ट्रम्प की तुलना हिटलर से
अमरीकी फिल्म निर्माता माइकल मूर ने एक नई डाक्यूमेंटरी बनाकर डोनाल्ड ट्रम्प के विरुद्ध नया अभियान आरंभ कर दिया है।
उन्होंने जो फ़िल्म बनाई है उसका नाम है "फारेनहाइट 9/11" "फारेनहाइट नाइन इलेविन"। अपनी इस फ़िल्म में माइकल मूर ने अमरीकी जनता से अनुरोध किया है कि वह ट्रम्प की भ्रामक तथा लोक-लुभावन नीतियों का डटकर मुक़ाबला करे। माइकल मूर ने अपनी इस फ़िल्म में ट्रम्प की तुलना तानाशाह हिटलर से की है। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है कि ट्रम्प की तुलना हिटलर से गई हो।
माइकल मूर ने भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज डब्लू बुश के व्यवहार और वर्ड ट्रेड सेंटर की घटना को लेकर सन 2004 में एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम था "फारेनहाइट 9/11"। इस फ़िल्म के निर्माण के 14 वर्षों के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के क्रिया-कलापों को लेकर अब जो फ़िल्म बनाई है उसका नाम रखा है फारेनहाइट 9/11। इस फ़िल्म में माइकल मूर ने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के सत्ताकाल की समीक्षा की है। फ़िल्म में इस विषय पर अधिक बल दिया गया है कि ट्रम्प कैसे अमरीका के राष्ट्रपति बन गए?
यह फ़िल्म 9 नवबर 2016 को की जाने वाली उस घोषणा से आरंभ होती है जिससे अमरीकी राजनीति में भूचाल आ गया था अर्थात ट्रम्प के राष्ट्रपति होने का एलान। माइकल मूर ने अपनी इस नई फ़िल्म में यह बताने का प्रयास किया है कि डोनाल्ड ट्रम्प किस प्रकार लोक-लुभावन वादों और अन्य हथकण्डों से सत्ता में आए। उन्होंने इस फ़िल्म में यह भी बताया है कि जिस प्रकार विभिन्न हथकण्डे अपनाकर हिटलर सन 1930 में जर्मनी में सत्ता के शिखर पर पहुंचे थे उसी प्रकार से डोनाल्ड ट्रम्प ने भी किया है। यह फ़िल्म टोरंटो में रिलीज़ हुई। टोरंटो में साक्षात्कार में माइकल मूर ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में हम अमरीकियों को अभिलाषाओं और वादों की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने अमरीकियों का आह्वान किया है कि वे कांग्रेस के मध्यावधि चुनावों में देश के महत्वपूर्ण राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशियों को पराजित करने के प्रयास करें। मूर का कहना है कि यदि हम चाहें तो ट्रम्प को चोट पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमको उसी तरह का प्रयास करना चाहिए जैसा फ़्रांस में राष्ट्रीय प्रतिरोध के समय में हुआ था। माइकल मूर के अनुसार वर्तमान समय की संवेदनशील परिस्थितियों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।
विषय वस्तु की दृष्टि से फारेनहाइट 9/11, माइकल मूर की पहली वाली फ़िल्मों से काफ़ी मिलती-जुलती है। उनकी इस फ़िल्म में रिपब्लिकन्स विशेषकर डोनल्ड ट्रम्प की कड़ी आलोचना की गई है। हफ़िगंटन पोस्ट ने माइकल मूर की नई फ़िल्म के रिलीज़ होने के समय उनसे पूछा था कि इसको बनाने से उनका मुख्य उद्देश्य क्या है? इसके जवाब में मूर ने कहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प व्यक्तिगत रूप से एक दुष्ट व्यक्ति है। वह किसी भी स्थिति में वाइटहाउस को छोड़ने के पक्ष में नहीं है। मूर ने कहा कि ट्रम्प जब कभी भी यह सुनते हैं कि अमुक देश का राष्ट्रपति आजीवन राष्ट्रपति रहेगा तो इसे सुनकर उनके भीतर भी ऐसी ही भावना जाग्रत होती है।
वे कहते हैं कि अमरीका मे जरनलिज़्म के कालेजों में एसों का प्रशिक्षण किया गया है जिनको यह सिखाया गया है कि किस प्रकार से एक तानाशाह राष्ट्रपति से व्यवहार किया जाए। वास्तव में वे एक प्रकार से ट्रम्प का रास्ता साफ करने वाले कर्मचारियों जैसे हैं। मूर के अनुसार इस प्रकार की स्थिति ने हमको ख़तरनाक परिस्थिति में डाल दिया है। मूर कहते हैं कि मुझेक इस बात की आशा है कि कम से कम यह फिल्म, एक बड़े ख़तरे को दिखा सके और लोगों को बताए कि इस संकट से निकलने का रास्ता क्या है?
इस फ़िल्म को देखने और माइकल मूर की तीव्र प्रतिक्रियाओं को सुनने के बाद संभवतः यह प्रश्न आपके मन में आए कि मूर ने ट्रम्प की तुलना हिटलर से क्यों की है? अगर आप थोड़ा सा ध्यान दें तो यह समझ जाएंगे कि ट्रम्प सन 2017 में हिटलर की तरह तानाशाही कर सकते थे। इसके कई कारण हैं। जैसे उनका अपना कोई अलग से राजनैतिक दल नहीं है, उनके वफादार सैनिक नहीं हैं। इसके अतिरिक्त भी कई कारण मौजूद हैं। ट्रम्प के सामने एसी बहुत ही बाधाए हैं जो हिटलर के सामने नहीं थीं। इसके अतिरिक्त ट्रम्प और हिटलर के बचपने और उनके युद्ध के अनुभवों में भी बहुत अंतर है। इसके अतिरिक्त पैसे और महिला के बारे में भी ट्रम्प तथा हिटलर के विचारों में बहुत अंतर है। इन सभी बातों के बावजूद दोनों के बीच राजनीतिक चरम पर पहुंचने के बारे में समानता पाई जाती है। यह समानता इस हद तक है कि दोनों की तुलना की जा सकती है। अबतक बहुत से लोगों ने राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में इनकी तुलना की है।

उदाहरण स्वरूप "टिमोथी डी सिंडर" की एक किताब है "तानाशाही का मुक़ाबला"। इस किताब में टिमोथी, बीसवीं शताब्दी में तानाशाही से उत्पन्न होने वाली घटनाओं का उल्लेख करते हुए वर्तमान समय में अमरीका में ट्रम्प के क्रियाकलापों को दर्शाते हैं। अपनी किताब में टिमोथी हिटलर की तानाशाही, द्वितीय विश्वयुद्ध, सोवियत संघ के घुटन वाले वातावरण और चेकोस्लोवाकिया में कम्यूनिज़्म की विजय आदि का उल्लेख करते हैं।
अपनी इस किताब के एक भाग में टिमोथी, हिटलर की एक चाल का उल्लेख करते हुए उसीसे मिलती हुई ट्रम्प की चाल की ओर संकेत करते हुए उसकी समीक्षा करते हैं जिसे उन्होंने राष्ट्रपति पद पर पहुंचने के लिए प्रयोग किया था। वे नाज़ियों की प्रचार शैली और ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने की चाल की आपस में तुलना करते हुए अमरीका में प्रसारित होने वाले टीवी कार्यक्रमों की ओर संकेत करते हैं। टिमोथी लिखते हैं कि अमरीका में टीवी समाचारों को देखना कभी-कभी कोई महत्व नहीं रखता। इसको देखना ठीक उसी प्रकार है जैसे आप एसे व्यक्ति को देख रहे हैं जो स्वयं किसी अन्य कार्यक्रम को देख रहा हो। वे कहते हैं कि हम अब इसके आदी हो गए हैं।
"टिमोथी डी सिंडर यह सिफ़ारिश करते हैं कि आप अपने कमरे से टेलिविज़न हटा दीजिए और उसकी जगह पर किताबें रखिए। उनका कहना है कि वर्तमान समय में टेलिविज़न वास्तव में एक प्रकार से वर्चस्ववाद का एक प्रतीक है।

न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में ट्रम्प और हिटलर की तुलना की है। उसने लोगों को धोखा देने की दृष्टि से हिटलर और ट्रम्प की तुलना की है। चार्ल्स ब्लयू के लेख में आया है कि कुछ ऐसे मार्ग हैं जिनको अपनाकर हिटलर सत्ता में पहुंचा और फिर उसने उन्हीं के माध्यम से उसे सुरक्षित रखा। वे कहते हैं कि उनमें से एक है अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार झूठ बोलना। इस लेख में कहा गया है कि हालांकि ट्रम्प, हिटलर नहीं हैं किंतु ट्रम्प जिस प्रकार से अमरीकी जनता से झूठ बोलकर उससे खेल रहे हैं उससे बहुत सी पुरानी बातों का पता चलता है। तानाशाहों की ओर से जनता को धोखा देने की नीति कभी बदलती नहीं है। ट्रम्प ने झूठ बोलने का मार्ग चुन लिया है। वे चाहते हैं कि उनके हर झूठ को अमरीकी स्वीकार करें।
वाशिग्टन पोस्ट के पत्रकार जानसन इसी संदर्भ में लिखते हैं कि ट्रम्प अक्सर अपनी विवादित बात को इस वाक्य से शुरू करते हैं कि "बहुत से लोग यह कहते हैं"। इस वाक्य के साथ अपनी बात शुरू करने से वे कोई अफ़वाह, झूठ या गढी हुई बात भी पेश कर सकते हैं। होता यह है कि जब उनकी किसी बात पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आती हैं तो वे उसका सेहरा अपने सिर बांधने लगते हैं लेकिन यदि उनकी बात पर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आती हैं तो वे यह दावा करने लगते हैं कि उन्होंने तो एसी कोई बात नहीं कही थी। जानसन लिखते हैं कि राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ट्रम्प इसी नीति को अपनाते हैं। वे लिखते हैं कि यही वह शैली है जिसे हिटलर ने अपने अवैध हितों को हासिल करने के लिए प्रयोग किया था।

रोचक बात यह है कि कुछ समय पहले हिटलर के भाषणों के संकलन पर आधारित एक किताब की जिल्द के दूसरे हिस्से पर ट्रम्प का चित्र छपा था। बताया जाता है कि इस किताब की एक प्रति ट्रम्प के बेड के पास रहती है। जिस प्रकाशन ने हिटलर के भाषणों वाली किताब पर ट्रम्प का चित्र छापा है उसका कहना है कि ट्रम्प तथा हिटलर के भाषणों में स्पष्ट समानता पाई जाती है। न तो हिटलर ने कभी अपनी ग़लती स्वीकार की और न ही ट्रम्प कभी अपनी ग़लती मानते हैं। दोनों में से किसी को भी अपनी आलोचना पसंद नहीं है। वे अपने आलोचकों को मुंहतोड उत्तर देने के पक्षधर हैं। इनकी भाषा का स्तर बहुत ही नीचा है।
उधर अमरीका के जानेमाने लेखक चाम्सकी ने भी ट्रम्प तथा हिटलर की तुलना करते हुए बहुत रोचक बात कही है। वे कहते हैं कि मेरे हिसाब से ट्रम्प, हिटलर से भी गए-गुज़रे हैं। चाम्सकी के अनुसार ट्रम्प केवल अमरीकी पूंजीपतियों के हितों को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। वे कहते हैं कि इसी नीति का अनुसरण करते हुए ट्रम्प संसार को तबाही की ओर ले जा रहे हैं। चाम्सकी का कहना है कि मेरे हिसाब से ट्रम्प के क्रियाकलापों का इतिहास में उदाहरण मिलना संभव नहीं है। वे कहते हैं कि मेरी यह बात शायद आपको अच्छी न लगे या आप इसे मेरी तीव्र प्रतिक्रया समझे किंतु मेरा यह मानना है कि अमरीका की वर्तमान रिपब्लिकन पार्टी, संसार की सबसे ख़तरनाक पार्टी है।