Jul १४, २०१९ १४:४५ Asia/Kolkata

पर्याप्त नींद, शरीर को स्वस्थ्य और उसको सुरक्षित रखने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है किन्तु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि जीवन शैली में पैदा होने वाले परिवर्तनों के दृष्टिगत कम सोने का प्रचलन बहुत अधिक हो गया है।

यह ऐसी स्थिति में है कि मनुष्य की अपनी देखभाल और स्वास्थ्य में नींद की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

हमने शरीर के स्वास्थ्य और उसकी देखभाल के विषय पर आपको बताया था। आज हम आहार और व्यायाम के कार्यक्रम के बाद नींद और अपने स्वास्थ्य में इसकी भूमिका के विषय पर चर्चा करेंगे। नींद सभी जीवों के लिए ईश्वर के वरदान की तरह है. क्योंकि यदि हम पर्याप्त नींद लें तो कई बीमारियों से तो हम यू हीं बच जाते हैं. इसके साथ ही हमारे शरीर को मिलने वाले आराम के कारण इसकी कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है. यदि आप नींद का महत्व नहीं समझते हैं और पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आपको मानसिक अवसाद जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. इसे आप डिप्रेशन, तनावु या चिंता में डूबा रहना भी कह सकते हैं. ये तो आपने भी महसूस किया ही होगा कि यदि आप एक दिन न सोएँ तो किस तरह से शरीर लचर होने लगता है. इसलिए नींद के महत्व को समझते हुए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को ठीक से जानना चाहिए।

कहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन में एक तिहाई भाग सोता है। नींद बहुत ही ज़रूरी चीज़ है जिसके दौरान मनुष्य का शरीर, अपने महत्वपूर्ण सिस्टम को व्यवस्थित करता है। जब मनुष्य जागता रहता है तो शरीर ऊर्जा के उत्पादन के लिए आक्सीजन और आहार को जलाता है। इस चरण को कैटाबोलिक चरण (जलाना) कहा जाता है, इसमें शरीर की अधिकतर ऊर्जा ख़र्च होती है किन्तु सोते समय शरीर अनाबोलिक (बनाने) के चरण में प्रविष्ट होता है। इस चरण में शरीर की ऊर्जा, बनाने और विकास के लिए बची रहती है। शरीर हारमोन ग्रोथ की पैदावार शुरु करता है। इस हारमोन की वजह से शरीर की हड्डियां, मांसपेशियां बनाने और उसको सुरक्षित रखी जाती है। सोने के दौरान, शरीर की बनावट, जागने से तेज़ पुनर्निमित होती है।

पर्याप्त नींद, शरीर को स्वस्थ्य और उसको सुरक्षित रखने की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है किन्तु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि जीवन शैली में पैदा होने वाले परिवर्तनों के दृष्टिगत कम सोने का प्रचलन बहुत अधिक हो गया है। यह ऐसी स्थिति में है कि मनुष्य की अपनी देखभाल और स्वास्थ्य में नींद की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

नींद हमारे शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए प्रकृति का वरदान है। दौड़ती-भागती तनाव भरी जिंदगी में नींद का महत्व और बढ़ गया है। नींद की आवश्यकता पर दिनेश वशिष्ट का आलेख रोजाना की भागदौड़, आपाधापी के चक्कर में हम ठीक से खाना और सोना तक भूल गए हैं, जिसकी वजह से अनेक शारीरिक और मानसिक परेशानियां हमें घेरने लगी हैं। ट्रैफिक की रेडलाइट से लेकर मोबाइल पर बेकार के मैसेजेज, इंटरनेट और न जाने कितनी चीजें हमें व्यर्थ का तनाव देती हैं। दिनभर की भागदौड़ के बाद हम थक कर घर वापस आते हैं तो हमें सुकून भरी और आरामदायक नींद की आवश्यकता होती है। रात में कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, जिससे अगले दिन के कामकाज के लिए अपने मस्तिष्क को तरोताजा कर सकें। इस तरह से हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिता देते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है। कहा जाता है कि मनुष्य को चौबीस घंटे में लगभग आठ घंटे सोने की आवश्यकता है। इस अवधि को विशेषज्ञों ने सोने के लिए विशेष नहीं किया है बल्कि यह वह समय मात्रा है जिसमें मनुष्य आम तौर पर सोता है। जो व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण परियोजना या कठिन परीक्षा की वजह से कुछ दिन तक कम सोते हैं तो वह अनिंद्रा या नींद ऋणि के शिकार हो जाते हैं। नींद का क़र्ज़ा, उस सोने के बीच के अंतर को दर्शाती है जो शरीर के लिए आवश्यक है और उस समय स्तर से जिसमें लोग सोते हैं।

यदि आप सोने में कोताही करते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आप कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं. कहते हैं न कि चैन से सोना है तो जाग जाइए. जब आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो आपको कई बीमारियाँ जैसे कि याद्दाश्त कमजोर होना, उच्च रक्तचाप, आँखों में सुजन, कमजोरी, थकान, मोटापा, तनाव आदि अपना शिकार बना सकती हैं. बेहतर यही है कि आप भरपूर नींद लेने को गंभीरता से लें और पर्याप्त नींद लें. यदि आप विभिन्न बीमारियों का आसान शिकार नहीं बनना चाहते हैं तो आपको नींद के महत्व को नजरंदाज नहीं करना चाहिए।

अलबत्ता यहां पर नींद का क़र्ज़ा उतारने का यह अर्थ नहीं है कि मनुष्य लंबा ही सोता रहे बल्कि यह चौबीस घंटे में एक या दो घंटे बढ़ाकर अपनी नींद की कमियों को पूरा कर सकता है और धीरे धीरे अपने सोने की सही अवधि और सीमा को प्राप्त किया जा सकता है। नीद की कमी को पूरा करने की सबसे बेहतरीन शैली यह है कि थकन के समय बिस्तर पर जाएं और अपने नर्व और शारीरिक सिस्टम के साथ नींद से उठ जाएं न कि मोबाइल या घड़ी के अलार्म या दूसरी आवाज़ों से। इस प्रक्रिया से हम नींद की गहराई को भी आंक सकते हैं क्योंकि केवल सोने से ही सही ढंग से मस्तिष्क काम नहीं करता बल्कि वांछित ढंग से नींद पूरी होनी चाहिए।

वास्तव में आराम से सोने के लिए ऐसी युक्तियां सोचे कि उस समय आपका मन पूरी से से शांत रहे और अशांति और तनाव अपनी नींद को परेशान न करे। इसीलिए आपको सोने जाने से पहले कुछ सिद्धांतों पर अमल करना होगा जिनमें से एक मोबाइल फ़ोन लेकर सोना शामिल है।

सोने के एक परिणाम स्मरण शक्ति का मज़बूत होना है। सोने के समय मस्तिष्क हर उस चीज़ को लंबे समय तक की मेमोरी में पहुंचा देता है जिसे व्यक्ति ने पढ़ा, देखा या सुना है।

अब सवाला यह पैदा होता है कि सोने का सबसे बेहतरीन समय कौन सा है? विशेषज्ञों ने सोने के लिए सबसे बेहतरीन या सबसे लाभदायक समय को दस बजे रात से सुबह तड़के तक बताया है। इस अवधि में ख़ून के कोरटीज़ल कम पैदा होते हैं। यदि हम इस समय सोएं तो सुबह आराम से और अधिक फुर्ती के साथ उठेंगे। जितना दिन चढ़ता जाता है ख़ून का कोरटीज़ल बढ़ता जाता है ताकि शरीर की गतिविधियों के लिए ऊर्जा प्राप्त हो सके। यही कारण है कि जो व्यक्ति रात बारह बजे से सुबह दस बजे तक सोए यद्यपि उसने दस घंटे की नींद पूरी कर ली है किन्तु वह थका थका महसूस करेगा क्योंकि एंड्रोफ़ी कम निकली है जबकि वह व्यक्ति जो दस बजे रात से सुबह पांच बजे तक सोया, यद्यिप उसने सात ही घंटे की नींद ली है वह अधिक फ़ुर्ती का एहसास करेगा। (AK)

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