Jun १८, २०१८ ११:५९ Asia/Kolkata

आपको याद होगा कि पिछले कार्यक्रम में हमने एरोस्पेस के क्षेत्र में ईरान की वैज्ञानिक तरक़्क़ियों का उल्लेख किया और आपको बताया कि ईरान ने इस्लामी क्रान्ति की सफलता के वर्षों में एरोस्पेस के क्षेत्र में तरक़्क़ी की और बहुत ही कम समय में वह दुनिया के 10 देशों में शामिल हो गया जो सैटलाइट प्रौद्योगिकी के संपूर्ण चक्र से संपन्न हैं।

इसी तरह हमने आपको यह भी बताया कि एक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने जो एरोस्पेस के क्षेत्र में देशों की वैज्ञानिक प्रगति पर नज़र रखती है, अभी हाल में एक रिपोर्ट में कहा है कि ईरान एरोस्पेस के क्षेत्र में 5 नए देशों में शामिल है और उसने इस क्षेत्र में बहुत तेज़ी से वैज्ञानिक तरक़्क़ियां हासिल की हैं।

एक देश की वैज्ञानिक तरक़्क़ी की बुनियाद और विज्ञान के प्रसार के चक्र को चलाने में फ़न्डमेन्टल साइंस की अहमियत के मद्देनज़र इस कार्यक्रम में फ़न्डमेन्टल साइंस में ईरानी वैज्ञानिकों की अपार सफलताओं से आपको अवगत कराएं।

अगर विज्ञान के प्रसार को एक देश के स्थायी विकास व तरक़्क़ी का सबसे अहम मानदंड मानते हैं तो इस बात को मानना पड़ेगा कि

 

फ़न्डमेन्टल साइंस और ह्यूमनिटीज़ अर्थात आर्ट्स के विषयों को उनकी विशेषताओं के मद्देनज़र अन्य विज्ञानों की उत्पत्ति व विकास का आधार मानना होगा। फ़न्डमेन्टल साइंस से अन्य विज्ञानों और ख़ास तौर पर पर अप्लाइड सांइस का विकास होता है। इस बात को मानने में तनिक भी अतिश्योक्ति न होगी कि फ़न्डमेन्टल साइंस और आर्ट्स के विषय ही देशों के स्थायी विकास में बुनियाद की हैसियत रखते हैं। फ़न्डमेन्टल साइंस वे विज्ञान हैं जो विभिन्न फ़िनामिना के कारण और उनके बीच संबंध की प्रवृत्ति की समीक्षा करते हैं। कुछ विद्वानों व वैज्ञानिकों के अनुसार, फ़न्डमेन्टल साइंस ही अन्य विज्ञानों की बुनियाद हैं इसलिए दुनिया के प्रतिष्ठित शोध केन्द्रों और यूनिवर्सिटियों में फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में शुरु से व्यापक स्तर पर पूंजिनिवेश होता आया है ताकि शोध से हासिल नतीजों से वैज्ञानिक, प्रौद्योगिक व औद्योगिक क्षेत्रों में विकास की पृष्ठिभूमि मुहैया करें। पिछले कुछ दशकों में बहुत से देश जिन्होंने फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में पूंजिनिवेश किया था अब वे देश अन्य विज्ञान के क्षेत्र तथा विज्ञान को प्रौद्योगिकी व संपत्ति में बदलने के क्षेत्र में अगुवा बन चुके हैं।

फ़न्डमेन्टल साइंस का एक देश को शक्तिशाली बनाने व संपत्ति के उत्पादन में इतना ज़्यादा असर है कि तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के वरिष्ठ सलाहकार ने अपनी किताब में जिसके शीर्षक का अनुवाद है, "महा टकराव और पूंजिवाद का भविष्य" बारंबार राष्ट्रों और ख़ास तौर पर जापान के आर्थिक विकास में गणित के मुख्य रोल का उल्लेख किया है। वह बल देते हैं कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका की तुलना में जापान में अधिक आर्थिक विकास का एक कारण जापान सरकार का लोगों यहां तक कि सादा मज़दूरों को गणित सिखाने पर ध्यान देना था। एक सादा समीक्षा से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि फ़न्डमेन्टल साइंस का किस हद तक देशों के आर्थिक व वैज्ञानिक विकास में अहम रोल रहा हैं। उमर ख़य्याम, इब्ने हैसम, ख़्वाजा नसीरुद्दीन तूसी, अबुल वफ़ा बूज़जानी सहित दसियों महान वैज्ञानिक जिनका इस्लामी संस्कृति व सभ्यता के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है, गणित, खगोल शास्त्र, भौतिक शास्त्र, भूविज्ञान, रसायनशास्त्र और जीव विज्ञान में दक्ष थे। इसलिए यह बात विश्वास से कह सकते हैं कि पूरब और पश्चिम में फ़न्डमेन्टल साइंस का सभ्यता के वजूद में आने में बुनियादी रोल रहा है।

फ़न्डमेन्टल साइंस के अन्य विज्ञानों को गति देने और सभ्यता के स्तंभों को मज़बूत बनाने में अहम रोल के मद्देनज़र इ स्लामी गणतंत्र ईरान ने अपनी वैज्ञानिक नीति में फ़न्डमेन्टल साइंस को विशेष रूप से अहमियत दी है। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई फ़न्डमेन्टल साइंस पर विशेष रूप से ध्यान देने पर हमेशा बल देते हैं और वे इन विज्ञानों को देशों को विज्ञान की चोटियों पर पहुंचाने में निर्णायक मानते हैं। वरिष्ठ नेता कहते हैं, "विज्ञान के विकास के क्षेत्र में दो बिन्दुओं पर बल देना चाहता हूं एक फ़न्डमेन्टल साइंस और दूसरे ह्यूमनिटीज़ के विषयों पर। हम जब विकसित देशों पर नज़र डालते हैं तो यह पाते हैं कि वे गणित, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान के ज़रिए चोटी पर पहुंचे। इन विज्ञानों पर ध्यान देने की ज़रूरत है। इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान जैसे कुछ विज्ञान की हैसियत उपभोग की सुविधाओं जैसी है जैसे हम अपने जेब में कुछ पैसे ख़र्च करने के लिए रखते हैं। हमें संपत्ति बनाने वाले केन्द्र की स्थापना में पूंजिनिवेश करना चाहिए। इसलिए यूनिवर्सिटियों में फ़न्डमेन्टल साइंस पर बहुत अहमियत दी जानी चाहिए।"

इसलिए इस्लामी गणतंत्र ईरान के व्यापक वैज्ञानिक प्लान में जो ईरान की वैज्ञानिक नीतियों व कार्यक्रमों का आधार है, फ़न्डमेन्टल साइंस के विकास पर बहुत बल दिया गया है।

 

इस दस्तावेज़ में ईरान में विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अहम स्ट्रैटिजी में फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में विकास, शिक्षा व शोध को मूल स्ट्रैटिजी के रूप में बल दिया गया है। यह दस्तावेज़ इस धारणा पर आधारित है कि अप्लाइड साइंस फ़न्डमेन्टल साइंस के मज़बूत आधार पर टिकी है और फ़न्डमेन्टल साइंस को मज़बूत किए बिना अप्लाइड सांइस का विकास और उसे प्रौद्योगिकी व संपत्ति में नहीं बदला जा सकता। ईरान की वैज्ञानिक नीति में फ़न्डमेन्टल साइंस की अहमियत और इन विज्ञानों के विकास में समर्थन के लिए कोशिश के तहत इस समय ईरान की यूनिवर्सिटियों में 5 लाख से ज़्यादा छात्र फ़न्डमेन्टल साइंस की विभिन्न शाखाओं का ज्ञान हासिल कर रहे हैं। आपके लिए यह जानना रोचक होगा कि ईरान के सिर्फ़ 10 फ़ीसद छात्र फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में ज्ञान हासिल कर रहे हैं, ईरान में विज्ञान के क्षेत्र में विकास का बड़ा भाग फ़न्डमेन्टल साइंस से विशेष है। सन 2000 से 2014 तक के आंकड़ों के अनुसार, ईरान की वैज्ञानिक उपलब्धियों का लगभग एक चौथायी भाग फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिकों की कोशिश का नतीजा है। इस वक़्त तेहरान, तर्बियत मुदर्रिस, शहीद बहिश्ती और अमीर कबीर यूनिवर्सिटियां ईरान में फ़न्डमेन्टल साइंस के विकास में सबसे आगे हैं।

ईरान के फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिक देश में विज्ञान के विकास की ज़िम्मेदारी का बहुत बड़ा भाग अपने कांधे पर उठाए हुए हैं और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विज्ञान के विकास में योगदान दे रहे हैं। आपको यह जान कर अच्छा लगेगा कि ईरान के फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिकों के 80 फ़ीसद लेख आईएसआई जैसी रेफ़्रेन्स वेबसाइटों और 20 फ़ीसद से कम लेख देश की पत्रिकाओं या आईएससी जैसी वेबसाइटों पर छपते हैं। वेब ऑफ़ साइंस द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, लगभग 50 फ़ीसद ईरान के वैज्ञानिक उत्पाद ईरान के फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिकों की कोशिशों का फल  है। इसी तरह ईरान के फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिकों के लेखों को गुणवत्ता की दृष्टि से दुनिया में बहुत अहमियत हासिल है। अगर लेखों की गुणवत्ता को समझने के लिए लेखों के रेफ़्रेन्स को मानदंड क़रार दें तो आपको बता दें कि दुनिया के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक केन्द्रों में ईरानी वैज्ञानिकों के लगभग 56 फ़ीसद लेख फ़न्डमेन्टल साइंस के हैं। फ़न्डमेन्टल साइंस के हर लेख को रेफ़्रेन्स के तौर पर पेश करने का अवसत 4.74 बार है। इसी तरह 1991 से 2010 के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईरानी वैज्ञानिकों के छपने वाले और रेफ़्रेन्स के तौर पर इस्तेमाल होने वाले 90 फ़ीसद लेख फ़न्डमेन्टल साइंस के वैज्ञानिकों के रहे हैं।

फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में ईरानी विद्वानों व वैज्ञानिकों के लेखों की गुणवत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि ईरान की नालेज बेस्ड शोधकेन्द्रों द्वारा प्रकाशित शोध के नतीजों का रेफ़्रेन्स दुनिया के अवसत रेफ़्रेन्स से ज़्यादा है। फ़न्डमेन्टल साइंस के अधीन शाखाओं में ईरानी वैज्ञानिकों के लेख तारीफ़ के क़ाबिल हैं। मिसाल के तौर पर रसायन शास्त्र के क्षेत्र में ईरानी वैज्ञानिकों ने अपने लेखों की संख्या बढ़ाकर ईरान की रसायन शास्त्र के क्षेत्र में दर्जेबंदी को दुनिया के 92 प्रभावी देशों में 32वें दर्जे तक पहुंचाने में सफल हुए। इस दर्जेबंदी में भारत, ब्राज़ील और तुर्की ईरान से आगे हैं।

फ़िज़िक्स अर्थात भौतिक शास्त्र में ईरानी वैज्ञानिक 3000 लेखों के ज़रिए इस क्षेत्र में दुनिया के 117 प्रभावी देशों में ईरान को 46वें दर्जे तक पहुंचाने में सफल हुए। भौतिक शास्त्र के क्षेत्र में ईरान का स्थान न सिर्फ़ क्षेत्र और विकासशील देशों बल्कि उत्तरी आयरलैंड, आइसलैंड और लिथ्वानी जैसे विकसित देशों से आगे है।  …

 

इसी तरह दर्जेबंदी में हांग कांग, दक्षिण अफ़्रीक़ा, बेलारूस, चिली, मोरक्को, स्टोनिया और अलजीरिया वे देश हैं जो फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में विकास की दृष्टि से ईरान से नीचे हैं। इसके अलावा ईरान के भौतिकशास्त्रियों ने हर लेख को मिलने वाले रेफ़्रेन्स की दृष्टि से भी बड़ी सफलता हासिल की है। उनके हर लेख को अवसतन 4 रेफ़्रेन्स मिला है। जीव विज्ञान के क्षेत्र में ही ईरानी वैज्ञानिकों ने 1200 लेख और 4000 से ज़्यादा रेफ़्रेन्स हासिल करके दुनिया में 56वां स्थान हासिल किया है। अर्थ साइंस के क्षेत्र में भी ने 700 लेख और 1700 से ज़्यादा रेफ़्रेन्स के साथ दुनिया में 51 स्थान हासिल किया है। गणित और सांख्यिकी में ईरान ने अर्थ साइंस से ज़्यादा गौरव हासिल किया है। इस क्षेत्र में ईरानी वैज्ञानिकों ने आयरलैंड, आइसलैंड और वेल्ज़ को पीछे छोड़ते हुए 1200 लेख और 1400 रेफ़्रेन्स के साथ दुनिया में 45वां स्थान हासिल किया है।

ईरान फ़न्डमेन्टल साइंस के क्षेत्र में विकास को बहुत अहमियत देता है और अपने देश की जनता की आर्थिक स्थिति को बेहतर और मानव समाज की मदद कर, मौजूदा स्थिति को बेहतर करने की कोशिश में है। इस उद्देश्य के लिए ईरान ने देश के वैज्ञानिक विकास का प्लान तय्यार किया है और 2025 तक क्षेत्र में पहला स्थान और दुनिया के देशों में ईरानी राष्ट्र उसकी शान के अनुसार स्थान दिलाना और इस्लामी ईरानी सभ्यता को जीवित करना चाहता है। कार्यक्रम का वक़्त ख़त्म हुआ।

 

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