Feb २२, २०१७ १३:२९ Asia/Kolkata

आज़ीनी तालाब विशाल ईरानी वेटलैंड का हिस्सा है।

इस तालाब का 1975 में ‘गज़ व हरा नदी डेल्टा’ शीर्षक के तहत रामसर कन्वेन्शन में पंजीकरण हुआ है। तालाबे आज़ीनी या आज़ीनी तालाब बंदर अब्बास शहर से 120 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में हुर्मुज़ जलडमरू मध्य के पूर्वी तट पर स्थित है। यह तालाब 15000 हेक्टर क्षेत्रफल पर फैला है और इसकी सतह समुद्र की सतह से मिली हुयी है।

आज़ीनी तालाब ईरान के उष्णकटिबंधीय इलाक़े के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल में है। इस तालाब में मैंग्रूव की दो प्रजातियों के जंगल हैं जिन्हें हरा और चंदल कहते हैं। इनका वैज्ञानिक नाम अविसीना मरीना और रिज़ोफ़ोरा मैंगल है। रोचक बात यह है कि दक्षिणी ईरान के पूरे तटवर्ती क्षेत्र में सिर्फ़ इस तालाब में चंदल या रिज़ोफ़ोरा मैंगल उगती है।

Image Caption

 

आज़ीनी तालाब को ईरान के समुद्री तट के तालाबों में गिना जाता है। हरा और गज़ नदियों के उत्तर से दक्षिण तक 40 किलोमीटर लंबे मुहाने से यह तटवर्ती तालाब वजूद में आया है। यह तालाब हुर्मुज़ जलडमरू मध्य के पूर्वी तट पर स्थित है। आज़ीनी तालाब ज्वार-भाटा वाली जलधाराओं, मिट्टी के तले, मैंग्रूव के जंगल, रेतीले तट और मिट्टी के अनेक टापुओं का समूह है। इस क्षेत्र की जलवायु गर्म से अर्ध गर्म रहती है और गर्मी के मौसम में तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है। इस क्षेत्र में सालाना 100 से 300 मिलिमीटर तक बारिश होती है। यह बारिश अक्तूबर से मार्च के बीच होती है। इसलिए यह इलाक़ा पानी के भीतर और पानी के किनारे रहने वाले पक्षियों ख़ास तौर पर स्लेटी रंग के पेलिकन का शरण स्थल है जहां वे शीत ऋतु बिताते हैं। इसी प्रकार यह तालाब गीलानशाह हनायी अर्थात लिमोसा लैपोनिका, बड़ी गिलानशाह और कई दूसरे प्रकार के पक्षियों का शरण स्थल है।

इसी प्रकार इस तालाब में बड़े बगुले और भारतीय बगुले भी अंडे देते हैं। शिकार करने वाले पक्षियों में सफ़ेद दुम वाला बाज़ भी शीत ऋतु में इस तालाब के आस पास नज़र आता है। अब तक इस तालाब में शरण लेने वाले 18 प्रकार के पक्षियों की पहचान की जा चुकी है कि इनमें 4 प्रकार के देशी और बाक़ी पलायन कर्ता पक्षी हैं।     

Image Caption

 

          

गज़ और हरा नदियों के मुहाने पर स्थित आज़ीनी तालाब में पहले शिकार पर रोक लगी फिर 2001 में इस तालाब को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। बर्ड लाइफ़ की अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने इस क्षेत्र की पक्षियों के महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में गणना की है।

मछली का शिकार इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक गतिविधियों का मुख्य साधन है। इसी प्रकार लोग मैंग्रूव की टहनियों को पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इस क्षेत्र में इको टूरिज़्म अर्थात पारिस्थितिकी पर्यटन की दृष्टि से बहुत संभावनाएं है।            

आज़ीनी तालाब में अविसीना मरीना का बहुत घना जंगल है। पड़ोस के तटवर्ती मैदानी इलाक़ों में विरल जंगल हैं जिनमें टैमरिक्स, ज़िज़िफ़स, प्रोपोसिस और अकेशा वनस्पतियां पायी जाती हैं।

Image Caption

 

हरा नदी के मुहाने पर अविसीना मरीना के जंगल और रिज़ोफ़ोरा मैंगल के छिटके हुए पेड़, घनत्व व ऊंचाई की दृष्टि से ईरान में आज़ीनी तालाब की एक अहम विशेषता समझी जाती है। इस उत्पत्तिस्थान की दक्षिणी ईरान के तटवर्ती क्षेत्रों में स्थित जलमय भूमि के दूसरे उत्पत्तिस्थान की तुलना में विशिष्टता का कारण, अविसीना मरीना और रिज़ोफ़ोरा मैंगल का एक दूसरे के निकट वजूद है। अविसीना मरीना के पेड़ जलमय भूमि में इकोसिस्टम की तरह हैं। ये पेड़ गर्म इलाक़ों के तटवर्ती क्षेत्र में उगते हैं और इन्हीं को मैन्ग्रूव कहा जाता है। मैंग्रूव के पेड़ों के संबंध में एक रोचक बिन्दु यह है कि जब ज्वार आता है तो पेड़ का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा नज़र आता है बाक़ी हिस्सा पानी में डूब जाता है और जब भाटा होता है तो पूरा पेड़ अपनी जड़ के साथ दिखाई देता है।

                    

मैंग्रूव को उगने के लिए मीठे पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये पेड़ दसियों लाख साल के दौरान समुद्र के खारे पानी और ज्वार-भाटे वाले तटों से आश्चर्यजनक हद तक समन्वित हो गया है। हुर्मुज़गान में मैंग्रूव की दो प्रजातियां अविसीना मरीना और रिज़ोफ़ोरा मैंगल पायी जाती हैं जबकि रिज़ोफ़ोरा मैंगल सिर्फ़ सीरीक के तटवर्ती क्षेत्र और संरक्षित आज़ीनी तालाब में उगता है। जलधाराओं के साथ मैंग्रूव के हरे-भरे पेड़, सुदंर परिन्दे, अछूती जंगली प्रकृति हुर्मुज़गान के प्राकृतिक पर्यटन आकर्षण हैं जिसके दृष्य से पर्यावरण में रूचि रखने वाले आनंद का आभास करते हैं। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक मैंग्रूव के जंगल देखने जाते हैं। मैंग्रूव के जंगल पर्यटक के मन पर ऐसी छाप छोड़ते हैं जिसे वे कभी भूल नहीं सकते।

Image Caption

 

मैंग्रूव के जंगल जलचर और पानी के आस-पास रहने वाले पशुओं के इको सिस्टम की स्थिरता के लिए बहुत अहम हैं। ईरान में मैंग्रूव का सबसे बड़ा जंगल हुर्मुज़गान प्रांत में है। हुर्मुज़गान प्रांत में यह जंगल लगभग 19000 हेक्टेरार क्षेत्रफल पर फैला हुआ है। ईरान में मैंग्रूव का 91 फ़ीसद से ज़्यादा हिस्सा तीन अंतर्राष्ट्रीय तालाबों ख़ूर ख़ूरान, रूद शूर व शीरीन मीनाब और आज़ीनी तालाब में उगता है।

पिछले कुछ साल के दौरान दुनिया के सबसे समृद्ध इको सिस्टमों में गिने जाने वाले इस इको सिस्टम की रक्षा के लिए हुर्मुज़गान प्रांत का पर्यावरण विभाग अविसीना मरीना और रिज़ोफ़ोरा मैंगल की खेती करवा रहा है।   

Image Caption

 

मैंग्रूव के जंगल हुर्मुज़गान प्रांत के तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए आर्थिक नज़र से साल के दूसरे अर्ध और ईरानी नव वर्ष की छुट्टियों के दिनों में बहुत अहमियत रखते हैं। क्योंकि इन दिनों बंदर लाफ़्त में हस्तकला उद्योग और क़िश्म द्वीप के रहने वालों के स्थानीय रीति-रिवाजों के मेले लगते हैं। पर्यटक समुद्री यात्रा और मैंग्रूव की सुंदर जलधाराओं से गुज़रते हुए इन मेलों में शामिल होते हैं और द्वीप में रहने वालों के प्राचीन रीति रिवाजों से परिचित होते हैं। उनका यह क़दम इस क्षेत्र की जनता को आर्थिक दृष्टि से बहुत फ़ायदा पहुंचाता है।

Image Caption