क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-676
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-676
فَعَقَرُوهَا فَأَصْبَحُوا نَادِمِينَ (157) فَأَخَذَهُمُ الْعَذَابُ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَةً وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ (158) وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ (159)
तो उन्होंने मार दिया (और) फिर (अपने किए पर) पछताने लगे। (26:157) तो (ईश्वरीय) दंड ने उन्हें आ लिया। निश्चय ही इस (घटना) में एक बड़ी निशानी है और उनमें से अधिकतर ईमान वाले नहीं थे। (26:158) और (हे पैग़म्बर!) निःसंदेह आपका पालनहार ही है जो अजेय और अत्यन्त दयावान है। (26:159)
كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوطٍ الْمُرْسَلِينَ (160) إِذْ قَالَ لَهُمْ أَخُوهُمْ لُوطٌ أَلَا تَتَّقُونَ (161) إِنِّي لَكُمْ رَسُولٌ أَمِينٌ (162) فَاتَّقُوا اللَّهَ وَأَطِيعُونِ (163) وَمَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى رَبِّ الْعَالَمِينَ (164)
लूत की जाति (के लोगों) ने भी पैग़म्बरों को झुठलाया, (26:160) जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा कि क्या तुम (ईश्वर से) नहीं डरते? (26:161) निश्चय ही मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार पैग़म्बर हूँ। (26:162) तो ईश्वर से डरो और मेरा आज्ञापालन करो। (26:163) और मैं (पैग़म्बरी के) इस काम पर तुमसे कोई प्रतिफल नहीं माँगता, मेरा प्रतिफल तो ब्रह्मांड के पालनहार के ज़िम्मे है। (26:164)
أَتَأْتُونَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعَالَمِينَ (165) وَتَذَرُونَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِنْ أَزْوَاجِكُمْ بَلْ أَنْتُمْ قَوْمٌ عَادُونَ (166)
क्या संसार के लोगों में से तुम पुरुषों से संबंध स्थापित करते हो? (26:165) और अपनी पत्नियों को, जिन्हें तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए पैदा किया है, छोड़ देते हो? बल्कि तुम सीमा से बढ़ जाने वाले लोग हो। (26:166)