह के व्यक्ति को जगाने की लाख कोशिश कर ली जाए वो जागने वाला नहीं है। काफ़िर अपने विचार और धारणा के तहत इस प्रतीक्षा में हैं कि हे पैग़म्बर तुम्हें परजय होगी जबकि तुम अल्लाह के वादे की प्रतीक्ष में हो जिसके अनुसार तुम्हारे दीन को विजय मिलना तय है।
इन आयतों से हमने सीखाः
क़ुरआन की बातें आम शब्दों में इस तरह बयान की जाएं कि वो आम सुनने वालों की समझ में आएं। क्योंकि क़ुरआन सार्वजनिक हिदायत की किताब है यह किसी ख़ास वर्ग से विशेष नहीं है।
अल्लाह ने आसमानी किताबें और पैग़म्बरों को भेज कर लोगों पर हुज्जत तमाम कर दी है अगर कोई जान बूझ कर हक़ को स्वीकार करने से इंकार करे तो उसे अल्लाह के प्रकोप का सामने करने के लिए तैयार रहना चाहिए।