Nov ११, २०१८ १३:४० Asia/Kolkata

आपको याद होगा कि हम आपको फ़ार्स खाड़ी की सैर करा रहे हैं ।

इस दौरान हुर्मुज़गान व बूशहर प्रांतों के सुंदर द्वीपों से आपको परिचित कराते हुए हम ख़ूज़िस्तान पहुंचे।

ख़ूज़िस्तान प्रांत ईरान के दक्षिण-पश्चिम में फ़ार्स खाड़ी के तट पर स्थित है। इस प्रांत को तेल और गैस के उत्पादन का केन्द्र समझा जाता है। इसका क्षेत्रफल 64057 वर्ग किलोमीटर है। इसकी आबादी 50 लाख है। यह ईरान का आबादी की नज़र से पांचवां सबसे बड़ा प्रांत है। अहवाज़ ख़ूज़िस्तान प्रांत का केन्द्र है।

ख़ूज़िस्तान प्रांत ईरान का सबसे पुराना पठारी क्षेत्र है जहां इंसान की आबादी के चिन्ह 2700 साल ईसापूर्व से मिलते हैं। इसी प्रांत में तीसरी सहस्त्राबंदी ईसापूर्व ईलाम नामक सभ्यता वजूद में आयी है।

ईरान के कुल जल का 53फ़ीसद भाग ख़ूज़िस्तान प्रांत में है जो नदियों, तालाबों और नदियों के चौड़े मुहानों पर आधारित है। यह प्रांत अपनी जैविक विविधता के लिए भी जाना जाता है। ख़ोर मूसा वाटरवे और फ़ार्स खाड़ी क्षेत्र इसी विशाल प्रांत का भाग है। ईरान का बंदरगाह के मामलों की निगरानी करने वाला विभाग, आईएमओ सहित अंतर्राष्ट्रीय कन्वेन्शन के आधार पर इस क्षेत्र के समुद्री पर्यावरण की रक्षा में बहुत बड़ा योगदान दे रहा है।

फ़ार्स खाड़ी के 7 द्वीप ख़ूज़िस्तान प्रांत के अधीन आते हें। ये सात द्वीप आबादान, मीनू, दिलकश, बूने, महनाज़ू, क़ब्र नाख़ुदा और दारा। मीनू, दिलकश, बूने, महनाज़ू, क़ब्र नाख़ुदा और दारा द्वीप मूसा खाड़ी के मुहाने पर स्थित हैं। इन द्वीपों में सिर्फ़ मीनू और आबादान में आबादी है और बाक़ी बिना आबादी के हैं। कूश्क द्वीप जो सय्यद शहीद अब्बासपूर बांध के पीछे स्थित है, हालिया वर्षों में पर्यटन स्थल बन गया है। अब्बासपूर बांध ख़ूज़िस्तान प्रांत के बहुत बड़े बांधों में से है जो कारून नदी के ऊपर बना है।         

सबसे पहले आपको ख़ोर मूसा के बारे में बताएंगे। ख़ोर मूसा एक लंबी व गहरी नहर है जो फ़ार्स की खाड़ी से फूटी है। क्षेत्र में ख़ास विशेषताओं की वजह से यह बहुत अहमियत रखती है। मूसा क्षेत्र के एक मशहूर नाविक गुज़रे हैं। ख़ोर उस जलक्षेत्र को कहते हैं जो तीन ओर से घिरा हो एक ओर से समुद्र से जुड़ा हो और उसका पानी नदी या मीठा पानी मिलने की वजह से पतला होता है। इसी बिना पर इस नहर का नाम ख़ोर मूसा पड़ा है। यह क्षेत्र अनुपम इकोसिस्टम से संपन्न है जो फ़ार्स खाड़ी के उत्तरी तट और ख़ूज़िस्तान प्रांत के दक्षिण में स्थित है। इसके मुहाने की चौड़ाई 37 से 40 किलोमीटर और इसकी लंबाई, मुहाने से लेकर इमाम ख़ुमैनी बंदरगाह तक 90 किलोमीटर और माशहर बंदरगाह तक 120 किलोमीटर है। ख़ोर मूसा नामक खाड़ी की औसत गहराई 20 से 50 मीटर है। यह खाड़ी कर्लू सहित अनेक दुर्लभ जलपक्षियों का शरण स्थल है। इसी तरह बहुत सी मछलियां और झींगे इस खाड़ी में अंडे देते हैं। इस खाड़ी की इतनी गहराई की वजह से 70 हज़ार टन भार वाली नौकाएं भी बड़ी आसानी से इस जलमार्ग से आती जाती हैं।

मूसा खाड़ी से दूसरी छोटी खाड़ियां निकली हैं जो ज़्यादातर पश्चिमी किनारे पर हैं।

इस क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के 15 हज़ार से ज़्यादा जलपक्षी जोड़े अंडे देते हैं। पिछले कई साल से ख़ूज़िस्तान का पर्यावरण विभाग पक्षियों को छल्ले बांधने का काम कर रहा है। इस योजना के तहत फ़ार्स खाड़ी और मूसा खाड़ी में स्थित दारा और क़ब्र नाख़ुदा द्वीपों में लगभग 250 तरह के पलायनकर्ता जलचर पक्षियों को छल्ले बांधे जाते हैं।

छल्ला बांधना पलायनकर्ता पक्षियों के उड़ने के मार्ग की पहचान और निर्धारण की सबसे ज़्यादा प्रचलित शैली है। इस शैली के तहत परिंदों को जीवित पकड़ कर उनके पैर या पर में धातु या प्लास्टिक छल्ला बांध कर प्रकृति में छोड़ दिया जाता है। इन छल्लों पर नंबर और अनुक्रम पड़ा होता है। इसके बाद इस बात का इंतेज़ार किया जाता है कि छल्ला लगा हुआ परिन्दा ईरान या दुनिया के किसी दूसरे क्षेत्र में पक्षियों के विशेषज्ञ और पर्यावरणविद उसे ज़िन्दा पकड़े या उसका शव उन्हें मिले। ब्लॉक नंबर, स्थान और शिकार की तारीख़ पक्षियों के माहिरों के लिए बहुत अहमियत रखती है जिसके ज़रिए वे पलायनकर्ता पक्षियों के पलायन के मार्ग, उम्र, व्यवहार इत्यादि की जानकारी विशेषज्ञों को सौंपते हैं।          

ख़ूर मूसा खाड़ी के ज़्यादातर लोगों का व्यवसाय मछली पकड़ना है। मूसा खाड़ी और क़िश्म द्वीप में सबसे ज़्यादा पम्फ़्रेंट मछली मिलती है जिसे स्थानीय लोग ज़ुबैदी कहते हैं।

इस खाड़ी में कर्लू नामक जलचर पक्षी पाया जाता है। इसी तरह इस खाड़ी में व्हेल और डॉल्फ़िन भी पायी जाती हैं। और भी दूसरी प्रजाति के परिंदे, मछलियां और डॉल्फ़िन इस खाड़ी में पाए जाते हैं जिन्हें देख कर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते है।

मूसा खाड़ी में अनेक अछूते द्वीप हैं जिनकी निगरानी पर्यावरण विभाग करता है। इसी तरह मूसा खाड़ी की सुंदरता देखने लायक़ है। हर साल ईरानी नववर्ष नौरूज़ में बड़ी संख्या में पर्यटन इस क्षेत्र का भ्रमण करते हैं।

फ़ार्स खाड़ी में स्थित एक और ग़ैर आबाद द्वीप दारा है। यह द्वीप मूसा खाड़ी के मुहाने पर स्थित। इस द्वीप में टिटहरी अंडे देती है। दारा द्वीप का क्षेत्रफल लगभग 1 वर्ग किलोमीटर है। इसका सबसे ऊंचें बिन्दु की ऊंचाई 1 मीटर है। इस द्वीप का क्षेत्रफल ज्वार के समय 145 हेक्टर और भाटा के समय 9300 हेक्टर का हो जाता है।

दारा द्वीप में मीठा पानी नहीं है। क्रेब प्लोवर नामक विशेष पक्षी जून के शुरु में इस क्षेत्र की ओर पलायन करते हैं और जुलाई के अंत तक वहां से कूच कर जाते हैं। कुछ समय पहले पर्यावरण रक्षा विभाग ने दारा द्वीप को ख़ूज़िस्तान प्रांत का राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया है। इस बात के मद्देनज़र कि फ़ार्स खाड़ी के द्वीपों को आबाद करना ईरान की व्यवस्था की मूल नीति का हिस्सा है, फ़ार्स खाड़ी के कम गहराई वाले क्षेत्र बहुत अहमियत रखते हैं। मूंगे की चट्टानें, कछुवों के अंडे देने के स्थल और पक्षियों के शरण स्थल इस द्वीप के मूल्यवान बिन्दु हैं।               

ख़ूज़िस्तान प्रांत के अन्य द्वीप का नाम बूने है। पुराने ज़माने में इसे बुन्ने कहते थे। यह ग़ैर आबाद द्वीप है। बूने, दारा और क़ब्र नाख़ुदा फ़ार्स खाड़ी के पश्चिमोत्तरी छोर पर मूसा खाड़ी के मुहाने पर स्थित द्वीप हैं। हेन्दीजान और बंदर माशहर से बूने द्वीप की हवाई दूरी लगभग एक है। इस द्वीप में पाए जाने वाले अहम परिन्दों में क्रैब प्लोवर अहम है। इसी तरह यह द्वीप टिटहरी के अंडे देने का स्थल  भी है।

फ़ार्स खाड़ी की बंदरगाहों का भुगोल नामक किताब में बूने के बारे में लिखा हैः "ख़ारकू और बसरा के बीच दो द्वीप पाए जाते हैं। जिसमें एक का नाम दीरे और दूसरे का नाम बूने है। दीरे द्वीप ग़ैर आबाद है जबकि बूने द्वीप का पानी मीठा है। इन दोनों द्वीपों के चारों ओर बर्बादी हुयी है उसकी वजह से इन दोनों द्वीप में जाना मुश्किल है। क्योंकि इन द्वीपों के चारों ओर नौकाओं व कश्तियों के टूटने का ख़तरा मंडराता रहता है।"

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