Apr २२, २०१८ १२:५३ Asia/Kolkata

आपको याद होगा कि हमने ईरान के रोयान शोधकेन्द्र से आपको परिचित कराया।

ईरान के वैज्ञानिक केन्द्रों में से एक यह केन्द्र उन वैज्ञानिकों की कोशिशों का फल है जिन्होंने जवान जोड़ों में अनुर्वरता को दूर करने के लिए और स्टेम सेल से एलाज के क्षेत्र में विज्ञान की नई सीमाओं को तय किया और देश को दुनिया में दर्जाबंदी में ऊंचा स्थान दिलाया। इस कार्यक्रम में एरोस्पेस के क्षेत्र में ईरान की वैज्ञानिक प्रगति के आयामों की समीक्षा करेंगे। एरोस्पेस विज्ञान व प्रौद्योगिकी के अहम व नए क्षेत्रों में है और यह आम लोगों के जीवन के स्तर को बेहतर बनाने और एक देश की अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिष्ठा व शक्ति बढ़ाने में प्रभावी योगदान दे रहा है।

इंजीनियरिंग की एक बहुत ही आकर्षक शाखा एरोस्पेस है। इस विज्ञान का इतिहास अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। अर्थात जिस समय उड़ने में रूचि रखने वालों को यह बात समझ में आयी कि उड़ने के किसी साधन को बनाकर उसके ज़रिए उड़ा जा सकता है। वैज्ञानिको ने गणित के सटीक परिकलन से इस सफलता को हासिल किया और वे ऐसा साधन बनाने में सफल हुए जिसके ज़रिए सुरक्षित उड़ान भर सकें। इस कोशिश के साथ साथ मैकेनिक्स, इलक्ट्रॉनिक्स, मेटलर्जी और एरोस्पेस विज्ञान जैसी इंजीनियरिंग की अन्य शाखाएं भी विकसित हुयीं और एरोस्पेस इंजीनियरिंग में इन शाखाओं की सबसे बड़ी उपलब्धियां, विमान, हेलीकॉप्टर और मीज़ाईल के निर्माण के रूप में सामने आयीं। इस तरह एरोस्पेस एक व्यापक विज्ञान के रूप में विकसित हुआ और विभिन्न देशों ने उसमें बड़े पैमाने पर पूंजिनिवेश किया और एरोस्पेस विज्ञान, विज्ञान की अहम शाखा के रूप में यूनिवर्सिटियों में पढ़ाया जाने लगा। एरोस्पेस प्रौद्योगिकी उन अहम विज्ञान में है जिनमें देशों के विकास में योगदान देने की अपार क्षमता है क्योंकि इसका विश्व राजनीति व अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह बात विश्वास के साथ कही जा सकती है कि इस क्षेत्र के वैज्ञानिकों की उपलब्धियां अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए व्यापक बदलाव का सबब बनीं। यह प्रौद्योगिकी आर्थिक, सैन्य, वैज्ञानिक और राजनैतिक क्षेत्र में अपनी विविधतापूर्ण उपलब्धियों के कारण दुनिया के देशों में ख़ास तौर पर विकसित देशों के कार्यक्रमों व नीति में विशेष अहमियत रखती है।

एरोस्पेस प्रौद्योगिकी के देशों की अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक व सैन्य प्रतिस्पर्धाओं में शक्ति बढ़ाने में निर्णायक रोल के मद्देनज़र इस प्रौद्योगिकी को इन देशों की वैज्ञानिक नीति में विशेष स्थान दिया गया है। सेवाएं प्रदान करने में एरोस्पेस प्रौद्योगिकी की उपयोगिता एक देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में शक्ति बढ़ाने तक सीमित  नहीं है बल्कि यह प्रौद्योगिकी आंतरिक स्तर पर संकटों के संचालन में सरकारों के लिए प्रभावी रोल रखती है। यह प्रौद्योगिकी पर्यावरण के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने, प्राकृतिक आपदाओं व घटनाओं के विनाशकारी असर को दूर करने और देशों के संभावित संकटों के नियंत्रण में प्रभावी असर रखती है। इसी तरह इन घटनाओं के घटित होने के समय सेटेलाइट घटनास्थल की व्यापक तस्वीर और सुरक्षित संपर्क बना कर संकट के संचालन को आसान बना सकता है। दूसरी ओर स्पेस दूरसंचार संपर्क के क्षेत्र में शून्य को भर सकता है, लोगों को सेवा पहुंचाने की प्रक्रिया को तेज़ करने में मदद कर सकता है, धरती के सभी क्षेत्रों तक असीमित पहुंच को संभव बनाता है, ज़मीन को व्यापक स्तर पर देखने की संभावना मुहैया करता है, ज़मीन के व्यापक क्षेत्र को कवरेज देने की संभावना मुहैया करता है और कम समय में ज़मीन के किसी भी क्षेत्र तक तेज़ी से पहुंच, इस प्रौद्योगिकी की वे विशेषताएं हैं जो इसे अन्य प्रौद्योगिकी से विशिष्ट बनाती हैं।

एरोस्पेस प्रौद्योगिकी का अहम आयाम उसका आर्थिक आयाम है। मिसाल के तौर पर सैटलाइट उदयोग, एरोस्पेस प्रौद्योगिकी की एक अहम उपलब्धि है। आंकड़े दर्शाते हैं कि इस उद्योग की सालाना आय 203 अरब डॉलर है और इस मुनाफ़े वाले बाज़ार में अमरीका की 43 फ़ीसदी भागीदारी है। आंकड़े दर्शाते हैं कि पिछले 10 साल में सैटलाइट उद्योग की सालाना विकास दर 11 फ़ीसदी रही है जो दस साल पहले की तुलना में 3 फ़ीसदी वृद्धि को दर्शाती है। यह विकास दूरसंचार और स्पेस उद्योग से हासिल आय से समन्वित है और स्पेस उद्योग की सालाना आय लगभग 323 अरब डॉलर और दूरसंचार की विश्व स्तर पर सालाना आय लगभग 5 ट्रिलियन अर्थात 50 खरब डॉलर आंकी गयी है। सैटलाइट उद्योग इन दोनों उद्योगों का सबसेट है। इस समय ज़मीन के चारों ओर स्पेस में लगभग 1231 सैटलाइट परिक्रमा कर रही हैं। इन सैटलाइटों में 38 फ़ीसद दूरसंचारिक व व्यापारिक हैं, 14 फ़ीसदी सरकारी दूरसंचारिक हैं, 14 फ़ीसदी कक्षा का आंकलन करती हैं, 11 फ़ीसदी शोध से संबंधित काम करती हैं, 8 फ़ीसदी दूरसंचार का काम करती हैं, 8 फ़ीसदी सैन्य आयाम वाली हैं, 5 फ़ीसदी वैज्ञानिक और 2 फ़ीसदी मौसम से जुड़ा काम करती हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान उन देशों में है जिसने इस्लामी क्रान्ति की सफलता के बाद के वर्षों में एरोस्पेस प्रौद्योगिकी हासिल की और  बहुत थोड़ी अवधि में वह सैटलाइट पौद्योगिकी के संपूर्ण चक्र से संपन्न दस देशों में शामिल हो गया। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ईरान की शक्ति को बढ़ाने में एरोस्पेस प्रौद्योगिकी के प्रभावी रोल और आम लोगों के जीवन के मामलों को सरल बनाने में इस प्रौद्योगिकी से लाभ उठाने की ज़रूरत के कारण हालिया वर्षों में इस्लामी गणतंत्र ईरान के विकास कार्यक्रमों में इस प्रौद्योगिकी को विशेष रूप से स्थान दिया गया है। मिसाल के तौर पर देश के व्यापक वैज्ञानिक कार्यक्रम में एरोस्पेस क्षेत्र को ईरान के विकास के लिए अहम प्रौद्योगिकीय क्षेत्रों में स्थान दिया गया है। इस संदर्भ में अंतरि में इंसान और दूरसंचारिक सैटलाइट भेजने पर बल दिया गया है।

देशों की एरोस्पेस के क्षेत्र में प्रगति की निगरानी करने वाली एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने अभी हाल में स्पेस के क्षेत्र में पांच नए उभरते देशों का नाम लिया है और इन पांच देशों में ईरान को सबसे ज़्यादा तेज़ी से स्पेस के क्षेत्र में प्रगति करने वाला देश बताया गया है।

अब तक किए गए प्रयास दर्शाते हैं कि ईरानी सैटलाइट के ज़मीन की कक्षा में पहुंचने और अंतरिक्ष यात्री को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजने से एरोस्पेस के क्षेत्र में ईरान के विकास के लक्ष्य काफ़ी हद तक व्यवहारिक हो जाएंगे। ईरान दुनिया के एरोस्पेस क्लब में शामिल हो गया है। अब वह सैटलाइट की डिज़ाइन, निर्माण और उसके दिशा निर्देश व नियंत्रण में सक्षम है और नवां देश है जिसने इस चक्र को पूरी तरह लागू किया है। दूसरी ओर ईरान ने अंतरिक्ष में एक जीवधारी को भेज कर इस क्षेत्र में दुनिया का छठा देश बनने का श्रेय हासिल किया है। इसके अलावा ईरानी वैज्ञानिकों ने 2013 के अंत तक संदर्भ देने योग्य लेखों की संख्या की नज़र से पश्चिम एशिया में दूसरा स्थान हासिल किया। इस वर्गीकरण में ईरान ने एरोस्पेस के क्षेत्र में 1349 रेफ़्रेन्स लेख के साथ ज़ायोनी शासन के बाद दूसरा स्थान और दुनिया में 21वां स्थान हासिल किया और तुर्की का स्थान ईरान के बाद है। इस वर्गीकरण में ईरान एरोस्पेस से संबंधित लेखों के प्रभाव की दृष्टि से पश्चिम एशिया के 4 बड़े देशों में है और एरोस्पेस के उसके 30 लेख ऐसे हैं जिनमें से हर एक का कम से कम 30 बार ज़िक्र किया गया है। ईरान प्रकाशित लेखों की संख्या की दृष्टि से 2010 से 2013 के बीच क्षेत्र के देशों में सबसे ऊपर था और दुनिया में 1996 में अपने 43वें स्थान से उन्नति करके 2013 में 11वें स्थान पर पहुंचा।

 

ईरान में एरोस्पेस विज्ञान बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है। हर साल देश की 19 यूनवर्सिटियों से एरोस्पेस के 200 से ज़्यादा ग्रेजुएट, 200 पोस्ट ग्रेजुएट और 30 डॉक्ट्रेट के छात्र निकल रहे हैं।

ईरान ने यह वैज्ञानिक सफलताएं ऐसी हालत में हासिल की हैं जब ईरान अन्यायपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों व दबाव में था। अमरीका की अगुवाई में पश्चिमी देशों ने पाबंदियां लगाकर विभिन्न क्षेत्रों में ईरान की प्रगति को रोकने का प्रयास किया लेकिन ईश्वर की कृपा और इस्लामी गणतंत्र ईरान के अधिकारियों और जनता के संकल्प से ये पाबंदियां ईरानी जनता के लिए एरोस्पेस के क्षेत्र में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए अधिक से अधिक प्रयास करने की प्रेरणा साबित हुयीं।

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