Jun १८, २०१९ १२:२१ Asia/Kolkata

मसऊद साद सलमान 11वीं ईसवी शताब्दी के प्रसिद्ध ईरानी शायरों और वक्ताओं में से एक हैं।

अमीर सईदुद्दौलह अबून्नज्म मसऊद साद सलमान हमदानी पांचवी शताब्दी हिजरी कमरी के अंत और छठीं शताब्दी हिजरी कमरी के आरंभ के महान ईरानी शायर हैं। मसऊद साद सलमान, ग़ज़्नवी और सलजूक़ी काल के बड़े शायर थे इसी प्रकार वह भारत में ग़ज़्नवी सरकार के समय के प्रभावशाली व्यक्ति थे। मसऊद साद सलमान ईरान के पश्चिम में स्थित हमदान नगर के रहने वाले थे। जैसाकि जीवनी बयान करने वाली किताबों में आया है कि मसऊद साद सलमान के बाप- दादा अपने समय के विद्वानों व गणमान्य लोगों में से थे। मसऊद साद सलमान के पिता का नाम खाजा साद सलमान था और वह सुल्तान महमूद ग़ज़्नवी के काल के आरंभ में वे बिल्कुल जवान थे। वह हमदान से ग़ज़्नी गये थे और 60 वर्षों तक उन्होंने ग़ज़्नवियों की सरकार में काम किया। आरंभ में वह ग़ज़्नी में थे और उसके बाद लाहौर चले गये जहां वह दिवानी का काम करने लगे और उनकी गणना क्षेत्र के जाने- माने लोगों में होती थी। ग़ज़्नवी काल में लाहौर भारत के उन क्षेत्रों की राजधानी था जिन पर ग़ज़्नवी का नियंत्रण था। जब मसऊद ग़ज़्नवी ने अपने बेटे अमीर मजदुद को भारत का शासक बनाया तो उसने अपने बेटे के साथ खाज साद सलमान को भी भारत भेज दिया और वह वहां गज़्नवी सरकार के पेशकार के रूप में काम करने लगे। जीवनी बयान करने वालों ने लिखा है कि खाजा साद सलमान ने अच्छी स्थिति पैदा कर ली थी और काफी सम्पत्ति भी जमा कर ली थी और अपने जीवन के अंत में दीवानी के पद को छोड़ दिया था और लाहौर में ही उनका निधन हो गया।

इतिहासकारों और जीवनी बयान करने वालों ने मौजूद साक्ष्यों के आधार पर बताया है कि मसऊद साद सलमान का जन्म लाहौर नगर में 1033 से 1046 ईसवी शताब्दी के दौरान हुआ था। मसऊद साद सलमान के जीवन को चार कालों में बांटा गया है। एक वह समय जब वह बिल्कुल जवान थे और उस वक्त के समय को उन्होंने ज्ञान अर्जित करने में बिताया। उनके जीवन का दूसरा दौर खुशी का था और उस समय वह सरकारी सेवा देते थे जबकि अपने जीवन का तीसरा दौर उन्होंने कारावास एवं कठिनाइ में बिताया। चौथा दौर उनके बुढ़ापे का दौर था।

मसऊद साद सलमान ने अपना बचपन अपने पिता ख़ाजा साद सलमान के साथ बिताया और इस दौरान उन्होंने लाहौर और ग़ज़्नी में जाने माने गुरूओं से शिक्षा ली और कला सीखी। ज्ञान और कला के अलावा मसऊद साद सलमान ने रण कौशल, घुड़सवारी और तीर चलाने की कला भी सीखी। इस प्रकार उनकी गणना अपने समय के जाने- माने लोगों में होती थी। मसऊद साद सलमान जब अरबी भाषा, पवित्र कुरआन की व्याख्या, धर्मशास्त्र, हदीस, इतिहास, तर्कशास्त्र और गणित की शिक्षा प्राप्त कर चुके तो उन्होंने अरबी, फारसी और हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा। जब वह इन भाषाओं के साहित्य से परिचित हो गये तो शायरी से उन्हें लगाव हो गया और वे शायरी में अपने समय के मशहूर शायर हो गये। मसऊद साद सलमान की कलम और ज़बान में जो जादू था उससे वह भलीभांति अवगत थे और उन्होंने अपने शेरों में इस जादूई शक्ति की ओर बारमबार संकेत भी किया है और इसके लिए दूसरों को गवाह भी बनाया है।

मसऊद साद सलमान की नौजवानी  पढ़ाई- लिखाई में गुज़री और उसी नौजवानी के आरंभ के समय से ही वह दरबार में आने- जाने लगे। उनके बारे में कहा गया है कि उनके पिता ख़ाजा साद सलमान एक होशियार व्यक्ति थे और सुल्तान इब्राहीम ग़ज़्नवी के काल में वह अपने बेटे मसऊद साद सलमान को दरबार में ले गये। जीवनी की किताबों में आया है कि  सुल्तान इब्राहीम ग़ज़्नवी ज्ञानी और ज्ञान व कला प्रेमी शासक था। जब उसने मसऊद साद सलमान को देखा और उनके शेरों को सुना तो कहा कि यह अच्छा जवान है यह आगे चलकर और विकास करेगा और इसका काम अच्छा हो जायेगा और उसने उन पर विशेष कृपा दृष्टि भी की। मसऊद साद सलमान ने सुल्तान इब्राहीम ग़ज़्नवी की प्रशंसा में बहुत शेर कहे हैं और उसने इन शेरों के बदले में मसऊद साद सलमान को काफी इनाम भी दिया। सुल्तान इब्राहीम ग़ज़्नवी के आदेश से मसऊद साद सलमान को उसके बेटे सैफुद्दीन महमूद का सलाहकार बना दिया गया। आज़र बीगदिली ने अपनी किताब आतिशकदा में लिखा है कि मसऊद की योग्यता का पौधा आले ग़ज़्नवी के चमन में पला- बढ़ा और उनके शासन काल में अधिकांश उच्च पदों को प्राप्त किया।

सुल्तान इब्राहीम ग़ज़्नवी ने 469 हिजरी कमरी में भारत का शासन अपने बेटे सैफुद्दौला महमूद को दे दिया। मसऊद साद सलमान अपनी जवानी और खुशी का समय बिता रहे थे कि वह इस नये शासक की सेवा में आ गये और उन्हें काफी प्रतिष्ठा प्राप्त हो गयी। कहा जाता है कि सैफुद्दौलह महमूद के निकट मसऊद साद सलमान का विशेष स्थान था और रणक्षेत्र में उन्हें विशेष सैनिक अफसर बनाया जाता था और जब वह शासक के साथ सभा में बैठते तो अच्छे और मृदुभाषी शायर होते थे। मसऊद साद सलमान ने इस शासक की प्रशंसा में बहुत अधिक शेर कहे हैं और चूंकि समस्त युद्धों में वह सैफुद्दौलह महमूद के साथ थे इसलिए उन्होंने सैफुद्दौलह की समस्त सफलताओं के बारे में शेर कहा है और उन्हें शेर का रूप दिया है।

मोहम्मद औफी ने अपनी किताब लुबाबुलअलबाब में लिखा है कि मसऊद साद सलमान ने हिन्दुस्तान में बड़े- बड़े काम अंजाम दिये और अच्छा जीवन बिताया। जीवनी बयान करने वाली किताबों में आया है कि वह विद्वानों और बड़े- बूढ़ों की सहायता करते थे और कोई भी मांगने वाला उनके पास से खाली हाथ वापस नहीं जाता था। वह हिन्दू -मुसलमान सबके प्रति दयालु और सबके शुभ चिंतक थे। दोस्त- दुश्मन सबके साथ भलाई करते थे। वह बहुत विन्रम और दयालु थे। यह मसऊद साद सलमान के जीवन का बेहतरीन समय था।

मसऊद साद सलमान लगभग 40 साल के थे जब उनकी खुशी का सूरज डूबने लगा। मसऊद साद सलमान का बुरा चाहने वालों, उनके दुश्मनों और उनसे ईर्ष्या करने वालों ने उनके खिलाफ षडयंत्र रचा और जासूसों एवं ईर्ष्या करने वालों ने सुल्तान इब्राहीम ग़ज्नवी से राजकुमार सैफुद्दौलह की शिकायत की और उस पर सल्जूकी शासक मलिक शाह से गुप्त संबंध रखने का आरोप लगाया। उस समय सल्जूकी शासकों से गुप्त संबंध रखने से बढ़कर कोई दूसरा आरोप खतरनाक नहीं था क्योंकि इन दोनों शासन श्रृंखलाओं के मध्य बड़ी दुश्मनी व प्रतिस्पर्धा चल रही थी। सुल्तान इब्राहीम यह बात सुनकर बहुत दुःखी हुआ। अवसरवादियों और ईर्ष्यालुओं ने मौका अच्छा समझा और उन्होंने सुल्तान इब्राहीम के कान भर दिये कि सैफुद्दौलह के समीपी लोगों विशेषकर मसऊद साद सलमान ने यह बात उसके मन- मस्तिष्क में डाली है। सुल्तान इब्राहीम के समीपी लोगों की ईर्ष्या और शिकायत इस बात का कारण बनी कि सैफुद्दौलह और उसके निकटवर्ती लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनकी संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया गया। लाहौर के दरबार में कुछ जाने- पहचाने लोगों की हत्या ग़ज़्नी शासक के आदेश से की जा चुकी थी और कुछ को कारावास में डाल दिया गया था। मसऊद साद सलमान ने 10 वर्ष कारावास में बिताये। उस समय आरोपियों और दोषियों को गिरफ्तार करके दुर्गों में रखा जाता था। मसऊद साद सलमान ने अपने शेरों में दुश्मनों और ईर्ष्यालुओं के आरोप को अपनी मुसीबत का कारण बताया है। बुरा चाहने वालों और ईर्ष्यालुओं के आरोप के कारण वफादार और अच्छे शायर को वर्षों जेल में रहना पड़ा। इस प्रकार मसऊद साद सलमान ने अपने जीवन का बहुत बड़ा भाग जेल में बिताया और इस बारे में उन्होंने बहुत से शेर भी कहा है।

 

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