Oct ०९, २०१८ १६:४१ Asia/Kolkata

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कोई सफल विवाह का इच्छुक हो तो उसे घराने को मज़बूत बनाने के संबंध में दक्षता प्राप्त करनी चाहिए।

कठिन समय में लोग प्रायः इन दो में से एक प्रतिक्रिया जताते हैं, या तो वे स्वार्थी हो जाते हैं और केवल अपने ही बारे में सोचते हैं या फिर बलिदान देते हैं और केवल दूसरों के बारे में सोचते हैं। अगर आप पहले प्रकार के लोगों में शामिल हैं तो इसका मतलब यह है कि अभी आप शादी के लिए तैयार नहीं हैं।

स्वार्थ के आधार पर होने वाली शादियां, नैतिक भावनाओं और प्रेम के आधार पर रिश्ता स्थापित करने के बजाए सांसारिक और भौतिक भावनाओं के आधार पर दो लोगों को एक दूसरे से जोड़ती हैं। स्वाभाविक सी बात है कि इस प्रकार का रिश्ता कभी टिकाऊ नहीं होगा। एक कहानी में है कि एक दिन एक लोमड़ी ने एक ऊंट को बैठे हुए देखा। उसने ऊंट के साथ रिश्ता जोड़ना चाहा और उसके निकट बैठ गई। फिर उसने अपनी दुम ऊंट की दुम से बांध दी। जब ऊंट खड़ा हुआ तो लोमड़ी हवा में टंग गई। उससे पूछा गया कि ऐसा क्यों हुआ? उसने कहाः बड़ों के साथ रिश्ता जोड़ने के चक्कर में ऐसा हो गया। तो जो लोग लड़की के घराने की धन दौलत और पद व स्थान के चलते उससे रिश्ता जोड़ना चाहते हैं, उनका अंजाम भी ऐसा ही होता है।

हमने बताया कि हालिया दशकों में ईरान में परिवारों में बुनियादी परिवर्तन आए हैं और समय बीतने और सामाजिक परिवर्तनों के साथ ही एकल और संयुक्त परिवारों के नए नए स्वरूप सामने आए हैं। पारंपरिक परिवार ने संयुक्त परिवार के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखी है लेकिन एकल और आधुनिक व अति आधुनिक परिवार ने नए नए परिवारों के अनेक स्वरूप पैदा कर दिए है जिन्हें समाज शास्त्री अधूरे एकल परिवार की संज्ञा देते हैं।

अधूरा एकल परिवार वह परिवार है जिसमें कुछ कारणों से परिवार का कोई मुख्य और अहम तत्व अर्थात पुरुष, महिला या बच्चा न हो। संसार के विभिन्न क्षेत्रों में इस प्रकार के परिवार पाए जाते हैं। इसकी एक क़िस्म "न्यूनतम परिवार" है जिसमें युवा पति पत्नी संयुक्त जीवन बिताते हैं और उन्हें बच्चे की चाह नहीं होती। एक अन्य प्रकार का परिवार वह परिवार है जिसमें ऐसे वृद्ध पति पत्नी होते हैं जिन्हें उनके बच्चे शादी के बाद छोड़ देते हैं। बिना बच्चे का घराना भी एक अन्य अधूरा एकल परिवार है जो पति या पत्नी के बांझ होने के कारण संतान से वंचित होता है।

एक अन्य रूप में हमें बिखरा हुआ परिवार दिखाई देता है अर्थात वह परिवार जिसमें पति-पत्नी में से किसी एक की मौत या उनके बीच तलाक़ या फिर किसी एक के कहीं चले जाने के कारण पति या पत्नी अकेले जीवन बिताते हैं। अल्पकालीन एकल परिवार वह परिवार है जो अस्थायी शादी के कारण अस्तित्व में आता है। यह शादी यौन विकारों से बचने के लिए की जाती है और निर्धारित समय बीतने के बाद पति और पत्नी के बीच रिश्ता टूट जाता है। इस शादी में तलाक़ की ज़रूरत नहीं होती।

 

ईरान के एक समाजशास्त्री डाक्टर आज़ाद अरमकी कहते हैं कि ईरानी समाज में एक प्रकार से सांस्कृतिक पुनर्जागरण हो रहा है और ईरानी परिवार धीरे धीरे एक संपूर्ण परिवार में बदलते जा रहे हैं। यानी माता-पिता और बच्चों के साथ एक संपूर्ण परिवार। यद्यपि इस परिवार में व्यक्तिवाद भी दिखाई देता है लेकिन जीवन के महत्व के आधार पर एक नया सामाजिक सिदान्त क़ायम होता जा रहा है और ईरानी समाज में जीवन "महत्वपूर्ण" हो गया है।

 

वे कहते हैं कि संभव है कि कुछ लोग यह कहें कि ये परिवर्तन, ईरानी समाज के आधुनिक होने का परिणाम हैं, जी हां लेकिन आधुनिक होने का मतलब अराजकता नहीं है बल्कि मैं इसे इसके सकारात्मक अर्थ में स्वीकार करता हूं। आधुनिक परिवार, इस शब्द के सकारात्मक अर्थ में, ईरान की परंपरा, संस्कृति व शिष्टाचार में गठित होता है। इस परिस्थिति में घराना, धार्मिक आदर्श के आधार पर बनता है लेकिन उसका ढांचा, आधुनिक ढांचा है। आधुनिक दुनिया में आधुनिक इंसान, चाहे वह ईरानी समाज में हो या पश्चिमी समाजों में, शिक्षा व प्रशिक्षण या राजनीति व सरकार का नहीं बल्कि हर चीज़ से ज़्यादा घराने के क्रियाकलाप का परिणाम होता है।

वास्तव में यह परिवार होता है जो लोगों को संस्कारों व संस्कृति की शिक्षा देता है। दूसरी संस्थाएं जैसे शिक्षा व प्रशिक्षण, संस्कारों व संस्कृति के स्थानांतरण के संबंध में पूरक संस्थाएं होती हैं। विशेष कर ईरानी घराना, जिसका ऐतिहासिक अतीत है, धर्म से जुड़ा हुआ है जो सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्तों को मज़बूत बनाता है और अपने सदस्यों का प्रशिक्षण करता है। ये विशेषताएं, वर्तमान परिस्थितियों में घराने की रक्षा और उसके विस्तार की शैली को दर्शाती हैं।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि ईरानी घराने में परिवर्तन का मार्ग, एक लाइन का परिवर्तन नहीं है और आज पारंपरिक, आधुनिक और अति आधनुनिक तीनों प्रकार के घराने, ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। एकल परिवार अब भी अपने माता पिता के साथ सांस्कृतिक, भावनात्मक और आर्थिक दृष्टि से मज़बूत संबंध रखते हैं इस आधार पर ईरान में एकल घराना एक व्यापक और ठोस घराना है।

सारा एक ईरानी युवती हैं जो अपने परिवार को छोड़ कर कनाडा में पढ़ाई के लिए गई थीं लेकिन वे टेलीफ़ोन, मोबाइल और ईमेल के माध्यम से लगातार अपने परिवार से जुड़ी हुई हैं। यह संपर्क न केवल यह कि भावनात्मक दृष्टि से घराने के सदस्यों के बीच मज़बूत संबंध स्थापित करता है बल्कि उनके बीच एक दूसरे की मदद और लेन देन के विभिन्न स्वरूप भी पैदा करता है। माता-पिता हर कुछ समय बाद अपने बेटी के आवश्यक ख़र्चों की आपूर्ति के अलावा उसकी पसंद की चीज़ें भी उसे भेजते रहते हैं। वे उसकी सहेलियों के लिए भी तोहफ़े भेजते हैं।

अलबत्ता आमने सामने की मुलाक़ात में जो भावनात्मक गर्मी होती है वे इस शैली में थोड़ी कम महसूस होती है लेकिन माता पिता और पूरे परिवार की कोशिश होती है कि उनकी बेटी या बहन उनकी संस्कृति व संस्कारों से दूर न रहने पाए। कभी कभी तो परिवार, सारा के पास जाने और उससे मिलने के लिए अपनी मूल पूंजी भी ख़र्च कर देता है क्योंकि वह उसे अपना एक अभिन्न भाग मानता है और जानता है कि सारा पढ़ाई पूरी करने के बाद घराने में लौट आएगी। श्रोताओ अगले कार्यक्रम में हम ईरानी परिवार की कुछ अन्य विशेषताओं से अवगत होंगे। कार्यक्रम के इस भाग में दांपत्य जीवन पर एक नज़र डालते हैं।

 

फ़्रान्सीसी लेखक अलेग्ज़ेंडर ड्यूमा कहते हैं कि औरत का दिल उस कपड़े की तरह होता है जो जल्दी फट जाता है और जल्द ही रफ़ू भी हो जाता है। महिला की प्रफ़ुल्लता, मर्द के प्रेम और स्नेह से जुड़ी होती है। वह अपने प्रेम और अपनी भावनाओं को शब्दों के माधयम से बयान करती है और उसे भी यही आशा होती है कि उसका पति शब्दों के माध्यम से अपनी भावनाएं बयान करे लेकिन मर्द प्रायः अपने व्यवहार से अपने प्रेम और भावनाओं को व्यक्त करते हैं। महिला की भावनात्मक ज़रूरत यह है कि वह अपने पति के मुंह से यह वाक्य सुनती रहे कि मैं तुम्हें चाहता हूं। इस वाक्य से उसे हार्दिक संतोष मिलता है और उसका आत्म विश्वास बढ़ता है।

पुरुषों की एक विशेषता यह है कि व अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं होने देना चाहते और इसी लिए अपनी पत्नी से प्रेम की अभिव्यक्ति में उन्हें थोड़ा कठिनाई का सामना होता है लेकिन अगर वे औरत और मर्द के अंतर पर ध्यान दें और यह जान लें कि प्यार की थोड़ी सी भी अभिव्यक्ति उनके जीवन को स्वर्ग बना देगी तो वे थोड़ी सी कोशिश कर के अपनी भावनाएं ज़रूर व्यक्त करेंगे। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम ने कहा है कि पति का यह वाक्य कभी पत्नी के दिल से नहीं निकलता कि मैं तुम्हें चाहता हूं। (HN)