May १६, २०१८ १४:५० Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-675

 

وَلَا تُطِيعُوا أَمْرَ الْمُسْرِفِينَ (151) الَّذِينَ يُفْسِدُونَ فِي الْأَرْضِ وَلَا يُصْلِحُونَ (152)

 

और अपव्यय करने वालों का अनुसरण न करो। (26:151) कि जो धरती में बिगाड़ पैदा करते हैं और सुधार का काम नहीं करते। (26:152)

 

 

قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مِنَ الْمُسَحَّرِينَ (153) مَا أَنْتَ إِلَّا بَشَرٌ مِثْلُنَا فَأْتِ بِآَيَةٍ إِنْ كُنْتَ مِنَ الصَّادِقِينَ (154)

 

उन्होंने कहा हे सालेह! निश्चित रूप से आप पर जादू-टोना कर दिया गया है। (26:153) आप तो हम जैसे एक मनुष्य के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं। तो अगर आप सच्चे हैं तो (चमत्कार के रूप में) कोई निशानी ले आइये। (26:154)

 

 

قَالَ هَذِهِ نَاقَةٌ لَهَا شِرْبٌ وَلَكُمْ شِرْبُ يَوْمٍ مَعْلُومٍ (155) وَلَا تَمَسُّوهَا بِسُوءٍ فَيَأْخُذَكُمْ عَذَابُ يَوْمٍ عَظِيمٍ (156)

 

सालेह ने (चमत्कार की मांग के जवाब में) कहा, यह ऊँटनी है। (जो ईश्वर की इच्छा से पहाड़ से पैदा हुई है।) एक दिन पानी पीने की बारी इसकी है और एक निर्धारित दिन पानी लेने की बारी तुम्हारी है। (26:155) और तकलीफ़ पहुँचाने के लिए इसे हाथ न लगाना कि एक बड़े दिन का दंड तुम्हें आ लेगा। (26:156)

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