क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-672
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-672
قَالُوا لَئِنْ لَمْ تَنْتَهِ يَا نُوحُ لَتَكُونَنَّ مِنَ الْمَرْجُومِينَ (116) قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ (117) فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (118)
उन्होंने कहा (हे नूह!) यदि तुम न माने तो निश्चित रूप से तुम संगसार होने वालों में शामिल हो जाओगे। (26:116) नूह ने कहा, हे मेरे पालनहार! मेरी जाति वालों ने तो मुझे झुठला ही दिया है। (26:117) तो अब तू मेरे और उनके बीच फ़ैसला कर दे (और मार्ग दिखा) तथा मुझे और जो ईमान वाले मेरे साथ है, उन्हें (इन काफ़िरों से) बचा ले। (26:118)
فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ (119) ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ (120) إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (121) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (122)
तो हमने उन्हें और जो भी उनके साथ (लोगों व पशुओं से) भरी हुई नौका में था बचा लिया। (26:119) फिर हमने शेष लोगों को डूबो दिया। (26:120) निश्चय ही इस (घटना) में एक बड़ी निशानी है फिर भी उनमें से अधिकतर ईमान लाने वाले नहीं थे। (26:121) और निःसंदेह आपका पालनहार बड़ा प्रभुत्वशाली और अत्यन्त दयावान है। (26:122)
كَذَّبَتْ عَادٌ الْمُرْسَلِينَ (123) إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ هُودٌ أَلَا تَتَّقُونَ (124)
आद (जाति) ने भी पैग़म्बरों को झूठलाया। (26:123) जब उनके भाई हूद ने उनसे कहा, क्या तुम ईश्वर से नहीं डरते? (26:124)
إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (125) فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (126) وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ (127)
निश्चित रूप से मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ। (26:125) अतः तुम ईश्वर से डरो और मेरा अनुसरण करो। (26:126) मैं (पैग़म्बरी के) इस काम पर तुमसे कोई प्रतिफल नहीं माँगता कि मेरा प्रतिफल तो ब्रह्मांड के पालनहार के ज़िम्मे है। (26:127)