Jan २७, २०१६ १४:१५ Asia/Kolkata

हम सब अपनी दिनचर्या में इन्टरनेट के लाभों से अवगत हैं किन्तु इसके साथ हम इसके व्यक्तिगत जीवन, परिवार, संस्कृति और सामाजिक व्यवहार और संपर्कों में नकारात्मक प्रभावों और परिवर्तनों के भी साक्षी हैं।

हम सब अपनी दिनचर्या में इन्टरनेट के लाभों से अवगत हैं किन्तु इसके साथ हम इसके व्यक्तिगत जीवन, परिवार, संस्कृति और सामाजिक व्यवहार और संपर्कों में नकारात्मक प्रभावों और परिवर्तनों के भी साक्षी हैं। इन्टरनेट, मित्रों और सहकर्मियों से संपर्क की शैली को परिवर्तित कर देता है। उदाहरण स्वरूप अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काफ़ी है कि ऊंची आवाज़ में हंसने के बजाए हम केवल एलओएल का ही प्रयोग करें और अपनी प्रसन्नता और प्रसन्नता की मुद्रा को डिजीटल ढंग से शेयर करें।

 

सूचना और प्रद्योगिकी तक सरल ढंग से पहुंच से स्टैंडर्ड और आशाओं का स्तर बढ़ गया है। इस प्रकार से कि तेज़ रफ़्तारी की आदलत से धीरे धीरे हमारे व्यक्तित्व पर जल्दबाज़ी की संस्कृति छाने लगती है। आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि यदि आनलाइन अपलोड किया गया वीडियो 2 मिनट में न खुले तो अधिकतर लोग उस पेज को छोड़ देते हैं। इस प्रकार सरलता से यह पहुंच, जवाब देने की अवधि को सहन करने के स्तर को कम कर देती है। इस प्रकार से कि अधिकतर लोग, शीघ्र उत्तर न मिलने के कारण क्रोधित या आपे से बाहर हो जाते हैं और कभी कभी उनकी चिंताओं में वृद्धि या उनकी परेशानी का कारण बनता है।

 

दुनिया में समाचार प्राप्त करने का एक नया ढंग सामने आया है। आजकल हम केवल प्रसिद्ध लोगों की ज़िदगी से संबंधित समाचारों को ही नहीं देखते बल्कि हर उस व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानना चाहते हैं जो किसी प्रकार प्रसिद्ध हुए या लोगों के मन में एक रोचक कैरेक्टर पैदा करते हैं जो हमारे लिए रोचक होता है। कुछ लोग तो इस प्रकार की फ़ालतू की घटनाओं में इतना डूब चुके हैं कि वे अपने जीवन की समस्याओं और मामलों तक को भूल बैठे हैं और अपनी और अपनी ज़िदगी की क़ीमत, सामने वाले की ओर से एक अच्छे कमेंट या उसके एक लाइक में देखता है।

 

इन सबके बावजूद इन्टरनेट एक बहुत अच्छा स्रोत है जो वर्गाकृत ढंग से हमारे लिए सूचनाओं तक पहुंच को सरल बनाता है। सर्च इंजन यह स्थिति उपलब्ध कराता है कि हम बड़ी सरलता से जानकारियों के सागर में डुबकी लगा सकते हैं।

 

गूगल सर्च, गूगल कंपनी का एक सर्च इंजन है जिसकी स्थापना वर्ष 1997 में की गयी। नववर्ष के आरंभ में गूगल ने अपने कार्यक्रमानुसार हालिया कुछ वर्षों के अपने डेटा सर्च के माध्यम से वर्ष 2015 में यूज़र्स के दृष्टिगत कुछ चित्रों को जारी किया। यह इस बात की सूचक है कि पिछले वर्ष हमारी दुनिया कैसी थी और क्या क्या महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। अलबत्ता यह कहना बेहतर है कि यूज़र्स के मन में क्या सवाल उठे और उनके मन में क्या क्या घूम रहा था और उनके मन किस प्रश्नों के उत्तर में इधर उधर घूम रहे थे।

 

 

समीक्षाओं के परिणाम इस के सूचक हैं कि पेरिस का आतंकी हमला, आस्कर पुरस्कार, क्रिकेट वर्ल्ड कप, उन विषयों में से हैं जिसे दुनिया के इन्टरनेट यूज़र्स ने सर्च किया। इनमें से सबसे अधिक जिस विषय को सर्च किया गया वह पेरिस का आतंकी हमला था जिसे 89 करोड़ 70 लाख लोगों ने सर्च किया।

 

इस संबंध में पहला सर्च, हमला आरंभ होने के कुछ मिनट बाद ही आरंभ हुआ और अब तक जारी है। पूरी दुनिया के लोगों ने “ प्रार्थना किसके लिए” “दाइश कौन हैं” और पेरिस आतंकी हमलों के समय कंसर्ट करने वाला कौन सा ग्रुप था, गूगल से इस प्रकार के प्रश्न किए। अलबत्ता अन्य आतंकी हमलों को भी बारंबार गूगल पर सर्च किया गया जिनमें सेन बर्नाडिनो और चातानोगा में हालिया दिनों में हुई फ़ायरिंग की घटनाओं की ओर संकेत किया जा सकता है जो सबके सब “अमरीका में अग्नेयस्त्रों पर नियंत्रण नामक गुट के सदस्य थे। रोचक बात यह है कि पेरिस आतंकी हमलों के बाद, इस शहर से संबंधित जानकारियों के बारे में भी बहुत अधिक सर्च किए गये।

 

वर्ष 2015 की सर्च लिस्ट की तुलना में वर्ष 2014 की सर्च लिस्ट पर नज़र डालने से पता चलता है कि वर्ष 2014 में गूगल में सबसे अधिक सर्च किया जाने वाला शब्द रॉबिन विलियम्स है जो हालिवुड के अभिनेता हैं जबकि ब्राज़ील में फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप दूसरे नंबर पर सबसे अधिक सर्च किया जाने वाला था। वर्ष 2014 में आईएसआईस अर्थात दाइश या इस्लामिक स्टेट आफ़ इराक़ एडं सीरिया सर्च लिस्ट में आठवें स्थान पर था किन्तु इस साल पेरिस आतंकी हमलों के कारण सर्च करने वालों ने उनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया।

 

स्टार वॉर्स नामक फ़िल्म भी वर्ष 2015 में गूगल के यूज़र्स के निकट रोचक विषय था जबकि दा फ़ोर्स अवेकेन्स नामक फ़िल्म की रिलिज़ से जितना निकट हुए तो इसके सर्च करने वालों की संख्या में भी वृद्धि हुई। वर्ष 2015 में 15 करोड़ पचास लाख से अधिक लोगों ने गूगल के माध्यम से स्टार वॉर्स नामक फ़िल्म को सर्च किया जबकि ड्रेथ वेडर नामक कैरेक्टर को सबसे अधिक सर्च किया गया और इस फ़िल्म के कैरेक्टरों से संबंधित आधे से अधिक सर्च, इस व्यक्ति से संबंधित रहा है किन्तु इन घटनाओं के बाद अन्य विषय भी सर्च लिस्ट में शामिल हुए जिनमें यह विषय कि किस प्रकार एक आन लाइन गेम को मोबाइल में प्रयोग किया जा सकता है। रुबिक क्यूब (Rubik's cub) जैसे क्लासिक गेम को हल करने की शैली भी सर्च इंजन से बहुत अधिक सर्च किया गया।

 

वास्तविकता यह है कि जो इन्टरनेट पर अपने सवालों के जवाब तलाश करने का प्रयास करता है वह पूर्ण रूप से उस पर विश्वास नहीं कर सकता। हालिया वर्षों के अनुभव और साक्ष्य इस बात के सूचक हैं कि इन्टरनेट भी झूठ बोलता है। वर्ष 2015 ऐसा साल था जिसमें संवाददाताओं ने गुमराह करने वाले चित्र और वीडियो इन्टरनेट पर अपलोड किये। यह घटना सामान्य रूप से ताज़ा और नये समाचार के सामने आने के समय घटती है कि ग़ैर संबंधित चित्र को समाचार के लिए चुना जाता है। उदाहरण स्वरूप उस चित्र की ओर संकेत किया जा सकता है जिसमें जिसमें दो बच्चे दिखाई देते हैं जिसमें एक चार वर्षीय लड़का अपनी दो वर्षीय बहन की रक्षा करता है। इस चित्र को नेपाल के भूकंप की परिधि में जारी किया गया था जिसको पूरी दुनिया के लोगों ने बहुत अधिक सराहा। इस भाई बहन ही सहायता के लिए बहुत से लोगों ने वित्तीय सहायता की। यह फ़ोटो पूरी तरह से वास्तविकता पर आधारित है किन्तु इसका नेपाल भूकंप से कोई नाता नहीं है बल्कि यह वर्ष 2007 में वियतनाम के एक दूरस्थ गांव में लिया गया एक भाई बहन का फ़ोटो था।

 

दूसरी फ़ोटो, पेरिस आतंकी हमलों से संबंधित है। लगता है कि यह चित्र पेरिस के ओपेरा हाल में फ़ायरिंग के आरंभ होने से कुछ क्षण पहले लिया गया था और एक व्यक्ति लोगों के सामने हथियार लिए हुए दिखाई दे रहा है। यह ऐसी हालत में है कि वास्तविकता क्या है और यह चित्र डब्लिन ओलंपिक रंगमंच में कंसर्ट का लिया गया चित्र था।

 

वास्तविकता से हटकर चित्रों को पेश करने का एक अन्य उदाहरण भी सामने आया जो पेरिस आतंकी हमलों से संबंधित था। फ़ोटो देखने के बाद पता चलता है कि इससे छेड़ख़ानी की गयी है। इस चित्र में एक आत्मघाती हमलावर विदित रूप से हाथ में क़ुरआन लिए हुए दिखाई देता है जो किसी दूसरे कैमरे से लिए गये फ़ोटो में दिखाई नहीं दे रहा है किन्तु वास्तव में इस आतंकी एक टेबलेट लिए हुए है और टेबलेट के कवर को पवित्र क़ुरआन की जिल्द से बदल दिया गया है।

 

इस चित्र के सामने आने के बाद साइबर स्पेस में बहुत अधिक हंगामा मचा और शीघ्र की यह वास्तविकता सामने आ गयी कि इस चित्र से छेड़ख़ानी की गयी है जबकि यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी थी कि वह पेरिस आतंकी हमलों का एक हमलावर नहीं हो सकता था। इस व्यक्ति ने दर्पण के सामने अपनी सेल्फ़ी ली थी और फ़ोटो में दिखाई दे रहे दीवारों पर लगे इलेक्ट्रिक प्लग उत्तरी अमरीकी शैली के थे। इंडिया टाइम्ज़ ने रिपोर्ट दी कि कनेडा के रखने वाले एक सिख के फ़ोटो से फ़ोटो शॉप द्वारा छेड़ख़ानी की गयी ताकि वह एक मुसलमान और पेरिस आतंकी हमलों का हमलावर दिखाई दे। इस फ़ेक फ़ोटो को दाइश ने भी जारी किया जिसमें उक्त व्यक्ति को एक आत्मघाती जैकेट और एक हाथ में क़ुरआन के साथ दिखाया गया था।

 

इस फ़ोटो में दिखाई दे रहे विरेन्दर जुब्बल ने अपनी सेल्फ़ी चार अगस्त को ली थी जो टोरेंटो में रहने वाले एक स्वतंत्र लेखक हैं।

 

 

वर्ष 2015 का शब्द आक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी भी एमोजी या सोशल मीडिया पर प्रयोग होने वाले आइकन से विशेष हो गया। सोशल मीडिया पर प्रयोग होने वाले एमोजी विभिन्न प्रकार के हैं जिसमें हंसता हुआ, रोता हुआ, आंख मारता हुआ या विभिन्न रूप में दिखाई पड़ते हैं। कहा जाता है कि अधिक शब्द जो आदतों और परंपराओं को प्रतिबिंबित करते हैं, सोशल मीडिया के यूज़र्स को स्वयं को व्यस्त कर लेते हैं, उसकी वर्ष के नाम के रूप में चुना जाता है किन्तु इस साल एक पिक्चोग्राफ़ को वर्ष का नाम दिया गया। इमोजी सबसे पहले 1990 के दशक मे जापान में सामने आया किन्तु वर्ष 2015 में इससे इन्टरनेट यूज़र्स और सोशल मीडिया में स्वयं को संदेश वाहक के रूप मे पहचनवा लिया। वर्ष 2014 की तुलना में इस वर्ष इमोजी को यूज़र्स ने तीन गुना अधिक प्रयोग किया।

 

आपके लिए जानना यह रोचक होगा कि वर्ष 2015 में गूगल सर्च पर जिस ईरानी शब्द को सबसे अधिक सर्च किया गया वह ईरान के नेश्नल टीवी चैनल से प्रसारित होने वाला ख़ंदूवाने कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम ने सोशल मीडिया पर बहुत सुर्ख़िया बटोरी और पिछले वर्ष 2015 का ईरान का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम था। यह कार्यक्रम गूगल सर्च पर तलाश किए जाने वालों में दूसरे नंबर पर था।

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