Nov ०४, २०१८ १७:२६ Asia/Kolkata

नख़ीलू द्वीप , फारस की खाड़ी ऐसा द्वीप है जिस पर आबादी नहीं है लेकिन पर्यावरण विदों की नज़र में यह द्वीप अत्याधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है और वन जीवन संरक्षण की दृष्टि से इसका स्थान, शेख करामा द्वीप की भांति है।

यह द्वीप मूंग और घोंघे का है और लगभग अंडाकार है। द्वीप का क्षेत्रफल  लगभग 60 हेक्टर है। समुद्र तल से उसकी ऊंचाई, डेढ़ मीटर है। यह पूरा द्वीप, खारे पाने के पेड़ पौधों से भरा है। द्वीप का अधिकांश भाग, सीप और चूने की मिलावट के साथ सफेद रंग की रेत से ढंका है । केन्द्रीय भाग में रेत अधिक है जबकि तटों पर टूटी सीपियों और चूने का अंश अधिक है। 

 

नख़ीलू द्वीप को इस समय किसी और वजह से ख्याति प्राप्त है । दरअसल यह द्वीप फार्स की खाड़ी के विशेष प्रकार के कछुओ के रहने का ठिकाना है। इसी के साथ यह द्वीप पलायन करने वाले जल पंछियों के अंडा देने का एक अत्यन्त दुर्लभ स्थान है कि इस प्रकार का दूसरा द्वीप मध्य पूर्व में कठिनाई से ही मिलेगा। नखीलू द्वीप में काले करगुलेन टैन, लंबी और छोटी कलगी वाले अबाबील आदि रहते हैं इन पंछियों की संख्या पचास हज़ार से अधिक है और यह पूरे द्वीप पर फैले हैं इस लिए जब यह द्वीप के ऊपर मंडराते हैं तो यह द्वीप अत्याधिक सुन्दर दिखाई देता है।  

इस द्वीप पर आाबदी नहीं है, इस के साथ ही पेड़  पौधे भी उचित संख्या में पाए जाते हैं और फिर शिकारी जानवर और पंछी भी कम ही हैं इसी लिए यह द्वीप इस प्रकार के पंछियों के लिए अत्याधिक उचित जगह बन गया है। अधिकांश पलायन कर्ता पंछी , नखीलू द्वीप को गर्मियां गुज़ारने के लिए चुनते हैं और इस द्वीप में जाकर वह रेत पर अंडे देते और सेते हैं। नखीलू द्वीप के एक अन्य भाग में, समुद्री पेड़ पौधे हैं यह भाग  "  मिलकंज़ा" नामक गांव के निकट स्थित है । समुद्र के खारे पानी में उगने वाले यह पेड़ हमेशा हरे भरे रहते हैं इस लिए यह पंछियों के लिए अंडा देने और घोंसला बनाने का उचि स्थान होते हैं। नखीलू द्वीप को पर्यावरण विभाग से अनुमति लेने के बाद ही देखा जा सकता है। 

फार्स की खाड़ी का एक अन्य ईरानी द्वीप, फार्सी द्वीप है जो वास्तव में ईरान और सऊदी अरब की समुद्री सीमा भी है। यह द्वीप, ख़ार्क द्वीप के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित है और उसकी लंबाई 1400 मीटर और चौड़ाई 700 मीटर है। यह अरबी द्वीपों से सब से निकट द्वीप है। फार्सी द्वीप, भौगोलिक दृष्टि से, ईरान से सब से अधिक दूर है किंतु बूशहर प्रान्त का भाग है। इस द्वीप में विशेष प्रकार के कीड़े पाए जाते हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक दृष्टि से अभी तक अधिक सूचनाएं उपलब्ध नहीं हैं। 

यह द्वीप तेल से मालामाल है और इस द्वीप के आस पास तेल और गैस के कुएं हैं जिनसे गैस और तेल निकाले जाते हैं। यह द्वीप, राजनीतिक व आर्थिक दृष्टि और समुद्री पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ ही साथ सैन्य दृष्टि से भी महत्व रखता है। इसके अलावा चूंकि यह द्वीप, फार्स की खाड़ी के बीच में स्थित है इस लिए फार्स की खाड़ी के पश्चिम और दक्षिण पश्चिम भाग आने जाने वाले जहाज़ों की जांच के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। फार्सी द्वीप, ऑयल टैंकरों के युद्ध के दौरान, ईरान के लिए हुरमुज़ स्ट्रेट से बाहर, जवाबी कार्यवाही के लिए अत्याधिक उचित स्थल रहा है और इसी प्रकार थोपे गये युद्ध के दौरान यह द्वीप, फार्स की खाड़ी और उसके आस पास के क्षेत्रों पर नज़र रखने का उचित स्थल रहा है। 

इस द्वीप में मौसम विभाग का एक स्टेशन है जो  जहाज़ों और जहाज़ कंपनियों को मौसम की जानकारी देता है। इस स्टेशन की वजह से भी फार्सी द्वीप का महत्व बढ़ा है। 

 

फार्स की खाड़ी के अन्य द्वीपों में, तहमादू, तहमादून या जबरीन द्वीप का नाम लिया जा सकता है। यह द्वीप बारह किलोमीटर लंबा और पांच किलो मीटर चौड़ा है। यह द्वीप, आयाताकार है रूप में समुद्र  में स्थित है। यह द्वीप पर पाया जाने वाला पौधा, " तहमा" कहलाता है। इसी प्रकार खारे पानी से उगने वाला एक अन्य पौधा भी पाया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में " मंगक" कहा जाता है यह साग  के रूप में खाया भी जाता है। इस द्वीप में भी विभिन्न प्रकार के समुद्री पंछी रहते हैं। 

इस क्षेत्र की मिट्टी में अम्लता है इस लिए वहां पेड पौधों का उगना कठिन है। इसके साथ ही मिट्टी में आर्द्रता की कमी, अत्याधिक तापमान और पौष्टिक पदार्थों की कमी की वजह से भी इस द्वीप पर पेड़ पौधों का उगना कठिन है । नमक के टीलों की वजह से इस द्वीप पर बहने वाला पानी खारा होता है। इस द्वीप का ऊबड़ खाबड़ क्षेत्र वास्तव में दक्षिणी जागरुक पर्वतीय श्रंखला की वजह से है लेकिन उसकी ऊंचाई जागरोस से कम है। 

मुताफ़, भी फारस की खाड़ी का एक अन्य गैर आवासीय द्वीप है। इस द्वीप की लंबाई साढ़े नौ मील और चौड़ाई अधिक से अधिक एक मील है और ज्वार व भाटा के कारण पानी में डूबता और उभरता रहता है। मुताफ़, और उसके आस पास के क्षेत्र फार्स खाड़ी में पायी जाने वाली मछलियों और झींगे पालने के लिए अत्याधिक उचित हैं।  भारत, पाकिस्तान, यूनान, और कोरिया जैसे देशों से संबंध रखने वाले फार्स की खाड़ी और ओमान सागर के सभी मछुआरे, इस क्षेत्र में शिकार करने को बहुत पसन्द करते हैं  लेकिन तूफान  और समुद्र के इस भाग की अधिक जानकारी न होने की वजह से बहुत से मछुआरे अपने जहाज़ों के साथ इस द्वीप के आस पास मौजूद दलदल में जिसे मौत का बरमूदा त्रिकोण कहा जाता है, फंस गये। यही वजह है  कि इस क्षेत्र के मछुआरों में एक कहावत है जिसका अर्थ होता है कि अगर तुम ने मुताफ द्वीप की लहरों का सामना नहीं किया तो फिर अपने परिश्रम का महत्व भी नहीं जानते। 

 

कई वर्षों पहले एक नाविक फार्स की खाड़ी का बरमूदा कहे जाने वाले इस क्षेत्र में फंस गया था किंतु चमत्कारिक रूप से वह जीवित बचने में सफल रहा। वह कहता हैः जहाज़ जब इस द्वीप की रेत में फंस जाता है तो फिर उसे वहां से कोई भी शक्ति निकाल नहीं सकती। जहाज़ में मौजूद वही नाविक जीवित बच सकते हैं जो समुद्र में कई मील तैर कर अपने आप को इस द्वीप से दूर ले जाने की शक्ति रखते हैं। वैसे आप को यह बताते चले कि हालिया वर्षों में इस द्वीप के आस पास खतरे का सिगनल देने वाले उपकरण लगा दिये गये हैं और अधिकांश जहाज़ भी आधुनिक यंत्रों से लैस होते हें इस लिए इस खतरनाक द्वीप पर फंसने की आंशका बहुत कम हो गयी है और अतीत की तुलना में इस द्वीप से जहाज़ों की टकराने की घटनाएं न के बराबर हो गयी हैं। 

सद्रा नाम का एक अन्य द्वीप है जो एक छोटा सा औद्योगिक द्वीप है और यह द्वीप बूशहर के पूरब में स्थित है । इस द्वीप में बूशहर का जहाज़ उद्योग है। सन 1995 से इस द्वीप की ऊंचाई को ढाई मीटर तक बढ़ाने की कोशिश हुई है ताकि इस द्वीप पर जरूरी मशीनों का लगाना आसान हो । सद्रा नामक कंपनी ने इस द्वीप पर सन 1969 में जहाज़ निर्माण, पेट्रोकेमिकल और अन्य प्रकार के उद्योग आरंभ  किये थे। यह द्वीप कम  गहरे पानी में स्थित है और ज्वार भाट के कारण कभी कभी यह पूरी तरह से सूख जाता है यही वजह है कि इसे एक सड़क और पुल की मदद से बूशहर फ्री ज़ोन से जोड़ दिया गया है। 

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