ईश्चारश आतिथ्श- 6
रमज़ान महीने में पवित्र क़ुरआन को चाहने वाले पहले से अधिक क़ुरआन से निकट हो जाते हैं और पवित्र क़ुरआन की तिलावत करके और उसकी शिक्षाओं को समझकर और उस पर अमल करके अपने दिलों को नया जीवन प्रदान करते हैं।
सालभर में आने वाली फ़सलों में सबसे सुन्दर और प्रफुल्लतादायक फ़सल बहार या बसंत ऋतु है। इस फ़सल में चारों ओर हरियाली ही हरियाली नज़र आती है और पेड़ पौधे हरी हरी कोंपलों का वस्त्र धारण कर लेते हैं। बसंत ऋतु, प्रेम और ताज़गी की संदेशवाहक है। यह ख़ुशियों और आपसी मेलजोल का मौसम है। यही कारण है कि इस मौसम को दुनिया का हर व्यक्ति पसंद करता है। बहार के आने से दिल में ख़ुशियां भर जाती हैं और दिल प्रफुल्लित हो जाता है और इंसान में नयी जान पैदा हो जाती है।
बसंत की सुन्दर प्रकृति में ईश्वर का प्रेम और कृपा को हर समय से अधिक देखा जा सकता है। जो लोग बहार के मौसम से आनंद उठाते हैं और इस मौसम को अधिक पसंद करते हैं वे इस मौसम से ज़्यादा किसी और मौसम में ख़ुश नहीं हो सकते, वे हरियाली के उगने, दुनिया के दोबारा जीवित होने और अपनी आत्मा के प्रफुल्लित होने का दृश्य अपनी आंखों से देखते हैं और परलोक में उड़ान भरने का आभास करता हैं। यहां पर पवित्र क़ुरआन को दोस्त रखने वालों का भी यही हाल होता है वे भी पवित्र क़ुरआन में ईश्वर की कृपा और दया का दीदार करते हैं और पवित्र क़ुरआन की मनमोहक और प्रफुल्लतादायक आयतों की तिलावत सुनकर अपनी जान को तरोताज़ा करते हैं।
यह चीज़ ठीक उसी तरह है जब अंधेरी रात के बाद सूरज अपने प्रकाश से मुर्दा प्रकृति को दोबारा ज़िंदा करता है, क़ुरआन की दमकती धूप भी मुर्दा दिलों और आत्मा के अवसाद को ताज़गी और प्रफुल्लता प्रदान करती और उसको नया जीवन प्रदान करती है। पवित्र क़ुरआन दिलों की बसंत और पवित्र रमज़ान, क़ुरआन की बहार का मौसम है।
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम के हवाले से एक हदीस में आया है जिसमें वह फ़रमाते हैं कि हर चीज़ के लिए बहार हैं और क़ुरआन की बहार, पवित्र रमज़ान है। यह इस प्रकार कि इस पवित्र महीने में हम सभी को अल्लाह की मेहमानी का निमंत्रण दिया गया है और हम क़ुरआन की बहार और वास्तव में उसकी अद्वितीय सुन्दरता के इस महीने में साक्षी होते हैं।
इस महीने में पवित्र क़ुरआन को चाहने वाले और उसके मित्र पहले से अधिक क़ुरआन से निकट हो जाते हैं और पवित्र क़ुरआन की तिलावत करके और उसकी शिक्षाओं को समझकर और उस पर अमल करके अपने दिलों को नया जीवन प्रदान करते हैं। जैसा कि बहार के मौसम में हर ओर हरियाली होती है और पेड़ों पर कोंपले आ जाती हैं। पवित्र रमज़ान के महीने में पवित्र क़ुरआन की तिलावत और उसमें चिंतन मनन से मनुष्य में नयी जान पैदा हो जाती है और उसमें आत्मा का पुनर्जन्म होता है क्योंकि मनुष्य की प्रकृति, पवित्र क़ुरआन से बहुत मेल खाती है और क़ुरआने मजीद की आयतें, दिलों को तैयार करती हैं और अपनी ओर सम्मोहित करती हैं। पवित्र क़ुरआन सूरए ज़ुमर की आयत संख्या 23 में अपने बयान के अध्यात्यिमक आकर्षण के बारे में कहता है कि अल्लाह ने बेहतरीन बात इस पुस्तक के रूप में उतारी है जिसकी आयतें आपस में मिलती जुलती हैं और बार बार दोहराई गयी हैं कि उनसे ईश्वर का भय रखने वालों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, इसके बाद उनके शरीर और दिल यादे ख़ुदा के लिए नर्म हो जाते हैं। यही अल्लाह का वास्तविक मार्गदर्शन है वह जिसको चाहता है प्रदान करता है और जिसको वह पथभ्रष्टता में छोड़ दे उसका कोई मार्गदर्शन करने वाला नहीं है। यही कारण है कि रिवायतों में पवित्र क़ुरआन को दिलों के बहार के रूप में याद किया गया है।
पवित्र क़ुरआन, ईश्वर का बड़ा चमत्कार और इस्लाम के अमर होने का प्रमाण है। यह ईश्वरीय किताब, विभिन्न षड्यंत्रों के बावजूद, हर प्रकार की फेरबदल से सुरक्षित है और मानवीय समाज को पथभ्रष्टता और बुराई से मुक्ति दिला रही है। पवित्र क़ुरआन ने ईश्वर की ओर से आने के अपने आंरभिक समय से पवित्र और साफ़ दिलों को अपनी जीवनदायक आयतों द्वारा आकर्षित किया। पवित्र क़ुरआन ने अपने सार्थक नियमों से पतन का शिकार और पाश्विक जाति को सभ्य समाज और प्रशिक्षित इंसान में परिवर्तित कर दिया। ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन को उतार कर जो पूर्ण और व्यापक है, समस्त लोगों पर यह तर्क पूरा कर दिया और कहा कि क़ुरआन की भांति कोई भी किताब, मनुष्य की आवश्यताओं का जवाब नहीं दे सकता। पवित्र क़ुरआन की आयतें और इसमें वर्णित चीज़ों से पता चलता है कि यह किताब किसी इंसान की नहीं है बल्कि अमर चमत्कार है जो किसी इंसान से ऊपर की ओर से है। चौदह से अधिक शताब्दी गुज़रने के बावजूद दुनिया में आज भी इस्लाम के ज़िंदा प्रभाव से इस वास्तविकता का पता चलता है कि क़ुरआने करीम अपने पक्के और वैज्ञानिक तर्कों, गहरी और सकारात्मक बातों और शिष्टाचारिक नियमों के साथ मनुष्य के जीवन के लिए बेहतरीन किताब है। इसी ईश्वर की किताब की शिक्षाओं की छत्रछाया में लोग सत्य का मार्ग तलाश करते हैं और सत्य के इच्छुक लोग इसके प्रकाश से ही स्वयं को लाभान्वित करते हैं। ईश्वर पवित्र क़ुरआन के सूरए फ़ुस्सेलत की आयत संख्या 41 और 42 में कहता है कि जिसके निकट, सामने या पीछे किसी ओर से असत्य आ भी नहीं सकता कि यह तत्वदर्शी ईश्वर और हमीद की ओर से उतारी हुई किताब है।
पवित्र क़ुरआन का संदेश, समस्त इंसानों के लिए पारदर्शी और स्पष्ट संदेश हैं। पवित्र क़ुरआन अच्छाई को स्वीकार करने और बुराई तथा विस्तारवाद और वर्चस्व को नकाराता है, यह इस प्रकार है कि पवित्र क़ुरआन मानव जीवन में चाहे व व्यक्तिगत हो या सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक या आर्थिक क्षेत्र हो, सभी में मनुष्यों के लिए बेहतरीन शरणस्थली बन सकता है।
पैग़म्बरे इस्लाम (स) कहते हैं कि जब भी तुम्हें कोई परेशानी हो, रात का अंधेरा हो या कोई भी समस्या तो तुम क़ुरआन की शरण में आ जाओ और तुम्हारे लिए आवश्यक है कि पवित्र क़ुरआन से सहायता मांगो। अन्य महीनों की तुलना में पवित्र रमज़ान में क़ुरआन की तिलावत के बहुत फ़ायदे हैं। रमज़ान का महीना, ईश्वर से निकट करने के लिए मनुष्य द्वारा लाभ उठाने के लिए भूमि समतल करने तथा स्वच्छ माहौल में सांस लेने का माहौल प्रशस्त करता है। इस लक्ष्य की प्राति के लिए बेहतरीन संसाधन, पवित्र क़ुरआन है। इसी संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम शाबान के महीने के अंतिम दिनों में दिए गये ख़ुतबए शाबानिया में कहते हैं कि रमज़ान के महीने क़ुरआन की एक आयत की तिलावत, क़ुरआन ख़त्म करने का सवाब रखती है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई भी पवित्र रमज़ान के महीने में पवित्र क़ुरआन की तिलावत करने और उससे लाभ उठाने पर बल देते हुए कहते हैं कि रमज़ान के महीने की जान रोज़ा है जो रोज़ेदारों के लिए प्रकाशमयी और अध्यात्मिक माहौल होता है और उसे ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति के लिए तैयार करता है। रमज़ान के महीने में यह सब चीज़ें, नमाज़, रोज़े, दायित्वों और दुआओं के साथ होती हैं, यदि आप इन चीज़ों पर ध्यान दें और क़ुरआन की तिलावत भी बढ़ा दें कि कहा गय है कि रमज़ान का महीना, क़ुरआन की बसंत है, भ्रष्टाचार, बिखराव और बर्बादी जैसी चीज़ों से अपनी मुक्ति, पुनर्निमाण और आत्मनिर्माण का एक काल है। बहुत ही अच्छा अवसर है। मामला यह है कि हम पवित्र रमज़ान के महीने में अल्लाह की ओर जाने की यह प्रक्रिया अंजाम दें और यह प्रक्रिया अंजाम पा सकती है।
पवित्र रमज़ान, पवित्र क़ुरआन के उतरने का महीना है। सूरए बक़रा की आयत संख्या 185 में आया है कि रमज़ान का महीना वह महीना है जिसमें क़ुरआन उतारा गया है जो लोगों के लिए मार्गदर्शन है और इसमें मार्गदर्शन और सत्य व असत्य की पहचान की स्पष्ट निशानियां मौजूद हैं इसीलिए जो व्यक्ति इस महीने में उपस्थित रहे, उसका दायित्व है कि रोज़ा रखे और जो मरीज़ या यात्री हो वह इतने ही दिन दूसरे समय में रखे, ईश्वर तुम्हारे बारे में आसानी चाहता है, कष्ट नहीं चाहता, और इतने ही दिन का आदेश इसीलिए है कि तुम संख्या पूरे कर दो और अल्लाह के दिये हुए मार्गदर्शन पर उसके बड़प्पन को स्वीकार करो और शायद तुम इस प्रकार आभार व्यक्त करने वाले बंदे बन जाओ। पवित्र क़ुरआन का रमज़ान के महीने में उतरना, इस विशेष योग्यता के लिए है कि इस महीने से लाभ उठा सके ताकि इस महीने में उतरने वाली किताब की तिलावत करें। चूंकि दूसरी आसमानी किताबें भी रमज़ान के महीने में उतरी हैं।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के हवाले से रिवायत में हम पढ़ चुके हैं कि तौरेत पवित्र रमज़ान की छह तारीख़ को। इंजील बारह तारीख को और ज़बूर 18 रमज़ान को उतरी और पवित्र क़ुरआन क़द्र की रात उतरा है। (AK)